अमरनाथ यात्रियों की सेवा के लिए बालटाल पहुंचे कानपुर के दो सगे भाई इरशाद और शमशाद

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] • 1 Years ago
अमरनाथ यात्रियों की सेवा के लिए बालटाल पहुंचे कानपुर के दो सगे भाई इरशाद और शमशाद
अमरनाथ यात्रियों की सेवा के लिए बालटाल पहुंचे कानपुर के दो सगे भाई इरशाद और शमशाद

 

आवाज द वॉयस/लखनऊ

अमरनाथ यात्रा के दौरान हर साल गंगा-जमुनी तहजीब के नमूने देखने को मिलते हैं.यात्रा के दौरान स्थानीय कश्मीरी मुस्लिम यात्रियों की सेवा में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं. मगर इस बार कानपुर के दो सगे मुस्लिम भाई भी तीर्थयात्रियों की सेवा में रात-दिन जुटे हैं.

यात्रा के दौरान जब भारी बारिश से टांडो में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए थे, तब ही कानपुर के दोनों सगे भाईयों की कहानी सामने आई. वो बालटाल बेस कैंप में अमरनाथ तीर्थयात्रियों के सेवा कार्य में जुटे हैं.

दिलचस्प बात यह है कि दोनों भाई धर्म और आस्था की तमाम सीमाओं को लांघते और भाईचारे की अभिव्यक्ति के रूप में सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देने यात्रा से बहुत पहले ही वहां पहुंच गए थे.

कानपुर में लोडर चलाने वाले इरशाद और शमशाद ने बताया कि बालटाल जाने के लिए उन्होंने  कानपुर कैंट के भाजपा विधायक रघुनंदन भदौरिया की अध्यक्षता वाली शिव सेवक समिति से संपर्क किया और अमरनाथ के पवित्र मंदिर जाने वाले तीर्थयात्रियों की स्वेच्छा से सेवा करने की इच्छा जताई. इसपर विधायक राजी हो गए.

दरअसल, शिव सेवक समिति हर साल बालटाल में अमरनाथ भक्तों के लिए लंगर और अन्य सुविधाएं मुहैया कराता है. इस बार भी समिति ने बालटाल में सेवा शिविर स्थापित किया है.

भक्तों में लंगर आदि बांटे जहा रहे हैं. समिति के महासचिव शीलो वर्मा का कहना है कि इस बार संगठन के प्रतिनिधिमंडल वरिष्ठ नागरिकों को गुफा के करीब पहुंचने में मदद करने के लिए पांच ई-रिक्शा भी साथ लाए हैं .

भाजपा विधायक भी यात्रा के दौरान समिति की गतिविधियों की निगरानी के लिए शिविर में मौजूद है. वर्मा ने बताया कि इस वर्ष जब समिति बालटाल में कैंप व लंगर के लिए माल भेज रही थी, तभी लोडर चालक इरशाद उनके पास पहुंचा और बालटाल जाने की इच्छा जताई. इरशाद अपने भाई शमशाद के साथ एक लोडर पर कानपुर से बालटाल तक न्यूनतम शुल्क पर माल ले गए हैं.

बालटाल पहुंचने के बाद इरशाद और शमशाद शिविर में ही समिति के अन्य सदस्यों के साथ भक्तों की सेवा में लग गए.वर्मा के अनुसार, दोनों पहले भगवान शिव को श्रद्धांजलि देने मंदिर गए और फिर आधार शिविर में भक्तों की सेवा कार्य में जुटे.

शिविर में अपने लोडर खड़े कर के दोनों भाई ब्रैडी रोड पर ई-रिक्शा चला रहे हैं ताकि गुफा के रास्ते में आने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए भक्तों को 2.5किमी का सफर तय कराया जा सके. शिव समिति के सूत्रों के अनुसार, श्राइन बोर्ड ने उनकी सेवाओं को स्वीकारते हुए उन्हें कार्ड जारी किए हैं.

ब्रैडी रोड से परे, जहां वे भक्तों को छोड़ देते हैं, वे ज्ञानगरी आश्रम के माध्यम से गुफा पथ को पार करने में उनकी मदद करते हैं. यहां तक कि वे वरिष्ठ नागरिकों और शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को पीठ पर बैठाकर गंतव्य तक पहुंचाते हैं. वे प्रतिदिन कम से कम 180-200भक्तों को गुफा तक पहुंचने में मदद कर रहे हैं.

कानपुर में लोडर चलाकर अपना गुजारा करने वाले इरशाद और शमशाद शहर के जोही गढ़ा इलाके के रहने वाले हैं. कम उम्र में पिता को खोने के बाद, दोनों भाइयों को उनकी मां ने पाला. मां सब्जियां बेचकर गुजारा करती हैं.