मोहम्मद अकरम / दिल्ली
दिल्ली के गालिब इंस्टीट्यूट में इन दिनों चार दिवसीय ‘उर्दू ड्रामा फेस्टिवल’ चल रहा है. इसफेस्टिवल के तीसरे दिन यानी सोमवार को पश्चिम बंगाल के मशहूर थिएटर ‘लिटिल थेस्पियन’ की टीम ने अपनी अदाकारी से लोगों का दिल जीत लिया.
तीसरे दिन के ड्रामा का विषय ‘पतझड़’ था, जिसे एम एस अज़हर आलम ने चित्रण (Delineation) किया था. इस नाटक को William Tinsley ने लिखा था.
टूटे सपने को बयां करता नाटक पतझड़
जैसे ही मंच पर पतझड़ के आदाकार पहुंचे तो लोगोंने जोरदार स्वागत किया. ड्रामा में टूटे सपने की कहानी को बयां किया गया है. जिसमें एक घर की हालत जाहिर की गई है कि कैसे एक महिला को उसका पति छोड़ कर घर से हमेशा के लिए चला जाता है, जिसके बाद घरकी पूरी जिम्मेदारी महिला और उसके लड़के पर आ जाती है.
वक्त गुजरने के साथ बेटी बड़ी होती है, तो मां को शादी की फिक्र होती है, लेकिन लड़के को इसकी कोई परवाह नहीं होती है. लड़का एक रोज घर की हालत देख कर जद्दोजहद करता है. कुछ कर गुजरने के लिए बहुत दूर चला जाता है.
नाटक में चार किरदार
नाटक में चार किरदार पेश किए गए हैं, जिसमें मां का रुप गात्री प्रधान, वास्तविक नाम उमा झुनझुनवाला, भाई के रुप में सागर सेन गुप्ता जिनका असली इंद्रदेव प्रधान, बहन के रुप मे यामिनी प्रधान जिनका असल नाम हिना परवेज़ और सागर सेन गुप्ता के दोस्त के तौर पर तानेश , जिसका नामअर्थ भट्टाचार्य हैं.
बहुत ही खूबसूरत ड्रामा ...अनीस
मौके पर नाटक लेखक डा. अनीस आजमी ने आवाज द वाइस खास बातचीत करते हुए कहा कि ऐवान गालिब बहुत पुरानी संस्था है. इसे फखरुद्दीन अली अहमद साहब ने स्थापित किया था. उनकी बेगम आबिदा का रुझान थिएटर पर बहुत था और उन्होंने अपना एक थियेटर ग्रुप बनाया था ‘सब ड्रामा ग्रुप’.
उर्दू ड्रामा के फरोग में गालिब इंस्टीट्यूट का बड़ा रोल
वह आगे कहते हैं कि ऐवान ए गालिब जो गालिब इंस्टीट्यूट कहलाता है , में चार दहाईयों से हब सब ड्रामा ग्रुप थियेटर और वर्कशाप करते रहे हैं. ये उसी की कड़ी का सिलसिला है.
ऊमा झुनझुनवाला, जो कोलकत्ता में रंगरस थियेटर ग्रुप है, की तरफ से ड्रामा पेश किया गया. अजहर आलम इस ड्रामा के चित्रण थे. वह शानदार एक्टर, डायरेक्टर थे.
वह पिछले साल कोविड में हमसे जुदा हो गए. उनकी बेगम उमा झुनझुनवाला ने यहां तरीके से पेश किया. उर्दू ड्रामे के फरोग में गालिब इंस्टीट्यूट का बहुत बड़ा हाथ है .
आज हमने एक बहुत ही खूबसूरत ड्रामा देखा. उसे चित्रण किया गया , जैसे हिन्दुस्तान की कहानी है. अक्सर घरों में ये होता है कि थोड़ी से कमी होती है तो हम उसे बात का बतंगड़ बनाने वाला मामला कर लेते हैं.
इस ड्रामा में बड़ी खूबी से इस संदेश को लिया गया है. वह लोग जो कशमकश के आलम में जिंदगी गुजारते हैं ,इस विषय पर खूबसूरत ड्रामा था.
ऐसे नाटक होना चाहिए.
वहीं महाभारत में काम कर चुकी सुमन केसरी ने कहा कि नाटक जो अज़हर डायरेक्शन में था, वह हमारी बीच नहीं रहे, उमा झुनझुनवाला ने यहां पेश की है. पतझड़, जिसे विलियम टिनस्ले ने लिखा था उसे अजहर ने नाटक में चित्रित किया था,बहुत ही अच्छा.
सभी पात्र ने जिस तरीके से अपनी बात रखी, वह काबिल ए तारीफ है. पतझड़ का मौसम उदासी वाला होता है. नाटक हमें एक लेबल पर उदास कर देता है. बहन की जीवन को बेहतर बनाने के लिए भाईका संघर्ष, पलायन दिखाया गया है. ऐसे नाटक बार बार होने चाहिए.
अच्छा संदेश जाएगा
नाटक की प्रमुख किरदार उमा झुनझुनवाला ने कहा कि मुझे बहुत अच्छा लगा, जब बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. गालिब इंस्टीट्यूट ने हमें ये मौका दिया कि ड्रामा के जरिये लोगों तक अच्छा संदेश पहुंचाएं.