साइक्लिंग में कश्मीर का पोस्टर बॉय है अकबर खान

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] • 2 Years ago
कश्मीर में साइक्लिंग का पोस्टर बॉय अकबर
कश्मीर में साइक्लिंग का पोस्टर बॉय अकबर

 

आवाज द वॉयस/ श्रीनगर

कश्मीर घाटी के श्रीनगर के नरबल-तंगमार्ग इलाके में गर्मियों की अलसभोर में आप श्रीनगर-गुलमर्ग हाइवे पर नौजवानों का एक झुंड देख सकते हैं. चुस्त कपड़े पहने और सर पर साइक्लिंग हेलमेट लगाए यह युवाओं का समूह साइक्लिंग पेशेवर हैं और अपनी रोजाना की प्रैक्टिस में 80 किमी साइकिल चलाते हैं.

इस समूह में एक मजबूत कद-काठी का नौजवान सबसे अलग दिखता है, जिसके बदन के कपड़े पसीने से गीले हो रहे हैं. जिस मेहनत से उसके पसीने निकले हैं उसी ने उसे तब से कामयाबी दिलवाई, जब वह काफी छोटे ही थे. नाम है, मोहम्मद अकबर खान.

अकबर खान मशहूर साइक्लिस्ट हैं जिनके हिस्से बहुत सारी कामयाबियां है. बाकी जाने दीजिए, यह शख्स कश्मीर घाटी के सैकड़ों नौजवानों के लिए प्रेरणा बना हुआ है.

अकबर, नरबल-गुलमर्ग हाइवे के दोनों तरफ बसे हुए चक-ए-कवूसा के रहने वाले हैं. शुरू से ही उन्हें साइक्लिंग का शौक था, और उनमें यह शौक पैदा किया था उनके बड़े भाई फिरोज खान ने.

असल में हुआ यूं कि उनके बड़े भाई, जो अब श्रीनगर के बर्न हॉल हाइस्कूल के स्पोर्टस शिक्षक हैं, इंटर-कॉवेज प्रतिस्पर्धा में सामान्य साइकिल से ही स्वर्ण पदक जीत लाए. इस जीत ने अकबर को भी प्रेरित कर दिया.

अकबर लगातार साइकिल चलाने लगे और उनकी मेहनत ने उन्हें इसका नतीजा भी दिया. कॉलेज स्तर पर वह लगातार तीन गोल्ड मेडल जीत गए.

बतौर छात्र अकबर अमर सिंह कालेज का प्रतिनिधित्व कर रहे थे और वहां उसके प्रदर्शन ने स्पोर्ट्स कोटे में गांदरबल के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन में बीएड में दाखिला दिलवाने में मदद की. साइक्लिंग के लिए उनका अगला पड़ाव गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी था जहां उन्होंने ऑल इंडिया इंटर-कॉलेज साइक्लिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और दो सोने के तमगे झटके. इन के साथ ही वहां उनका दाखिला एमपीएड में हो गया.

स्पोर्ट्स एजुकेशन में और अधिक विशेषज्ञता हासिल करने के लिए 2018 में उन्होंने श्री वेंकटरेश्वर यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश में पीएचडी में दाखिला ले लिया.

जल्द ही, अकबर सुर्खियों में जगह पाने लगे और स्पॉन्सर उनकी खोज करने लगे. अब अकबर कहते हैं, “कई लोग मेरे पास मदद के लिए आए और उनकी मदद के बिना मैं कामयाब नहीं हो सकता था.”  अब तक अकबर ने पांच राष्ट्रीय चैंपियनशिप में हिस्सा लिया है, जिसमें से दो में वह सोना जीतने में सफल रहे हैं. 2011 में, वह राष्टीय खेलों में भी शामिल हुए थे. यही नहीं, अकबर भारतीय साइक्लिंग टीम के साल भर से ज्यादा वक्त तक सदस्य रहे, जहां उन्होंने इस खेल की बारीकियां सीखीं.

अकबर कहते हैं, “बहुत कुछ सीखा, खासतौर पर फिट रहना, जो इस खेल में बहुत जरूरी है, जहां शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूती बहुत चाहिए होता है.”

अकबर के लिए सुनहरा पल तब आया, जब 2014 में उन्होंने तब के जम्मू-कश्मीर राज्य की तरफ से राष्ट्रीय रोड साइक्लिंग स्पर्धा में हिस्सा लिया और खिताब जीता. उनकी इस जीत ने कश्मीर में साइक्लिंग की ओर युवाओं का झुकाव बढ़ा दिया, खासतौर पर बडगाम के मागम में. अकबर को गृहनगर मागम में तो साइक्लिंग इतना लोकप्रिय हो गया कि उसे कश्मीर की साइक्लिंग राजधानी कहा जाने लगा है.

अकबर की इस जीत से उत्साहित होकर 2016 में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने उन्हें पेशेवर मेरीडा रिएक्टो 5000 साइकिल भेंट की, जिसकी कीमत 2.8 लाख रुपए है.

अकबर ने सुनहरा रास्ता तय किया है और जाहिर है उसमें उनकी कड़ी मेहनत की खाद और पसीने की सिंचाई लगी है. पर, वह अब भविष्य की ओर देख रहे हैं, और अधिक जीतों के ख्वाब उस नौजवान की आंखों में तैरते हैं जो बिला शक कश्मीर में साइक्लिंग का पोस्टर बॉय है.