आवाज द वाॅयस / टोक्या
भारत की महिला हॉकी टीम ने इतिहास रचते हुए सोमवार को अपने से कहीं अधिक मजबूत तीन बार की ओलंपिक चैंपियन आस्ट्रेलिया को 1-0से हराकर टोक्यो ओलंपिक के सेमीफाइनल में जगह बना ली है. खास बात है कि महिला टीम पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची है. अब उसका सामना 4अगस्त को वल्र्ड नंबर-5अर्जेटीना से होगा. इसने जर्मनी को हराया.
ओई हॉकी स्टेडियम नॉर्थ पिच -2पर खेले गए इस एतिहासिक मैच में हाकेरूज नाम से मशहूर आस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ मैच का एकमात्र गोल 22वें मिनट में गुरजीत कौर ने किया. यह गोल पेनाल्टी कार्नर पर हुआ.
दुनिया की नौवें नंबर की भारतीय टीम ने तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए दुनिया की नंबर-2आस्ट्रेलिया को हराया और पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची. अब उसका सामना 4अगस्त को वल्र्ड नम्बर-5अजेर्टीना से होगा, जिसने जर्मनी को हराया.
भारत अपने तीसरे ओलंपिक में खेल रहा है. मास्को (1980) के 36साल के बाद उसने रियो ओलंपिक (2016) के लिए क्वालीफाई किया था.मास्को ओलंपिक में महिला हॉकी टूर्नामेंट 25जुलाई से शुरू होकर 31जुलाई तक चला था. इसमें सिर्फ छह टीमों ने हिस्सा लिया था.
जिम्बाब्वे ने पूल चरण के समापन पर पूल के शीर्ष पर स्वर्ण पदक जीता. चेकोस्लोवाकिया और सोवियत संघ ने क्रमशः रजत और कांस्य पदक जीता.भारत ने पूल में पांच मैचों में दो जीत हासिल की थी. उसका एक मैच ड्रॉ रहा था जबकि उसे दो मैचों में हार मिली थी. पांच अंकों के साथ भारत अंतिम रूप से चैथे स्थान पर रहा था.
इसके बाद भारत ने 2016के रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया लेकिन वह 12टीमों के टूर्नामेंट में अंतिम स्थान पर रही थी. भारत को पूल स्तर पर पांच मैचों में सिर्फ एक ड्रॉ नसीब हुआ था.
टोक्यो ओलंपिक भारतीय हॉकी के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ है. महिला टीम के साथ-साथ पुरुष टीम भी सेमीफाइनल में पहुंच गई है. भारतीय हॉकी के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि दोनों टीमें मेडल राउंड में पहुंची हैं.
पूल स्तर पर लगातार तीन मैच गंवाने के बाद महिलाओं ने जिस तरह से वापसी की और लगातार दो मैच जीतकर अपने लिए नॉकआउट में जाने की जमीन तैयार की. इसके लिए भी हालांकि इनको किस्मत के सहारे की जरूरत थी. ब्रिटेन के हाथों आयरलैंड की हर के साथ यह सहारा मिल गया और इसके बाद उसे आस्ट्रेलिया की मजबूत टीम की बाधा पार करनी थी.
भारतीय टीम के पास खोने के लिए कुछ नहीं था उसे बस दिल खोलकर खेलना था और उसने यही किया. आस्ट्रेलिया के हर हमले को नाकाम कर भारतीय टीम ने 22वें मिनट में सफलता हासिल की और महादुर शेरनियों की तरह लड़ते हुए मजबूत हाकीरूज के खिलाफ इस स्कोर का बचाव किया.
यह मैच भारतीय हॉकी के इतिहास के सबसे बड़े मैचों में से एक है और इसे सदियों तक याद रखा जाएगा. अर्जेटीना के खिलाफ सेमीफाइनल का परिणाम चाहें जो हो, लेकिन भारतीय टीम ने इतिहास रच दिया है. अब वह सेमीफाइनल में भी इसी तरह बिना दबाव के खेले तो उसे पदक जीतने से कोई नहीं रोक सकता.
इससे पहले, सोमवार को ही खेले गए पहले क्वार्टर फाइनल में अर्जेटीना ने जर्मनी को 3-0 से हराया.