आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली /काबुल
अफगान महिला जूनियर फुटबॉल टीम ने ब्रिटिश सरकार से राजनीतिक शरण देने की गुहार लगाई है.तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान से निकलने के बाद महिला फुटबॉल टीम पाकिस्तान के लाहौर शहर के एक होटल में ठहरी हुई है. इमरजेंसी वीजा खत्म होने के बाद उन्हें दो दिनों बाद 12 अक्टूबर को पाकिस्तान छोड़ना होगा. इसके अलावा उन्हें पाकिस्तान बिल्कुल भी रास नहीं आ रहा है.
अभी रॉकेट फाउंडेशन 13से 19वर्ष की खिलाड़ियों, कोचों और उनके परिवारों के 94लोगों को वित्तीय सहायता मुहैया करवा रहा है.अभी महिला फुटबॉल टीम घर नहीं लौट सकती. उन्हें तालिबान से धमकियां मिल रही हैं.
टीम की एक सदस्य नरगिस ने बताया, ‘‘हम केवल इतना जानते हैं कि हम अफगानिस्तान वापस नहीं जा सकते.‘‘ मैं चाहती हूं कि यूके हमारा मेजबान देश बन जाए.उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमें मेजबान मिलता है, तो हमें एक नया जीवन मिलेगा. हम भविष्य में अच्छे फुटबॉल खिलाड़ी भी होंगे.‘‘
बता दें, ब्रिटेन ने अगले कुछ वर्षों में 20,000 अफगानों को समायोजित करने का वादा किया है.अफगानिस्तान की सीनियर फुटबॉल टीम को ऑस्ट्रेलिया ने पनाह दी हुई है. जूनियर टीम को अफगानिस्तान से बाहर निकलने में मशक्कत करनी पड़ी थी. नरगिस का कहना है,‘‘तालिबान हिंसक हैं.‘‘ उन्होंने हमें धमकी दी है. चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हमें कोई देश शरणार्थी के रूप में मान्यता नहीं दे रहा है. हम नहीं जानते कि अब हमारा क्या होगा. हम क्या कर सकते हैं.‘‘
खिलाड़ियों का कहना है कि वे पढ़ना चाहती हैं और फुटबॉल खेलना चाहते हैं.नरगिस ने कहा, ‘हम ऐसी मुश्किल स्थिति में फुटबॉल खेल रहे थे. हम वास्तव में फुटबॉल से प्यार करते हैं. हमारे लिए इसका मतलब आजादी है. जब हम साथ होते हैं, हमें लगता है कि हम जिंदा हैं.‘‘
रॉकेट फाउंडेशन की प्रमुख ऐनी मैरी गिल ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि ब्रिटिश सरकार उन्हें वीजा जारी करे.‘‘ अगर हमें उनके लिए मेजबान देश नहीं मिला, तो उन्हें वापस सीमा पर ले जाया जाएगा.‘‘