करगिलः हम भूल न जाएं उनको

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 26-07-2021
करगिलः हम भूल न जाएं उनको
करगिलः हम भूल न जाएं उनको

 

आवाज- द वॉयस/ नई दिल्ली

1999 के बाद से हर साल देश में 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस मनाया जाता है. यह ऑपरेशन विजय की कामयाबी की याद में मनाया जाता है. यह ऑपरेशन पाकिस्तानी घुसपैठियों के करगिल-द्रास सेक्टर से भगाने के लिए शुरू किया गया था.

इस साल भी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री समेत देश के गणमान्य व्यक्तियों और आण लोगों ने करगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि दी है. सोशल मीडिया पर करगिल ट्रेंड कर रहा है.

आइए जानते हैं करगिल युद्ध से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें-

-करगिल का युद्ध 3 मई से 26 जुलाई, 1999 के बीच लड़ा गया था.

-यह लड़ाई जम्मू-कश्मीर के करगिल दिल में नियंत्रण रेखा पर लड़ा गया था. 60 दिनों तक चली इस लड़ाई में दोनों तरफ के बहुत सारे जवानों ने अपनी जानें खोईं थी पर आखिर कार भारत ने पाकिस्तानी

-घुसपैठियों को मार डाला या भगा दिया.                                                                                                                                                                                                                                     

  1. हम भूल न जाएं उनको

करगिल के दुर्गम पहाड़ों पर लड़ा गया था यह युद्ध   


 

-भारत ने घुसपैठियों के रूप में घुस आए पाकिस्तानी फौजियों को भगाने के लिए ऑपरेशन विजय की शुरुआत की.

-1971 के बाद करगिल का युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच का पहाला युद्ध था. 1971 में भारत ने युद्ध के जरिए पाकिस्तान को तोड़कर एक नया देश बांग्लादेश बना दिया था.

-यह युद्ध शिमला समझौते के बावजूद हुआ था, जबकि इस समझौते मे साफ लिखा है कि दोनों देश सीमा पर किसी हथियारबंद संघर्ष में नहीं उलझेंगे.

-14 जुलाई, 1999 को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ऑपरेशन विजय की कामयाबी की घोषणा की थी. लेकिन 26 जुलाई को इस ऑपरेशन को बंद करने की घोषणा हुई थी.

-करगिल युद्ध में भारतीय वायुसेना के ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन सफेद सागर था.

-ऑपरेशन सफेद सागर में वायुसेना ने 32,000 फुट की ऊंचाई पर अपना शक्ति प्रदर्शन किया था और ऐसा पहली बार हुआ था.

-ऑपरेशन सफेद सागर के लिए पायलटों और इंजीनियरों को महज एक हफ्ते का प्रशिक्षण मिल पाया था फिर भी वायुसेना ने पाकिस्तानी फौजियों और मुजाहिदीन को पहचान कर उन्हें खत्म करने में अहम भूमिका निभाई.

-करगिल हाल के वक्त में सबसे ऊंची जगहों पर लड़ा गया युद्ध है. ऐसे युद्धों को अधिक मुश्किल माना जाता है.

-यह उन दुर्लभ युद्धों में है जिनमें दो परमाणु शक्ति संपन्न देश लड़ रहे थे. पहली बार मीडिया ने युद्ध की कवरेज नजदीक से की थी.

-पाकिस्तान के करीब 3000 फौजी मारे गए जबकि भारत के करीब 500 सैनिक शहीद हुए थे.

-द्रास में बने करगिल वॉर मेमोरियल में उस युद्ध में मारे गए सभी भारतीय फौजियों के नाम उत्कीर्ण हैं.

-कैप्टन मनोज कुमार पांडेय, हवलदार योगेंद्र यादव, रायफलमैन संजय कुमार और कैप्टन विक्रम बत्रा को इस युद्ध में परमवीर चक्र मिला था.

-नायक दिगेंद्र कुमार, कैप्टन अनुज नैयर, मेजर बलवान सिंह, मेजर राजेश सिंह अधिकारी, ले. कर्नल सोनम वांगुचक, कैप्टन केशिंग क्लिफर्ड नोंग्रुम, कैप्टन नाइकेकीजाखो केंग्रूसे, मेजर पद्मपाणि आचार्य, मेजर विवेक गुप्ता, सिपाही इंलिआकु आओ, कैप्टन गुरजिदर सिंह सोढ़ी को महावीर चक्र प्रदान किया गया.