अंतरराष्ट्रीय गालिब सेमिनार समाप्त: इतिहासकार प्रो. हरबंस मुखिया बोले-वो जश्न के शायर हैं

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] • 1 Years ago
अंतरराष्ट्रीय गालिब सेमिनार समाप्त: इतिहासकार प्रो. हरबंस मुखिया बोले-वो जश्न के शायर हैं
अंतरराष्ट्रीय गालिब सेमिनार समाप्त: इतिहासकार प्रो. हरबंस मुखिया बोले-वो जश्न के शायर हैं

 

मोहम्मद अकरम/नई दिल्ली

मिर्जा गालिब ऐसी दूरदर्शी शख्सियत थी, जिन्हें इस आधुनिक युग में भी कवि के रूप में जाना-पहचाना जाता है. गालिब की कविताएं को जितनी बार पढ़ी जाए, हर बार उसके नए मायने, आयाम सामने आते हैं. उक्त बातें जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रो. नदीम ने गालिब इंस्टीट्यूट में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय गालिब सेमिनार के आखिरी रोज पहले सत्र की अध्यक्षता करते हुए कही. 

इस तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का विषय गालिब की पंक्ति के एक लाइन ’होता है सब-ओ-रोज तमाशा मेरे आगे’ था. 
 
ghalib
 
गालिब जश्न के शायर 

इतिहासकार प्रो. हरबंस मुखिया ने गालिब के हवाले से कहा कि गालिब जश्न के शायर हैं. जिंदगी को देखने के कई पहलू होते हैं लेकिन एक मुकम्मल जिंदगी को देखने के लिए इतिहास और सच से मिलता है.
 
हरबंस मुखिया ने गालिब के शेर ‘हम को मालूम हैं जन्नत की हकीकत लेकिन, दिल को खुश रखने को गालिब ये ख्याल अच्छा है’ पेश करते हुए कहा, गालिब इस शेर में जन्नत के वजूद पर सवाल कर रहे हैं. इस तरह गालिब अल्लाह के हक पर सवाल कर रहे हैं.
 
गालिब पढ़ते फारसी में, लिखते उर्दू में

दूसरे सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर शरीफ हुसैन कासमी ने की. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि गालिब ने तमाशा शब्द का अलग-अलग अर्थों में प्रयोग किया है. आप इसे इस अर्थ में महसूस कर सकते हैं.
 
जब गालिब की उर्दू कलाम पढ़ते हैं तो कुछ कविताओं में अंत में केवल है होती है, इससे पता चलता है कि यह कविता उर्दू है, वरना इसके पूरे पंक्ति फारसी है. ऐसा लगता है कि गालिब पढ़ते फारसी में थे और लिखते उर्दू में.
 
वहीं तीसरे सत्र की अध्यक्षता प्रो. वहाजुद्दीन अल्वी और प्रो.काजी ओबैदुल रहमान हाशमी ने की और संचालन डा. खुशतर जरीं मलिक ने किया.प्रो. वहाजुद्दीन अल्वी ने कहा कि हम गालिब को दार्शनिक रूप से बोलने वाले मानते हैं, जबकि हम यहां जो मूर्खताएं पाते हैं. 
 
पहले सत्र में प्रख्यात इकबालियात प्रो. अब्दुल हक, प्रो. कमरुल होदा फरीदी और प्रो. जियाउर रहमान सिद्दीकी ने शोध पत्र पेश किए. दूसरे सत्र में प्रो. कौसर मजहरी, प्रो. नजमा रहमानी, प्रो. अखलाक आहन, डॉ. जियाउल्लाह अनवर और फातिमा सादात मीर हबीबी (ईरान) ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किया.
 
तीसरे सत्र में प्रो. हरबंस मुखिया, प्रो. काजी ओबैदुररहमान हाशमी, प्रो. अनीस अशफाक, प्रो. शाफे किदवई और प्रो. अहमद महफूज ने लेख पेश किए.
 
ghalib
 
सहयोगियों ने पूरे लगन से काम किया

इंस्टीट्यूट के सचिव प्रोफेसर सिद्दीकुर रहमान किदवई ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं निदेशक डॉ. इदरीस अहमद और अपने सभी सहयोगियों का उनकी कड़ी मेहनत के लिए आभारी हूं.
 
अपनी जिम्मेदारियों को पूरी लगन से निभाया. अंत में संस्थान के निदेशक डॉ. इदरिस अहमद ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मैंने और मेरी टीम ने बहुत खुशी के साथ सभी व्यवस्था की, सुझाव भी दिए.