पाकिस्तानः लुढ़कती जाए है अर्थव्यवस्था, आहिस्ता...आहिस्ता...

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 01-12-2021
पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था में कोई सुधार नहीं
पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था में कोई सुधार नहीं

 

इस्लामाबाद. पाकिस्तानी सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के कमजोर प्रयासों के बावजूद इसमें कोई सुधार नहीं हुआ है.

इनसाइड ओवर के अनुसार, पाकिस्तान के मौजूदा आर्थिक सूचकांक अपने आप में इतने खराब हैं कि पुनरुद्धार का काम दोगुना मुश्किल हो गया है. इनसाइड ओवर के लिए फेडेरिको गिउलिआनी लिखते हैं, ‘अंतर्राष्ट्रीय मानीटरी फंड का पाकिस्तान की आर्थिक नीतियों में गहरा हस्तक्षेप है, जिसने विकास को प्राथमिकता दी है. वह उच्च निर्यात द्वारा समर्थित नहीं है, बल्कि उच्च घरेलू खपत द्वारा समर्थित है. ऐसी नीतियों ने चालू खाता घाटे से समझौता किया है.’

इसके अलावा, पाकिस्तान का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह इस वित्तीय वर्ष की पहली चार महीने की अवधि (जुलाई से अक्टूबर) के दौरान एक साल पहले के 750मिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 662मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा और अंतर्वाह 24प्रतिशत गिरकर 223मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया. एक साल पहले इसी अवधि में यह 293मिलियन डॉलर था.

उल्लेखनीय रूप से, पाकिस्तान अपनी कमजोर अर्थव्यवस्था के कारण पिछले पांच वर्षों से अधिक समय से महत्वपूर्ण एफडीआई निवेश आकर्षित करने में विफल रहा है.

पाकिस्तान सरकार को विदेशी प्रवाह की सख्त जरूरत है और वह वित्तीय सहायता की बहाली के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ बातचीत कर रही है.

इनसाइड ओवर के अनुसार, जुलाई-अक्टूबर में विदेशी अंतर्वाह काफी गिरकर 116मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, जो एक साल पहले इसी अवधि में 399मिलियन अमेरिकी डॉलर था. विशेषज्ञों द्वारा यह ऑकलन किया गया है कि चीनी एफडीआई में गिरावट पाकिस्तान में अधिशेष ऊर्जा उत्पादन के कारण बिजली क्षेत्र में कम अंतर्वाह का परिणाम हो सकती है.

पाकिस्तान की आर्थिक नीतियों में दोष रेखाएं विकास को प्राथमिकता देकर जटिल कर दी गई हैं, जो निर्यात अर्थव्यवस्था के लिए आधार प्रदान करके समर्थित नहीं है.

इसके अलावा, उच्च परिव्यय पर ध्यान केंद्रित करके और व्यय पर ध्यान न देकर, पाकिस्तान ने अपने आर्थिक संकट (एएनआई) को बढ़ा दिया है.