मोहम्मद इमामुद्दीनः बच्चों को देते हैं हैरतअंगेज मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 30-10-2021
मोहम्मद इमामुद्दीन अपने प्रशिक्षुओं के साथ
मोहम्मद इमामुद्दीन अपने प्रशिक्षुओं के साथ

 

मोहम्मद अकरम / हैदराबाद

मौजूदा समय में पूरी दुनिया में क्रिकेट नौजवानों का सबसे लोकप्रिय खेल बन चुका है. हर कोई इस मैदान मे अपनी किस्मत आजमाई कर रहा है. यहां तक की क्रिकेट कई लोगों के लिए धर्म जैसा है, जिसमें आगे पहुंचने के लिए दिन रात मेहनत करते हैं, लेकिन हैदराबाद शहर मे कई नौजवान क्रिकेट की दुनिया से हटकर एक ऐसे खेल को विकसित कर रहा है, जो बहुत ज्यादा खतरनाक है. इस खेल में लड़ाके एक दूसरे के ऊपर हमला करते हैं और सामने से चेहरे पर हमला करते है. हैदराबाद मे मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स को ब्लड स्पॉट से जाना जाता है.

शहर के चारमीनार के रहने वाले मोहम्मद इमामुद्दीन नवेद को यह खेल विरासत मे मिला है. जब वह छोटे थे, तो दादा को यह खेल सिखाते और खेलते देखा. बड़े हुए, तो पिता को मार्शल आर्ट्स मुकाबलों मे हिस्सा लेते देखा. उसके बाद उन्होंने भी इस मैदान में खुद को साबित करने की कमर कस ली. उनके पिता ही उनके कोच बने और उन्होंने अपने बेटे को इस मैदान में माहिर कर दिया, जिसका नतीजा ये है कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रौशन करते हुए कई पदक हासिल किए हैं.

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मोहम्मद इमामुद्दीन एक खिलाड़ी को प्रशिक्षण देते हुए 


इस खेल में खुद के बचाव के गुर सिखाए जाते हैं, खेल में बाल खींचना, दांत काटना, कमर पर वार करना गलत है,

वे शहर के कई क्षेत्रों मे 12सेंटर चलाते हैं, जिसमें करीब 1500बच्चों को एमए ए के लिए तैयार कर रहे हैं. अब तक उनके बच्चों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते हैं.

इस खेल को फिल्मों में भी बढावा दिया गया है. सलमान खान की फिल्म ‘सुल्तान’ और अक्षय कुमार और सिद्धार्थ मल्होत्रा अभिनीत ‘ब्रदर्स’ ने भी इस खेल को पेश किया है.

मोहम्मद इमामुद्दीन नवेद यूनाइटेड एमेच्योर मुए थाई एसोसिएशन इंडिया (यूएएमएआई) के सहायक राष्ट्रीय कोच हैं, उन्होंने साल 2007मे चीन में आयोजित एशियाई इंडोर गेम्स मे कांस्य पदक हासिल किया और 7बार नेशनल चौंपियनशिप मे देश का नाम रौशन किया.

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मोहम्मद इमामुद्दीन


उन्होंने आवाज-द वाइस से बात करते हुए बताया कि “मेरे दादा और पिता को ये खेल खेलते हुए बच्चपन से देखा है. मेरे पिता एमएस जावेद ने मेरी बहुत कम उम्र में ट्रेनिंग शुरू कर दी थी. पिता के माध्यम से पहली बार कराटे, जू जित्सु, बॉक्सिंग, किक बॉक्सिंग, मय थाई, एमएमए आदि की विश्व स्तरीय प्रतिभाओं से परिचित कराया.”

वह आगे कहते है कि “मेरे पिता अब दुनिया मंे नहीं रहे, लेकिन उन्होंने जो मुझे टिप्स दिए हैं, उससे मुझे बहुत मदद मिलती हैं.”

उन्होंने आगे बताया कि फिलहाल कई बच्चों को तैयार कर रहा हूं. दो साल में कोरोना महामारी का असर पड़ा है. फिर भी कम ही बच्चों को सिखा रहे हैं. अभी तक सात बच्चे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं और एक सौ से ज्यादा बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर खेले हैं. तुर्की, बैंकॉक समेत कई देशों में देश का परचम लहराया है. कुछ दिनों के बाद जर्मनी मे मुकाबला होने वाला है इसको लेकर तैयारी जारी है.