धार्मिक कट्टरता से देश का हो रहा है नुकसान

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 17-07-2022
धार्मिक कट्टरता से देश का हो रहा है नुकसान
धार्मिक कट्टरता से देश का हो रहा है नुकसान

 

डॉ शुजात अली कादरी

राजनीति विज्ञान के सख्त अर्थ में, केवल छह देश धर्म पर आधारित हैं. इनमें से पांच इस्लामिक हैं. वेटिकन एक ईसाई देश है, लेकिन सभी जानते हैं कि एक हजार से कम आबादी वाले देश का पूरा अस्तित्व इटली पर निर्भर करता है.

अफगानिस्तान, ईरान, सऊदी अरब, मॉरिटानिया और यमन जैसे इन पांच इस्लामी देशों में से, एक सापेक्ष शांति केवल सऊदी अरब में इसकी बेहतर आर्थिक स्थिति के कारण बनी हुई है.
 
सऊदी अरब अपने प्राकृतिक संसाधनों और मक्का और मदीना की तीर्थयात्रा पर आर्थिक निर्भरता के कारण मानव जीवन की स्थिति और जीवन की गुणवत्ता के वैश्विक सूचकांकों में बेहतर स्थान पर है.
 
यह हज, इस्लामी आस्था का केंद्र. हमारा मतलब है कि न केवल धर्म आधारित राज्य बल्कि धर्म की राजनीति ने उन देशों के विकास और समृद्धि को रोक दिया है जो लोकतांत्रिक तो हो सकते हैं, लेकिन उनका आचरण कट्टर है.
 
दुनिया में मानव जीवन स्तर, समृद्धि, विकास और नागरिक-राज्य संबंधों के आधार पर प्रॉस्पेरिटी इंडेक्स 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान 167 देशों में से 163 वें स्थान पर है.
 
इसी तरह, यमन 165वें, मॉरिटानिया 153, ईरान 123वें स्थान पर है. जैसा कि हमने कहा, सऊदी अरब 75वें स्थान पर है, क्योंकि इसकी आर्थिक स्थिति बेहतर है. यह रिपोर्ट भारत को 101, पाकिस्तान को 138, बांग्लादेश को 126 रैंकिंग देती है.
 
इसी तरह वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिस्क रिपोर्ट 2022 यानी ने समाप्त होने वाले सामाजिक संबंधों को दुनिया के सामने मौजूद 10 प्रमुख खतरों में चौथा सबसे बड़ा खतरा माना है.
 
हमेशा व्यापार और लाभ के आधार पर देखा जाने वाला संगठन भी मानता है कि सामाजिक संबंधों में गिरावट दुनिया की स्थिरता के लिए चौथा सबसे बड़ा खतरा है.
 
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन ने 2017 में माया मीरचंदानी की एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की. यह केरल के एक युवक अशफाक मजीद को संदर्भित करता है, जो 2016 में अफगानिस्तान चला गया था.
 
उसने अपने परिवार के सदस्यों को इस्लाम के घर में आने के लिए भी कहा. हालांकि, उसके परिवार ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी को उसके ठिकाने के बारे में बता दिया.
 
युवक के घर वाले और परिचित हैरान थे कि जब वह इतना कट्टर हो गया तो वे अनजान कैसे बने रहे. यह साइबर कट्टरता की एक प्रक्रिया का हिस्सा है जो धार्मिक कट्टरता, अलगाव और प्रतिशोध को भीतर से बढ़ावा देता है.
 
इसी तरह की कट्टरता उदयपुर के उस युवक में भी आ गई होगी, जिसने पिछले महीने एक दर्जी कन्हैयालाल की हत्या कर दी. इंटरनेट पर अनावश्यक, गैर-बुद्धिमान और असंपादित सामग्री की उपलब्धता इतनी अधिक हो गई है कि इसे सुलझाना लगभग असंभव होता जा रहा है.
 
यह डार्क वेब के माध्यम से नहीं बल्कि खुले प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध सामग्री के माध्यम से हो रहा है, जो वेबसाइटों, यूट्यूब और टेलीग्राम चौनलों पर आसानी से उपलब्ध हैं.
 
हिंदुत्व की ऐसी ही असंपादित, दिशाहीन और भ्रामक सामग्री भी मौजूद है. ऐसी कई घटनाओं में, एक वीभत्स घटना है मुसलमानों की लिंचिंग की लाइव-स्ट्रीमिंग, जैसा कि शंभूलाल रायगर द्वारा उसी उदयपुर में एक मुस्लिम मजदूर की कुल्हाड़ी से हत्या करने के मामले में हुआ था.
 
विडंबना यह है कि इस तरह की हृदय विदारक घटनाओं पर किसी तरह काबू पाया जा सकता है, लेकिन इस तरह की हत्याओं के मद्देनजर गुमराह करने वाले संदेश और बदला लेने के आह्वान इंटरनेट के माध्यम से बेहिसाब आते हैं. ऐसे वीडियो को कंट्रोल करना बहुत मुश्किल होता है.
 
एक और कारक जो इस तरह की घातक सामग्री की निगरानी और जांच करना मुश्किल बनाता है, वह है ऐसी सामग्री के बारे में सरकार का चयनात्मक दृष्टिकोण.
 
शांति के साथ आर्थिक स्थिति पर शोध करने वाली संस्था द इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमी एंड पीस की 2022 की अपनी रिपोर्ट में 163 देशों को शामिल किया गया है, जिसमें भारत की रैंकिंग 135 है. रिपोर्ट के मुताबिक देश में शांति की यह स्थिति है, जो कम स्तर है. पाकिस्तान की रैंकिंग 147 है, जबकि इजराइल को 134वां स्थान मिला है. कहने की जरूरत नहीं है कि धार्मिक कट्टरता ने इन देशों की शांति और समृद्धि को प्रभावित किया है.

इस रिपोर्ट के पेज नंबर 5 पर कहा गया है कि जिन देशों में शांति में सबसे तेज गिरावट देखी गई, वे हैं भारत, कोलंबिया, बांग्लादेश और ब्राजील. भारत के संदर्भ में शांति और विकास के संबंध पर रिपोर्ट जारी करने वाली संस्था पेज 23 पर लिखती है कि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच लगातार हो रही सांप्रदायिक हिंसा देश में इस तरह के पतन का कारण है.
 
जैसा कि हमने इस रिपोर्ट में उल्लेख किया है, भारत की वैश्विक रैंकिंग 135 है, जो निस्संदेह पाकिस्तान और अफगानिस्तान से ऊपर है. लेकिन गौर करने वाली बात है कि भूटान जैसे छोटे देश की रैंकिंग 19, नेपाल 73, श्रीलंका 90 और बांग्लादेश 96 है.
 
यह रिपोर्ट श्रीलंका के आर्थिक संकट से पहले प्रकाशित हुई थी. धर्म आधारित हिंसा के संदर्भ में यह रिपोर्ट कई जगहों पर भारत का जिक्र करती है. हिंसा की दर को देखते हुए भारत में एक करोड़ डॉलर से ज्यादा के नुकसान का अनुमान लगाया गया है.
 
हमने यहां चार प्रकार के उदाहरण देखे हैं. राजनीतिक शक्ति पर आधारित धर्म आधारित राज्य की वास्तविकता, विश्व समृद्धि सूचकांक, विश्व आर्थिक मंच की जोखिम रिपोर्ट और शांति और विकास के बीच संबंधों पर एक विस्तृत रिपोर्ट.