पर्वतारोही मोहम्मद अली का संकल्प पहाड़ों से ज्यादा मजबूत

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 27-10-2021
अली का संकल्प पहाड़ों से ज्यादा मजबूत
अली का संकल्प पहाड़ों से ज्यादा मजबूत

 

शेख मुहम्मद यूनिस / हैदराबाद

ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों की खतरनाक चोटियां मुहम्मद अली अहमद के हौसले के आगे छोटी लगती हैं. उन्होंने लद्दाख की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने के अलावा ऑस्ट्रेलिया के पहाड़ों पर चढ़कर दुनिया को अपना हुनर दिखाया है.

अब उनकी नजर माउंट एवरेस्ट की चोटी पर है. वह बचपन से ही निरंतर संघर्ष के प्रतीक रहे हैं. आर्थिक समस्याओं और सीमित संसाधनों के बावजूद, मुहम्मद अली अहमद ने न केवल महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, बल्कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराने में भी कामयाब रहे हैं.

पारिवारिक पृष्ठभूमि

मुहम्मद अली अहमद केवल चार वर्ष के थे, जब उनके पिता मुहम्मद अबरार अहमद की मृत्यु हो गई. अबरार अहमद किराना की एक छोटी सी दुकान चलाते थे. अपने पिता की मृत्यु के बाद, उनकी मां ने मुहम्मद अली अहमद और दो बेटियों सहित तीन बेटों की परवरिश के लिए कड़ी मेहनत की.

मुहम्मद अली अहमद के बड़े भाई ने न केवल उनकी मां के काम से घर का खर्च चलाने में मदद की, बल्कि अली अहमद की शिक्षा में भी मदद की.

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मुहम्मद अली अहमद ने पर्वतारोहण में कई रिकॉर्ड अपने नाम किए.

मुहम्मद अली अहमद का एक और भाई हाफिज कुरान है. मुहम्मद अली अहमद ने बचपन से ही गरीबी और कठिनाई को करीब से देखा है. वह अपने परिवार की समस्याओं का समाधान करना चाहते थे. इसके अलावा, एक विधवा बहन और उसके तीन मासूम बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी इसी परिवार पर है.

मार्शल आर्ट

मुहम्मद अली अहमद स्टिक मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट हैं और उन्होंने विभिन्न प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं. वह एक एथलीट भी हैं. अली अहमद ने लंबी कूद और दौड़ में राज्य स्तर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है. उन्हें कम उम्र से ही पेड़ों और पहाड़ों पर चढ़ना पसंद था.

वे अपने आस-पास के गाँवों में पेड़ों और पहाड़ों पर आसानी से चढ़ जाते थे. उनकी रुचि को देखते हुए उनके शिक्षकों ने उनका दाखिला नेहरू युवा केंद्र निजामाबाद में करवा दिया था. इसके बाद अली अहमद ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने हैदराबाद के अलावा दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर प्रशिक्षण लिया.

हिमालय की सबसे ऊँची चोटी फतह की

मुहम्मद अली अहमद ने पर्वतारोहण के शौक में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं और देश का नाम तेलंगाना राज्य दुनिया भर में प्रसिद्ध किया है. अली अहमद ने 2015 में स्टॉक कांगड़ी पीक का नेतृत्व करने का एक अनुकरणीय और अनूठा कारनामा किया. यह चोटी जमीन से 21,150फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यह हिमालय की सबसे ऊंची चोटियों में से एक है. अली अहमद ने अपने साथियों के साथ इस अभियान को 15दिनों में पूरा किया. अली अहमद ने 2जून को तेलंगाना स्थापना दिवस के मौके पर सबसे ऊंची चोटी पर राष्ट्रीय तिरंगा और तेलंगाना का झंडा फहराया और एक कीर्तिमान स्थापित किया.

ऑस्ट्रेलिया में खतरनाक पर्वतारोहण

मुहम्मद अली अहमद ने 2018 विश्व पर्वतारोहण चौंपियनशिप में भाग लिया और ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में माउंट कोसियस्जको और दस सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ाई की. अली अहमद बिना किसी सहारे के 222 मीटर ऊंची एक खतरनाक पहाड़ी पर चढ़ गए.

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मुहम्मद अली अहमद ने खतरनाक चोटियों के शिखरों को चूमा है.

यह पहाड़ी जंगली जानवरों और सांपों से भरपूर है. अली अहमद ने अपने कौशल का पूरी तरह से प्रदर्शन किया और जोखिम अभियान को सफलतापूर्वक पूरा किया और उन्होंने गोल्ड मेडल भी जीता.

वाटरफॉल रैपलिंग में ऐतिहासिक उपलब्धि

अली अहमद पर्वतारोहण के अलावा रैपलिंग फॉल्स में भी परफॉर्म कर चुके हैं. उन्होंने आंखों पर पट्टी बांधकर भी कई वॉटरफॉल रैपलिंग प्रतियोगिताओं में जादू कर इतिहास रचा है. अली अहमद ने विसाग, विशाखापट्टनम और कामराम भीम आसिफाबाद के अलावा अन्य जगहों पर वाटरफॉल रैपलिंग प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पदक जीते हैं. उन्होंने 2019में आंध्र प्रदेश के कटिला फॉल्स में होने वाले पहले वाटरफॉल रैपलिंग विश्व कप में भाग लिया और स्वर्ण पदक जीता.

इसके अलावा अली अहमद ने इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन दिल्ली में हेलीकॉप्टर से 12,000 मीटर की ऊंचाई से छलांग लगाई है. अली अहमद ने आवाज-द वॉयस से कहा कि वह हिमालय की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर चढ़ना चाहता है. उन्होंने कहा कि पैसे और प्रायोजकों की कमी के कारण वह अपने मिशन को पूरा नहीं कर पा रहे थे.

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तिरंगा फहराकर मनाया कामयाबी का जश्न.

अली अहमद ने कहा कि एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए हेलीकॉप्टर, ऑक्सीजन सिलेंडर और अन्य सामान के लिए करीब 40 लाख रुपये की जरूरत है. अली अहमद ने कहा कि वह बचपन से संघर्ष कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि पर्वतारोहण के अलावा उन्होंने विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेकर भारत को देश-विदेश में प्रसिद्ध किया है. अली अहमद ने कहा कि वह हैदराबाद में वक्फ बोर्ड कार्यालय में दैनिक आधार पर एक कनिष्ठ सहायक के रूप में काम कर रहा था और बुधन के एक डिग्री कॉलेज में अंतिम वर्ष का छात्र था.

अली अहमद ने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. उन्होंने कहा कि वह देश के लिए कुछ करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हालांकि, पैसे और प्रायोजकों की कमी के कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. अली अहमद ने कहा कि एक खिलाड़ी के तौर पर उन्हें अब तक कोई फायदा नहीं हुआ है.

उन्हें स्पोर्ट्स कोटे के तहत सरकारी नौकरी भी नहीं मिली है. अली अहमद ने एवरेस्ट पर चढ़ने के अपने लंबे समय से पोषित सपने के लिए धनी लोगों की मदद मांगी है.