सेंट्रल वक़्फ़ कौंसिल भारतीय मुस्लिमो की तरक्की का अनूठा संस्थान भाग- 2

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 22-04-2022
डॉ. शुजाअत अली क़ादरी
डॉ. शुजाअत अली क़ादरी

 

मेहमान का पन्ना/ डॉ. शुजाअत अली क़ादरी

भारत में वक़्फ़ बोर्डों के तहत मुसलमानों की धर्मार्थ सम्पत्ति की रक्षा के लिए प्रयोजन किए गए हैं. केंद्रीय वक्फ परिषद अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक वैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना वक्फ अधिनियम, 1954 में दिए गए प्रावधान के अनुसार वक्फ बोर्डों के कामकाज से संबंधित मामलों पर केंद्र सरकार के सलाहकार निकाय के रूप में 1964 में की गई थी.

पहले से प्रचलित मुसलमान वक्फ वैधता अधिनियम 1913 में सुधार के साथ ‘सेंट्रल वक़्फ़ परिषद’ वजूद में आई. आज इस कौंसिल ने अपनी कार्यप्रणाली के साथ ही बहुत विशिष्ट प्रयोग किए हैं. देश में वक्फ के समुचित प्रशासन से सम्बन्धित मुद्दों के बारे में परामर्श देने के लिए केन्द्रीय वक्फ परिषद् की स्थापना एक स्थाई इकाई के रूप में की गई.

आज अपनी दूसरी सिरीज़ में हम बात करेंगे की केन्द्रीय वक़्फ़ कौंसिल की मंशा क्या होती है? पिछले आलेख में हमने बताया था कि इस्लामी फ़िक़ (न्यायिक व्याख्या) के अनुसार वक़्फ़ का अर्थ है अहरणीय (जिसे वापस ना लिया जा सके). मुस्लिम धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए एक इमारत, भूमि का भूखंड या अन्य संपत्ति दान करना इस प्रथा में शामिल है.

औकाफ का उचित प्रशासन करना केन्द्रीय वक़्फ़ कौंसिल का मुख्य कर्म है. बाद में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के तहत परिषद की भूमिका का काफी विस्तार किया गया. परिषद को केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और राज्य वक्फ बोर्डों को सलाह देने का अधिकार दिया गया है.

यह कौंसिल बोर्ड/राज्य सरकार को धारा 9(4) के तहत बोर्ड के प्रदर्शन, विशेष रूप से उनके वित्तीय प्रदर्शन, सर्वेक्षण, राजस्व रिकॉर्ड, वक्फ संपत्तियों के अतिक्रमण, वार्षिक और लेखा परीक्षा रिपोर्ट आदि पर जानकारी देने का कार्य करता है.

वक्फ के प्रभारी केंद्रीय मंत्री कौंसिल के अध्यक्ष होते हैं. कुल 20 तक इसके सदस्य हो सकते हैं जिन्हें भारत सरकार द्वारा नियुक्त किया जा सकता है. वर्तमान में केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी केंद्रीय वक्फ परिषद के पदेन अध्यक्ष हैं. इस बार की 12वीं परिषद का गठन 4 फरवरी, 2019 को वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 9 की उप धारा (1) और (2) में दिए गए प्रावधान के अनुसार किया गया था. सेंट्रल वक्फ काउंसिल का कार्यालय सेंट्रल वक्फ भवन, साकेत, नई दिल्ली में स्थित है.

औकाफ की सुरक्षा, पुनर्प्राप्ति और ई-निगरानी आज केन्द्रीय वक़्फ़ कौंसिल के मुख्य कार्य है. इसका उद्देश्य औकाफ के संरक्षण, विकास में सक्रिय भूमिका और उनके कामकाज में सुधार के लिए राज्य वक्फ बोर्डों के साथ मिलकर काम करना है. केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और राज्य वक्फ बोर्डों को सलाह देना भी कौंसिल का प्रमुख काम है.

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के कार्यान्वयन की निगरानी करना, वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और पुनर्प्राप्ति और अतिक्रमण आदि को हटाने के लिए कानूनी सलाह देना, राष्ट्रीय वक्फ विकास निगम लिमिटेड द्वारा शहरी वक्फ संपत्तियों के विकास और तरक्की के लिए संभावित वक्फ भूमि की पहचान के लिए योजना को लागू करने की ज़िम्मेदारी भी केन्द्रीय वक़्फ़ कौंसिल की ही है.

कौशल विकास के लिए शैक्षिक और महिला कल्याण योजनाओं को लागू करने और गरीबों, विशेष रूप से महिलाओं को सशक्त बनाने में केन्द्रीय वक़्फ़ कौंसिल ने बहुत महती भूमिका निभाई है. इस दौरान कई लाभार्थियों ने केन्द्रीय वक़्फ़ कौंसिल की योजनाओं का लाभ उठाया है.

राज्य वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड के कम्प्यूटरीकरण की योजना को लागू करने के लिए, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना को भी कौंसिल ने तैयार किया है. वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2013 में दिए गए प्रावधान के अनुसार राज्य वक्फ बोर्डों के प्रदर्शन पर राज्य सरकार/बोर्डों से आवश्यक जानकारी प्राप्त करने का अधिकार भी केन्द्रीय वक़्फ़ कौंसिल के पास है.

वक्फ मामलों को केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों जैसे एएसआई, रेलवे, राजस्व और वन आदि के साथ उठाने की शक्ति भी केन्द्रीय वक़्फ़ कौंसिल के पास निहित है. परिषद के हितों को बढ़ावा देने और वक्फ संस्थानों को उनकी नई भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने की भी कौंसिल से आशा की जाती है.

कौंसिल ‘शहरी वक़्फ़ सम्पत्ति विकास योजना’ चला रही है जिसके तहत औकाफ और वक्फ बोर्डों की वित्तीय स्थिति में सुधार लाने और उन्हें अपने कल्याण कार्यों के क्षेत्र को बढ़ाने में सक्षम बनाने के लिए यह योजना खाली वक्फ भूमि को अतिक्रमणकारियों से बचाने और आर्थिक रूप से व्यवहार्य परियोजनाओं को विकसित करने की दृष्टि से तैयार की गई है.

इन संपत्तियों को अधिक आय उत्पन्न करने और/या कल्याणकारी गतिविधियों को व्यापक बनाने के लिए तैयार किया गया है. इस योजना के तहत, वक्फ भूमि पर आर्थिक रूप से व्यवहार्य भवन, जैसे वाणिज्यिक परिसर, मैरिज हॉल, अस्पताल, कोल्ड स्टोरेज आदि के निर्माण के लिए देश में विभिन्न वक्फ बोर्डों और वक्फ संस्थानों को ब्याज मुक्त ऋण दिया जाता है.

अगली कड़ी में भी हम केन्द्रीय वक़्फ़ कौंसिल की योजनाओं और योगदान पर चर्चा जारी रखेंगे.

 

(लेखक पत्रकार और मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन हैं)