लोगों में कट्टरता बढ़ी तो खत्म हुआ मंदिर का चमत्कार

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] • 2 Years ago
मंदिर की देखभाल करते मताबिर रहमान
मंदिर की देखभाल करते मताबिर रहमान

 

अरिफुल इस्लाम / गुवाहाटी

"हिंदू हो या मुसलमान सबके लिए अल्लाह का हुक्म बराबर है, मेरे मन में कोई फ़र्क नहीं है" उत्तरी गुवाहाटी के रंगमहल गांव के मतिबार रहमान इस संदेश की सबसे अच्छी मिसाल हैं. मतिबार रहमान एक प्राचीन शिव मंदिर की देखभाल करते हैं. मतिबार रहमान का परिवार पिछले 500 सालों से इस शिव मंदिर में दर्शन के लिए आ रहा है. इस शिव मंदिर को बरहान शाह थान के नाम से भी जाना जाता है.

आज से लगभग 500 साल पहले बरहान शाह नाम के एक बुजुर्ग मतिबार रहमान के पुरखों के पास आए थे और रहमान के पुरखों ने उनके गांव में रहने वगैरह की व्यवस्था की थी. उन बुजुर्ग ने जिस स्थान की स्थापना की मतिबार रहमान का परिवार तब से करीब 500 साल से इस जगह की देखभाल कर रहा है. बाद में इस स्थान पर एक शिवलिंग स्थापित किया गया. तब से इस स्थान को शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है.

अब मतिबार रहमान मंदिर की सफाई के अलावा कई बार इलाके को साफ-सुथरा करने का काम भी करते रहे हैं. समय-समय पर स्थानीय हिंदू और मुसलमान दोनों इस थान (स्थान) से बुराई को दूर करने के लिए भगवान से प्रार्थना करते रहे हैं. शिवरात्रि के दौरान, विभिन्न समुदायों के लोग इस स्थान पर ही पूजा करते हैं.

भोर और शाम के समय, मतिबार रहमान इस्लामी तरीके से यहां धूप और दिया जलाते हैं.

आवाज-ए-आवाज के साथ एक बातचीत में, रहमान कहते हैं, "इस्लाम या इससे संबंधित किसी भी गतिविधि में मूर्तिपूजा मना है.”लेकिन किसी भी तरीके से पूजा करें, तरीका अलग हो पर ऊपरवाला एक ही है.

लोग बताते हैं कि आज से लगभग 50 साल पहले तक बरहान शाह को यहां जो चढ़ावा चढ़ाया जाता था उसको थान में चट्टान में पर रखा जाता था और उसके बाद उस पत्थर से धुआं निकलने लगता था. लेकिन अब इस चट्टान से धुआं नहीं निकलता. रहमान के मुताबिक, इस चमत्कार के खत्म होने का कारण यह है कि लोगों के बीच बहुत अधिक भेदभाव, हिंसा, कट्टरता आदि है.

थानखान (शिव मंदिर) का महत्व यहीं समाप्त नहीं होता है. यहां विभिन्न धर्मों के लोग भगवान शिव की आराधना करने आते हैं.