पीएम नरेंद्र मोदीः मुस्लिम देशों से रिश्ते हुए प्रगाढ़

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] • 2 Years ago
पीएम नरेंद्र मोदी और प्रिंस सलमान
पीएम नरेंद्र मोदी और प्रिंस सलमान

 

hashmiमलिक असगर हाशमी
 
क्या आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व क्षमता, योग्यता, बुद्धि और सामर्थ्य के बारे में जानते हैं. उनके मुस्लिम देशों से संबंध के बारे में आपकी कितनी जानकारी है? यदि यह प्रश्न देश के किसी मुसलमान से पूछा जाए तो हो सकता है कि वह इन का उत्तर सीधा न देकर गोल-मोल देने की कोशिश करे.
 
इसकी कई वजहें हैं. मोदी सरकार के कुछ फैसलों से उसे नाराजगी रही होगी. मगर इसी प्रश्न का उत्तर जब ढूंढने निकलेंगे तो आप चौक जाएंगे. नरेंद्र मोदी अब तक के भारत के इकलौते प्रधानमंत्री हैं,  जिन्होंने पिछले सात सालों में (दो साल करोना के कारण छोड़ दें ) सबसे अधिक मुस्लिम देशों का दौरा करने का कृतिमान स्थापित किया है.
 
यही नहीं मोदी राज में भारत के मुस्लिम देशों से इस कदर प्रगाढ़ संबंध हुए हैं कि 2018 में मुस्लिम बहुल देश बांग्लादेश 57 मुस्लिम देशों के संगठन आईओसी में भारत को इन तर्कों के साथ सदस्यता दिलाने की वकालत कर चुका है कि यह दुनिया का तीसरा मुल्क है जहां मुसलमान सर्वाधिक संख्या में रहते हैं.
 
 मोदी जी को लेकर एक बात और कही जाती है. वह यह कि इंदिरा गांधी के बाद वे ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिनकी पहल पर भारत का मुस्लिम देशों में खासा पैठ बढ़ा है. इंदिरा गांधी और उनके बाद के प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में ले-दे कर फिलिस्तीन के यासिर अराफात का चेहरा ही भारत में प्रायः दिखता था. मगर पिछले सात वर्षों में भारत कई मुस्लिम देशों के प्रतिनिधियों का स्वागत कर चुका है.
 
मोदी के व्यक्तित्व का प्रभाव है कि सऊदी अरब के किंग सलमान उन्हें अपना दोस्त बताते हैं. मोदी को अपने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दे चुके हैं. यूएई में भी मोदी को सर्वोच्च नागरिकता सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ जायद‘ से नवाजा जा चुका है.
 
मोदी मुस्लिम देश फिलिस्तीन के सर्वोच्च नागरिकता सम्मान ’ग्रैंड काॅलर’ से नवाजे जा चुके हैं. सम्मानों के इस श्रृंखला में अफगानिस्तान का ‘आमिर अमानुल्लाह खान सर्वोच्च नागरिकता सम्मान भी मोदी को मिल चुका है.
 
मोदी अपने पिछले कार्यकाल में तीन मुस्लिम देशों की यात्रा कर चुके हैं.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विभिन्न द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर बहरीन के राजा हमद बिन ईसा अल खलीफा के साथ बातचीत की थी, उसी दौरान 
उन्होंने नरेंद्र मोदी को मनामा में‘‘द किंग हमद ऑर्डर ऑफ द रेनेसां‘‘ सम्मान से नवाजा था.
 
पुरस्कार प्राप्त करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था “यह पूरे भारत के लिए एक सम्मान है. यह बहरीन साम्राज्य और भारत के बीच घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंधों का प्रतीक है.’’सनद रहे कि बहरीन की यात्रा ऐतिहासिक थी,क्योंकि किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने इस देश में पहली बार कदम रखा था. उस समय छह देशों की शक्तिशाली खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के सम्मेलन में भी पीएम मोदी उपस्थित हुए थे.
 
ऐसा केवल इसलिए मुमकिन हुआ कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुस्लिम देशांे से घनिष्ठ संबंध हैं. इन बेहतर संबंधों का परिणाम है कि दिल्ली के अक्षरधाम की तरह अबुधाबी में 888 करोड़ रूपये की लागत से मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. किसी मुस्लिम देश में मंदिर निर्माण की कल्पणा थोड़ा असंभव सा लगता है. मगर यह मुमकिन हुआ मोदी के संबंधों एवं प्रगाढ़ रिश्तों की बदौलत. एक, दो और  मुस्लिम देशों में भी मंदिर निर्माण की कोशिशें चल रही हैं.
 
इस्लामिक राष्ट्रों के साथ भारत के संबंध पहले से कहीं बेहतर हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत संबंधों एवं बेहतर कूटनीति का नतीजा है कि पाकिस्तान के ना चाहते हुए भी एक बार तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज विशेष आमंत्रण पर न केवल आईओसी की बैठक में शामिल हुईं, बल्कि आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को खरी-खरी सुना आईं.
 
भारत और ईरान के रिश्ते भी मजबूत हुए हैं. परमाणु प्रोजेक्ट के सवाल पर अमेरिका के प्रतिबंध के बावजूद काफी दिनों तक भारत इससे लेन-देन करता रहा. मुस्लिम देश तुर्की को पाकिस्तान की तरह ही भारत विरोधी माना जाता है.
 
बावजूद इसके तुर्की से पाकिस्तान के मुकाबले भारत के बहुत ज्यादा खराब संबंध नहीं हैं.तुर्की सऊदी अरब की जगह मुस्लिम देशों का ‘खलीफा’ बनना चाहता है. इसलिए उसका भारत से विरोध सीमित स्तर तक ही है ताकि पता चले कि देश चाहे कोई भी हो वह मुस्लिम मुद्दों के साथ है.
 
इस नीति के तहत ही तुर्की जहां कश्मीर के मसले उठाता रहता है, वहीं वह उइगर मुसलमानों के बारे में चीन से भी सवाल करता रहता है. मलेशिया ने महातिर मोहम्मद के नेतृत्व में भारत को आंख दिखाने की कोशिश की थी, पर पीएम मोदी ने अपनी कूटनीतिक प्रयासों से मलेशिया को भी ठंडा कर दिया.‘पाम आयल कांड‘ तो सबको याद होगा ही. बात जब मोदी के कूटनीतिक
 
प्रयासों की हो रही है तो यहां पिछले साल कोरोना की पहली लहर के दौरान की एक चर्चित घटना का जिक्र जरूरी है. इस दौरान कुछ लोगों ने खास मंशा के तहत तब्लीगी जमात के लोगों को निशाना बनाया था. इसी क्रम में देश के कुछ सिरफिरों ने इन बातों को एक मुस्लिम देश की राजकुमारी से सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया.
 
इसपर राजकुमारी ने भारत के खिलाफ कई अनर्गल बातें कहीं. मगर बाद में भारत और नरेेंद्र मोदी के कूटनीतिक प्रयास और संबंध इस कदर काम आए कि मुस्लिम देश की राजकुमारी को न केवल अपनी हरकतों पर खेद प्रकट करना पड़ा.
 
भारत और उसके देश के बीच प्रगाढ़ संबंधों को साबित करने के लिए उसे चेन्नई के एक मंदिर की कई तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर साझाकरनी पड़ीं. तस्वीरें उसके भारत दौरे के समय की थीं. नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने सातसाल के कार्यकाल में कुछ ऐसे फैसले लिए हैं जिसे आम तौर से मुस्लिम तबका पसंद नहीं करता.
 
मगर तमाम प्रयासों के बावजूद इन मुद्दों पर अधिकांश मुस्लिम देशों का रवैया तटस्थ रहा है. इसे भी भारत के मुस्लिम देशों से प्रगाढ़ संबंधों के तौर पर ही देखा जाता है. भारत के मुस्लिम देशों से बेहतर कूटनीतिक संबंधों से अब तक बेहतर परिणाम भी देखने को मिले हैं.
 
तमाम विपरीत स्थितियों के बावजूद मुस्लिम देश ने भारत में पर्याप्त निवेश किए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व के कारण ही हज कोटा में वृद्धि हुई है. पश्चिम एशिया के कई कैदी अपने घर वापस आए हैं. 
वर्तमान में अल्पसंख्यकों को शिक्षा और आर्थिक रूप से मजबूत करने व आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री ने 15 साल बाद फिर से शिक्षा ऋण व व्यवसाय ऋण योजना शुरू की है.
 
इस योजना के तहत वित्त विकास निगम अल्पसंख्यक छात्रों को विदेश में शिक्षा प्राप्त करने के लिए आसानी से 30 लाख का ऋण प्रदान करेगी.जबकि देश में पढ़ाई करने वाले छात्र को 5 लाख का ऋण मिलेगा. इसके अलावा अल्पसंख्यकों को उद्योग स्थापित करने के लिए छह प्रतिशत ब्याज पर 20 लाख रुपये तक का ऋण भी दिया जा रहा है.
 
यह योजना वर्ष 2005 से बंद थी जिसे फिर से चालू किया गया है. अफगानिस्तान के मसले पर भी भारत के स्टैंड की सराहना हो रही है. गुरुवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर पंजशीर पर पाकिस्तानी सेना के हमले के विरोध में अफगानी महिलाओं ने जोरदार प्रदर्शन किया.
 
इस दौरान जहां जमकर पाकिस्तान विरोधी नारे लगे, वहीं प्रदर्शनकारियों ने खुलकर भारत की सराहना की. बड़ी संख्या में विस्थापित अफगानी तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद भारत लाए गए हैं. इनमें ज्यादातर मुसलमान हैं.
 
भारत की इस पहल से शायद सीएए के नाम पर पीएम मोदी का विरोध करने वालों की आंखें खुलें किसीएए कानून अपनी जगह, पर पड़ोसी देश में पीड़ित चाहे किसी भी धर्म का क्यों न हो भारत के दिल में सबके लिए खास जगह है.
 
इनपुट ; मो. जबिहुल कमर “जुगनू”