आवाज द वाॅयस /न्यूयॉर्क
इतिहास में पहली बार, फीफा विश्व कप जून-जुलाई 2026 के दौरान 48 टीमों के साथ आयोजित होने जा रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको और कनाडा की संयुक्त मेजबानी में होने वाले इस मेगा टूर्नामेंट का ड्रॉ हाल ही में पूरा हुआ। कई देशों ने अपने ग्रुप को देखकर राहत की सांस ली, लेकिन अगले ही दिन जारी हुए मैच कार्यक्रम ने उनकी चुनौतियाँ कई गुना बढ़ा दीं।
इस बार मुकाबला सिर्फ प्रतिद्वंद्वी टीमों से नहीं होगा बल्कि भीषण गर्मी, अत्यधिक ऊंचाई और लगातार लंबी यात्रा खिलाड़ियों के लिए असली सिरदर्द साबित होने वाली है।

स्पेन के कोच लुइस डे ला फूएंते ड्रॉ के बाद मुस्कुराते दिखे, लेकिन कार्यक्रम जारी होते ही उनकी चिंता बढ़ना स्वाभाविक था। स्पेन के दो मैच अटलांटा में होंगे, जहाँ 33–35 डिग्री तक तापमान और भारी उमस खिलाड़ियों की ऊर्जा निचोड़ सकती है। बारिश भी खेल को और मुश्किल बना सकती है, हालांकि स्टेडियम में छत होने से हालात थोड़ा नियंत्रित रहेंगे।
लेकिन असली परीक्षा इसके बाद शुरू होती है। अटलांटा से स्पेन को 2,800 किलोमीटर दूर, समुद्र तल से 1,700 मीटर ऊंचाई पर बसे मेक्सिको के ग्वाडलहारा पहुँचना होगा। मौसम, ऊंचाई और टाइम ज़ोन—सब कुछ बदल जाएगा। फ़ुएंते ने कहा:
“मेरी सबसे बड़ी चिंता मैचों के बीच की यात्रा है। हमें हर 3–4 दिन में हजारों किलोमीटर उड़ान भरनी पड़ेगी।”
सऊदी अरब के खिलाफ मुकाबले के बाद स्पेन के पास सिर्फ तीन दिन का रिकवरी समय होगा, और फिर सीधे toughest मैच,उरुग्वे (कोच: मार्सेलो बिएल्सा) से भिड़ंत। शाम के मुकाबले में गर्मी भले कम हो, लेकिन हल्की हवा गेंद की दिशा पर असर डाल सकती है।
हारने वाली टीमों को राउंड ऑफ 32 के लिए फिर 2,000 किलोमीटर दूर मियामी जाना होगा यानी थकान और बढ़ेगी।
विश्व कप में मेक्सिको के तीन स्टेडियम इस्तेमाल होंगे, जिनमें सबसे चुनौतीपूर्ण है एज़्टेका स्टेडियम, समुद्र तल से 2,200 मीटर ऊंचाई पर। यही वह जगह है जहाँ डिएगो माराडोना ने ‘हैंड ऑफ गॉड’ गोल किया था।
ऊंचाई के कारण गेंद हवा में असामान्य मोड़ लेती है। अमेरिकी गोलकीपर टिम हॉवर्ड इसे “तश्तरी की तरह उड़ने वाली गेंद” बताते हैं। पाँच दशकों में मेक्सिको यहाँ दो ही क्वालीफायर हार पाया है—यानी मैदान मेजबानों का किला है।
मॉन्टेरी तुलनात्मक रूप से कम ऊंचा है, लेकिन यह विश्व कप का सबसे गर्म स्थल होगा ,तापमान 40°C तक जा सकता है और लू चल सकती है।
कनाडा के वैंकूवर और टोरंटो तुलनात्मक रूप से ठंडे और कम ऊंचाई वाले हैं टीमों के लिए सबसे राहतभरे मैदान। अमेरिका के 12 में से 11 स्टेडियमों में छतें हैं, जिससे तापमान नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन खुले मैदानों में दोपहर के मैच यूरोपीय टीमों के लिए बेहद थकाऊ साबित होंगे।
इंग्लैंड के कोच थॉमस ट्यूशेल ने चिंता जताई कि खिलाड़ियों को डगआउट में भी बैठने की अनुमति नहीं होगी—“ताकि मैदान पर आने से पहले ही वे थक न जाएँ।”

ब्राज़ील पहला मैच न्यूयॉर्क में खेलेगा, फिर फिलाडेल्फिया (130 किमी), और फिर मियामी (1,920 किमी) पहुँचेगा।
अर्जेंटीना अपेक्षाकृत आसानी में—कंसास (पहला मैच) से डलास के दो मैच—कुल सिर्फ 742 किमी।
सबसे लंबी यात्रा:
केप वर्डे: 4,700 किमी
उरुग्वे: 4,500 किमी
स्कॉटलैंड: 4,200 किमी
सबसे कम दूरी:
नॉर्वे: सिर्फ 350 किमी
फ्रांस भी न्यूयॉर्क, फिलाडेल्फिया और बोस्टन के बीच लगातार यात्रा करेगा।