ख्वाहिशों के पीछे दौड़ रहे हैं पैरों से लाचार वहीद

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 08-08-2021
मोहम्मद वहीद
मोहम्मद वहीद

 

मो. अकरम / हैदराबाद

इंसान चाहे तो लाख मजबूरीयों के बावजूद कामयाबी की मंजिल को पा सकता हैं, बस उसके अंदर हिम्मत, हौेसला और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो.

ऐसे ही एक प्रेरणा स्रोत व्यक्ति से हम आप को मिलाने जा रहे हैं, जो हैदराबाद का दिल कहे जाने वाले चार मीनार के पास हर शाम हाथ में चाय की केतली के साथ पहुंचता है. इस शख्स की कहानी सुन कर हर नाकाम व्यक्ति कुछ करने की ठान सकते हैं.

हैदराबाद शहर के तालाब कट्टा इलाके के रहने वाले इस शख्स का नाम मोहम्मद वहीद है, जिनका वर्ष 1995 मे सड़क दुर्घटना में पैर टूट गया, लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद पैर को नहीं बचाया जा सका, पैर खो देने के गम ने मोहम्मद वहीद के दिल और दिमाग के अंदर बेचौनी पैदा कर दी.

जब भी वह रात में बिस्तर पर सोने जाता, तो उसके सामने छोटी बहन की शादी, माता-पिता का भविष्य दिखाई देता जिससे वह और ज्यादा परेशान हो जाता था.

घर चलाने के लिए परेशान वहीद ने कई सालों तक दर दर की ठोकरें खाईं.

इन दिनों मोहम्मद वहीद चार मीनार के आस पास चाय बेच कर अपना और परिवार वालों की गुजारा कर रहे हैं. वह हर रोज अपने हाथ से चाय तैयार करते हैं. फिर सूरज ढलने के बाद चार मीनार किसी दोस्त या पड़ोसी के सहारे पहुंचकर चाय बेचत हैं. फिर वह किसी के मदद से घर पहुंचता है, ये उनका प्रतिदिन का काम है.

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मोहम्मद वहीद बताते हैं, “साल 1995 में सड़क हादसे में दोनों पर खत्म हो गये, कई जगह इलाज कराया गया, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. मैं पहले एक ही जगह बैठ कर हाथ की चूड़ी का कारोबार करता था, लेकिन लॉकडाउन के कारण सब खत्म हो चुका है. जिसके बाद रमजान महीने से प्रतिदिन चाय बनाकर कर चार मीनार के दामन में ले जाता हूं. हर रोज दो सौ कप बेचता हूं. मेरे ऊपर बहन की शादी की जिम्मेदारी हैं, माता-पिता और छोटे-छोटे भाई है, जिसे पढ़ाना चाहता हूं. हर महीने रूम का किराया देना होता हैं, सरकार की तरफ से मदद के लिए कुछ रुपए मिलते हैं.”

मोहम्मद वहीद एक तरफ लोगों के लिए बहुत कुछ सीखने का माध्यम है, तो सरकार की उदासीनता का बयां करता हैं. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह वहीद की आर्थिक सहायता कर उनके सपने को साकार करने मे मदद करे.