भारोत्तोलकों के लिए बड़ा प्रोत्साहन: कर्णम मल्लेश्वरी

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 25-07-2021
मीराबाई का पदक युवा भारोत्तोलकों के लिए  बड़ा प्रोत्साहन: कर्णम मल्लेश्वरी
मीराबाई का पदक युवा भारोत्तोलकों के लिए बड़ा प्रोत्साहन: कर्णम मल्लेश्वरी

 

मुंबई. भारतीय भारोत्तोलन की दो दिग्गज कर्णम मल्लेश्वरी और एन. कुंजारानी देवी ने शनिवार को टोक्यो ओलंपिक में महिलाओं के 49 किग्रा भारोत्तोलन में रजत पदक विजेता सैखोम मीराबाई चानू को उनके  संकल्प, इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत के लिए बधाई दी, जिसकी मदद से वह 2016 रियो ओलंपिक में एक विनाशकारी अभियान से उबर सकीं.
 
2000 में सिडनी में ओलंपिक में व्यक्तिगत पदक जीतने वाली पहली भारतीय भारोत्तोलक कर्णम ने कहा, रियो डी जनेरियो में उनका दिन बहुत खराब रहा था लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी, अपनी प्रगति को बाधित नहीं होने दिया. उन्होंने कड़ी मेहनत की, अपनी तकनीक में सुधार किया और आज भारत के लिए रजत पदक जीता है. यह एक बड़ी उपलब्धि है कि एक भारोत्तोलक ने 21 साल के अंतराल के बाद भारत के लिए पदक जीता है.
 
कर्णम ने सिडनी में महिलाओं के 69 किग्रा में कांस्य पदक जीता था, जो ओलंपिक के उस संस्करण में एकमात्र पदक था. पहलवान केडी जाधव (1952 हेलसिंकी) और टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस (1996 अटलांटा गेम्स) के बाद यह किसी भारतीय एथलीट द्वारा जीता गया केवल तीसरा व्यक्तिगत पदक था. दोनों ने कांस्य पदक जीते थे.
 
कर्णम ने कहा कि मीराबाई की उपलब्धि आगामी भारोत्तोलकों को प्रेरित करेगी.
 
कर्णम ने आधिकारिक प्रसारक के साथ एक साक्षात्कार में कहा, मैं इसे भारत में भारोत्तोलन के लिए एक सकारात्मक विकास के रूप में देखती हूं क्योंकि यह अगली पीढ़ी के भारोत्तोलकों को प्रेरित करेगा. यह देश में भारोत्तोलन संस्कृति को बढ़ावा देगा क्योंकि खेल हाल ही में बहुत सारे मुद्दों का सामना कर रहा है. युवा भारोत्तोलकों को लगेगा कि अगर वह यह कर सकते हैं, वे भी कर सकते हैं. यह युवा भारोत्तोलकों के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है और खेल के लिए एक नया द्वार खोलेगा."
 
कर्णम ने कहा, टोक्यो ओलंपिक का पहला पदक होने के नाते, और प्रतियोगिताओं के पहले दिन आने से, इसने भारतीय खेमे में निराशा को दूर कर दिया है क्योंकि हमने पदक के कुछ अवसर गंवाए थे। इससे दल के अन्य सदस्यों को आत्मविश्वास मिलेगा.
 
1989 में मैनचेस्टर विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय भारोत्तोलक कुंजारानी देवी ने कहा कि मीराबाई के  संकल्प, कड़ी मेहनत और इच्छाशक्ति ने उन्हें यहां तक पहुंचाया है.
 
कुंजारानी ने कहा,  उनमें  इच्छाशक्ति है, जो रियो डी जनेरियो में मिली निराशा के बाद उनकी वापसी से स्पष्ट है. मुझे बहुत गर्व है कि मेरे गृह राज्य मणिपुर की एक लड़की और एक भारोत्तोलक ने टोक्यो ओलंपिक में भारत का पहला पदक जीता है. यह मीराबाई के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.