बांग्लादेश : हमारी धर्मनिरपेक्षता के लिए एक झटका

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 21-10-2021
धर्मनिरपेक्षता के लिए एक झटका
धर्मनिरपेक्षता के लिए एक झटका

 

मेहमान का पन्ना

सलीम समद

फकीर लालन शाह की131वीं पुण्यतिथि 16 अक्टूबर को थी. उनका सबसे लोकप्रिय गीत: "ओ हम कब तक प्रतीक्षा करें / एक समाज के जन्म के लिए / जहां जाति और वर्ग और लेबल / जैसे हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध, ईसाई / इच्छा भुला दिया जाएगा?/और कोई भी निर्दोष को ठगने/उनके उद्धारकर्ता होने का नाटक करने वाला नहीं होगा/न ही कोई धर्मांध नहीं होगा."

गार्जियन अखबार लिखता है, "दुर्गा पूजा उत्सव के लिए स्थापित 80से अधिक विशेष मंदिरों पर हमला किया गया, जिसमें लगभग 150हिंदू घायल हुए और दो मारे गए."

कई शोधकर्ताओं ने इसे सबसे खराब नस्लीय दंगा, मंदिरों की अपवित्रता और हिंदुओं के घरों पर हमले करार दिया और इसकी तुलना चुनाव के बाद की हिंसा से की, जो तब हुई जब खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी, इस्लामिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी के साथ 1अक्टूबर 2001को सत्ता गठबंधन में बह गई. हजारों हिंदुओं ने पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल, भारत में शरण ली.

अगर किसी देश को धर्म, आस्था और राजनीतिक विचारधारा के आधार पर बांटा जाता है, तो इसका मतलब है कि वह देश पाकिस्तान के नक्शेकदम पर चल रहा है.

समाज, राजनीति और अर्थव्यवस्था पर हावी होना बहुसंख्यकों का नियम है. यहां बहुसंख्यक मुसलमान हैं और केवल लगभग 12.73 मिलियन आबादी हिंदू (8.5%) हैं - बाकी बौद्ध, ईसाई और जातीय समुदाय हैं.

अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण की जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से बहुसंख्यकों पर है. बहुमत के पास राज्य और राजनीति का बड़ा हिस्सा है. इस प्रकार, सत्तारूढ़ दल द्वारा शासित राज्य को अल्पसंख्यकों की रक्षा करनी होगी और सुरक्षा, सुरक्षा और सुरक्षा प्रदान करनी होगी.

लेखक और शोधकर्ता मोहिउद्दीन अहमद के अनुसार, दुनिया में कहीं भी नस्लीय संघर्ष या सांप्रदायिक हिंसा राज्य और राजनेताओं के मौन सहमति के बिना नहीं हुई, चाहे वह बोस्निया, गुजरात, अराकान, नसीरनगर, या दिल्ली हो.

दिलचस्प बात यह है कि इसके कुछ ही घंटों बाद, नवंबर 2016में संघर्ष को भड़काने के लिए कथित रूप से जिम्मेदार सत्तारूढ़ दल के नेताओं का नामांकन छीन लिया गया है, और वे ब्राह्मणबरिया में स्थानीय सरकार के चुनावों में भाग नहीं ले सकते हैं.

पहली प्रतिक्रिया में, दो अपराधियों को पहले स्थान पर नामांकन क्यों दिया गया?

क्या स्थानीय सरकार के चुनावों के लिए प्रत्याशियों के चयन के लिए जिम्मेदार उन नेताओं को सार्वजनिक माफी नहीं मांगनी चाहिए? उन्हें राजनीति और अपराध से समझौता करने में अपनी भूलों को भी स्वीकार करना चाहिए.

पिछले 20वर्षों में, राज्य अपराधियों और गुंडों को न्याय दिलाने में विफल रहा है. उन्होंने दण्ड से मुक्ति का आनंद लिया है, और इससे हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की लहर दौड़ गई है.

आज नागरिक समाज और नागरिक समूह को पत्रकार और धर्मनिरपेक्षतावादी सैयद अबुल मोकसूद की याद आती है, जो धर्मनिरपेक्षता, बहुलवाद, सहिष्णुता और घृणा अपराध के मुद्दे पर मुखर थे. मोकसूद का पिछले फरवरी में निधन हो गया था, और उसके पैरों के निशान लगभग सभी शहरों, जिलों,कस्बों और गांवों में पाए जाएंगे, जहां कहीं भी संघर्ष हुआ था.  

उन्होंने अधिकारियों से अपराधियों की पहचान करने और घृणा अपराध में शामिल लोगों की सूची तैयार करने का आग्रह किया, विशेष रूप से वे जिन्होंने हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रचार किया.

 

पहली बार ढाका ट्रिब्यून में प्रकाशित, 19 अक्टूबर 2021

(सलीम समद एक स्वतंत्र पत्रकार, मीडिया अधिकार रक्षक, अशोक फैलोशिप और हेलमैन-हैमेट पुरस्कार के प्राप्तकर्ता हैं.)