बाॅलीवुड से क्यों विलुप्त हो रहे पुराने मुस्लिम किरदार

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 13-02-2021
बाॅलीवुड से क्यों विलुप्त हो रहे पुराने मुस्लिम किरदार
बाॅलीवुड से क्यों विलुप्त हो रहे पुराने मुस्लिम किरदार

 

amarnath pathakडाॅ.अमरनाथ पाठक 

'सारी दुनियां का बोझ हम उठाते हैं...लोग आते हैं लोग जाते हैं...हम वहीं के वहीं रह जाते है'.  यह मशहूर गाना है मनमोहन देसाई की बहुचर्चित फिल्म ' कुली ' का . अमिताभ बच्चन ने इकबाल की भूमिका में यह गाना गाया था. इस फिल्म में इकबाल का बिल्ला नंबर-786 भी काफी मशहूर हुआ था. इकबाल हरदिल अजीज व सारी दुनियां का बोझ उठाने वाला कैरेक्टर था.
 
मनमोहन देसाई की दूसरी सुपरहिट फिल्म ' अमर अकबर एंथोनी ' का अकबर (श्रृषि कपूर) दोस्तों पर जान न्योछावर  करने वाला बंदा है.' 'परदा है परदा..परदे के पीछे परदा नशीं है....अकबर (श्रृषि कपूर) की इस कव्वाली ने लोकप्रियता के कीर्तिमान स्थापित किये थे. दरअसल मनमोहन देसाई की कोई भी फिल्म सशक्त राष्ट्रवादी मुस्लिम किरदार के बगैर नहीं बनती थी.

फिल्म शोले के अहमद चाचा(ए के हंगल) जंजीर के शेर खान (प्राण) मल्टी स्टारर  फिल्म 'शान' के विकलांग अब्दुल ने  (मजहर खान) देशद्रोही अपराधी कुलभूषण खरबंदा की जासूसी में अपनी जान गवां दी थी. मजहर खान का यह अलमस्त गाना 'आते-जाते हुए मैं सब पे नजर रखता हूं..नाम अब्दुल है मेरा सबकी खबर रखता हूं...' काफी लोकप्रिय हुआ था. इसके पूर्व हिन्दुस्तान की बहुआयामी संस्कृति पर बनी फिल्में पाकीजा,चौदहवीं का चांद,मेरे हुजूर,शमा,उमराव जान,माचिस,निकाह, बाॅम्बे आदि मुस्लिम पृष्ठभूमि पर बनी फिल्में काफी लोकप्रिय हुई.
 
90 के दशक के बाद से हिन्दी फिल्मों में मुस्लिम किरदारों के नैरेटिव बदलने लगे। फिल्म ' 'आमिर ' में मुस्लिम किरदार को आतंकी बनाया गया. फिल्म फिजा में मुस्लिम किरदार का विरोधाभाषी किरदार नजर आया. यह बाॅलीवुड में मुस्लिम किरदार को नकारात्मक भूमिका में पेश करने का टर्निंग प्वाइंट था. फिल्म फना में आमिर खान को आतंकी की भूमिका में पेश किया गया. फिल्म का क्लाइमेक्स यह था कि उसकी पत्नी काजोल को जब पता चलता है कि उसका पति आतंकी है तब वह खुद उसे गोली मार देती है.
 
फिल्म 'गजनी' का  खलनायक 'गजनी' को मुस्लिम खलनायक के रूप में पेश किया जाता है. फिल्म राजी में आलिया भट्ट के पति को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी व आर्मी का जासूस बनाकर पेश किया जाता है. फिल्म हाॅलीडे में फिल्म का नायक अक्षय कुमार आर्मी अफसर है और छुट्टी में अपने घर आया हुआ है. उसका सामना मुस्लिम स्लीपर सेल से होता है और वह उसका खात्मा करता है.तात्पर्य यह है कि बारास्ता फिल्म हमारे समाज के एक प्रमुख घटक  'मुसलमानो' का चरित्र नकारात्मक भूमिका के साथ सामने आ रहा है.

फिल्म समाज में जागरूकता फैलाने का सशक्त माध्यम है. "हिन्दुस्तान में हमे डर लगता है." इस नैरेटिव के बाद देश में जो  हालात बन गये  हैं,  उसमें परिवर्तन लाने केलिए फिल्मों में सशक्त राष्ट्रवादी मुस्लिम किरदार एक बार फिर से गढ़े जाने की आवश्यकता है. तभी हमारे देश की  'गंगा-जमुनी तहजीब व चरित्र' की वास्तविक पहचान कायम रह सकती है.
 
(  लेखक साहित्यकार तथा मगध विश्वविद्यालय, बोधगया में प्रशासनिक पदाधिकारी हैं)