बिलाल अहमदः कश्मीरी ताइक्वांडो खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय इवेंट में हुए चयनित

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 26-06-2022
बिलाल अहमद
बिलाल अहमद

 

बडगाम. जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले के एक ताइक्वांडो खिलाड़ी बिलाल अहमद ने साबित कर दिया है कि अगर कोई दृढ़ संकल्प है, तो वह कुछ भी हासिल कर सकता है. अब वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करेंगे.

आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आने वाले अहमद ने अपने स्कूल के दिनों से ही खेल खेलना शुरू कर दिया था. खेल केवल शहरों में ही खेले जा सकते थे, क्योंकि कश्मीर के गांवों और दूर-दराज के इलाकों में खेल खेलने और उसमें करियर बनाने के लिए बमुश्किल कोई सुविधा थी. लेकिन अहमद ने अपना दृढ़ संकल्प बनाए रखा और ताइक्वांडो में राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बन गए. उन्हें अच्छी तरह से प्रोत्साहित किया गया और कठोर सर्दियों में श्रीनगर में अभ्यास के लिए जाना शुरू कर दिया. उनकी मेहनत से उनका स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर की चैंपियनशिप के लिए चयन होने लगा.

अहमद ने कहा, ‘‘मैंने बडगाम के एक स्कूल में 5वीं कक्षा में दाखिला लिया. उस स्कूल में सैयद शुजा नाम के एक कोच ने मार्शल आर्ट में मेरा मार्गदर्शन किया, तब से मैंने मार्शल आर्ट का अभ्यास करना शुरू कर दिया और यह अभी भी चल रहा है. उन्होंने मुझे एक साल के लिए कोचिंग दी जिसके बाद मैंने 2-3 साल तक घर पर अभ्यास करना जारी रखा.’’

‘‘उन्होंने मेरा बहुत समर्थन किया और मुझे जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने मुझे यह भी बताया कि मैं एक अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में भाग ले सकता हूं. मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूं. मैं अपने खर्चों को पूरा नहीं कर सका. इसलिए मेरे कोच ने मुझे बहुत सपोर्ट किया. वह कम फीस ले रहा था और मेरे लिए अपनी जेब से भुगतान भी कर रहा था, क्योंकि मैं अच्छा खेल रहा था.’’

उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी हैं और अहमद के परिवार में कुल तीन भाई भी हैं. उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मेरे पिता और कोच ने मेरा बहुत समर्थन किया. इस तरह मैं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में आगे बढ़ने में सक्षम हुआ.’’

उन्होंने पहली बार 2012 में एक जिला स्तरीय कार्यक्रम में भाग लिया था. फिर उन्हें राज्य स्तर पर जम्मू के लिए चुना गया और उन्होंने वहां पहला स्थान हासिल किया. बाद में उनका राष्ट्रीय स्तर के लिए चयन हो गया.

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा पहला राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम पंजाब में था जहां मुझे कोई पदक नहीं मिला. लेकिन मैंने 2014 में दिल्ली में अपने राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में रजत जीता. बाद में, मैंने राष्ट्रीय स्तर पर भी स्वर्ण पदक जीता. मुझे हाल ही में बैंकॉक में एक अंतरराष्ट्रीय इवेंट के लिए चुना गया. मेरे कोच ने इसके लिए मेरा बहुत समर्थन किया.’’

इन चैंपियनशिप में उनके प्रदर्शन ने उन्हें स्थानीय स्तर पर काफी पहचान दिलाई है और कई युवा उनकी कड़ी मेहनत से प्रेरित हैं. अहमद ने आने वाली पीढ़ी के खिलाड़ियों को कोचिंग देना शुरू किया, जो एक स्थानीय अकादमी में अपने सीनियर्स से खुद कोचिंग प्राप्त करते हुए खेल के लिए जुनून रखते हैं.

अहमद बताते हैं कि ताइक्वांडो के खेल में फिटनेस और लचीलेपन की आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा, ‘‘यह आत्मरक्षा का खेल है.’’

वह उस खेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर की चैंपियनशिप की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें वह अपने देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना चाहते हैं. उन्हें विशेषज्ञों और कोचों के मार्गदर्शन में बहुत अच्छा प्रशिक्षण मिल रहा है और उन्हें उम्मीद है कि वह स्वर्ण जीतेंगे और अपने देश को गौरवान्वित करेंगे.

उनके कोच सैयद शुजा ने कहा, ‘‘मैंने उनकी प्रतिभा को देखा और उस पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने खुद घर पर बहुत अभ्यास किया और बहुत काम किया. मुझे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए उनके चयन पर गर्व महसूस होता है. मैं अन्य बच्चों को बताना चाहता हूं कि वे भी ऐसा कर सकते हैं. हम इस प्रतिभा को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में आगे ले जाना चाहते हैं.’’