वली रहमानी: एक इस्लामी स्कॉलर, सामाजिक खिदमतगार, सियासी रहनुमा और शिक्षाविद

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 03-04-2021
मौलाना मोहम्मद वली रहमानी
मौलाना मोहम्मद वली रहमानी

 

सेराज अनवर / पटना

मौलाना मोहम्मद वली रहमानी मौजूदा वक्त में एक इस्लामी स्कॉलर के साथ-साथ्ज्ञ सामाजिक और सियासी रहनुमा भी थे. वे एक साथ कई इदारों के हेड थे. बिहार में इमारत-ए-शरिया के अमीर, खानकाह रहमानी मुंगेर के सज्जादानशीं, रहमानी-30 के संस्थापक और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव थे. उनकी उम्र लगभग 77 वर्ष थी. इस उम्र में भी काफी फुर्तीले और तेज जहन, चाक-चौबंद थे. उनका जन्म 5 जून 1943 को मुंगेर में हुआ था.

प्रारंभिक शिक्षा रहमानिया उर्दू स्कूल, खानकाह रहमानी, जामिया रहमानी मुंगेर में प्राप्त की. बाद में नदवतुल उलेमा, लखनऊ, दारुल उलूम देवबंद में इस्लामी शिक्षा ग्रहण करने के बाद दुनियावी तालीम तिलका मांझी विश्वविद्यालय, भागलपुर में हासिल की. जामिया रहमानी मुंगेर में ग्यारह साल तक पढ़ाने का काम भी किया.चार साल तक शिक्षा सचिव रहे. सत्तर के दशक में साप्ताहिक ‘नकीब’फुलवारीशरीफ, पटना के सह संपादक भी रहे.

पिता के देहांत बाद 1991 से जामिया रहमानी के संरक्षक और खानकाह रहमानी के सज्जादानशीं रहे. मौलाना वली रहमानी के पिता सैयद मिनतउल्लाह रहमानी बहुत बड़े आलिम-फाजिल थे. खानकाह रहमानिया के सज्जादानशीं थे. उनका सूफी सिलसिला फजले रहमान गंज मुरादाबादी से जुड़ता है. जबकि दादा मौलाना मोहम्मद अली मुंगेरी नदवतुल उल्मा के संस्थापकों में से एक थे.

Wali_Rahmani_2

मौलाना मोहम्मद वली रहमानी के इंतकाल की खबर पाकर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा


अप्रेल, 2005 में इमारत-ए-शरिया के नायब अमीर-ए-शरीयत रहे. अमीर-ए-शरीयत मौलाना नेजाम उद्दीन के निधन के बाद 29 नवंबर, 2015 को वली रहमानी अमीर-ए-शरीयत चुने गए. 1991 से जून 2015 तक मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के सचिव रहे. जून 2015 में मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के कार्यकारी महासचिव बनाए गए. अप्रैल 2016 में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव बनाए गए.

1996 में समाज कल्याण के लिए रहमानी फाउंडेशन बनाया. शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह संस्था विशेष रूप से कार्य करती है. 2008 में मुसलमानों की तरक्की के लिए पटना में रहमानी-30 कायम किया. आईआईटी और अन्य कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं में मुस्लिम बच्चों और बच्चियों को कामयाबी की राह दिखाई और शानदार रिकार्ड कायम किया. बाद में रहमानी 30 के दायरे को बढ़ाया और आईआईटी टेस्ट की तैयारी के अलावा चार्टर्ड एकाउंटेंट की तैयारी के साथ 2012 में मुस्लिम उम्मीदवारों को वकील और जज बनाने और 2013 में मेडिकल की तैयारी कराने की शुरूआत की. यह संस्था आर्थिक रूप से कमजोर प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को शिक्षण के क्षेत्र निःशुल्क सहायता कर रहा है.

वली रहमानी मजहबी शख्सियत के साथ एक सियासी कायद भी थे. बिहार विधान परिषद के 1974 से 1996 के बीच सदस्य रहे. इस बीच 1984 और 1996 में उपसभापति चुने गए. इनके नेतृत्व में अप्रील 2018 में पटना के गांधी मैदान में इतिहासिक दीन बचाओ-देश बचाओ सम्मेलन का आयोजन किया. पिछले महीने ही दिल्ली में आयोजित जिरगा में देश भर की मुस्लिम शख्शिसतों को जमाकर मौजूदा हालात पर चिंतन-मंथन किया था.

Wali_Rahmani_3

मौलाना मोहम्मद वली रहमानी के इंतकाल की खबर पाकर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा


बिहार में उर्दू के रक्षा की लड़ाई भी लड़ रहे थे. इसके लिए उर्दू कारवां का गठन फरवरी महीने में किया था. दस लाख के करीब लोगों ने मौलाना वली रहमानी के हाथ बैत थे. पूरे देश में उनके मुरीद फैले हुए हैं. शिक्षाविद् के रूप में आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से शिक्षा पर विचार-विमर्श के लिए ग्लोबल मीट में हिस्सा लिया. उन्हें कोलंबिया विश्वविद्यालय से डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि भी मिली हुई थी. वली रहमानी की कई अवार्ड से सम्मानित किया गया था, जिसमें भारत ज्योति एवार्ड, राजीव गांधी एक्सीलेंस एवार्ड, शिक्षा रत्न एवार्ड, सर सैयद एवार्ड और इमाम राजी एवार्ड शामिल हैं. वली रहमानी के दो बेटे हैं. बड़े बेटे फैसल रहमानी अमेरिका में रहते हैं और छोटे बेटे बेंगलूरू में रहते हैं.