आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
त्रिपुरा हिंसा को लेकरदेश के उलेमा बेहद नाराज हैं. उनकी ओर से न केवल केंद्र एवं त्रिपुरा सरकार से मामले में हस्ताक्षेप कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है,वहीं देश के बुद्धिजीवियांे से एकजुट होकर हिंसा के खिलाफ खड़े होने की अपील गई है.
इस मामले में अजमेर दरगाह समिति के उपाध्यक्ष सैयद बाबर अशरफ ने कहा कि देश के बुद्धिजीवियों को एकजुट होकर त्रिपुरामें हुई हिंसा के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और देश के सामने मौजूद खतरों से निपटनेके लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को हस्तक्षेप कर स्थिति को नियंत्रित करना चाहिए. इधर, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने त्रिपुरा दंगों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “वहां जो हुआ उसने पूरे विश्व में देश की छविखराब की है.
हम त्रिपुरा सरकार से न केवल राज्य में मुसलमानों के जीवन और संपत्तिकी सुरक्षा सुनिश्चित करने बल्कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग करते हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद केअध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने त्रिपुरा दंगों की कड़ी निंदा की.
कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब तक उपद्रवियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है.मदनी जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा त्रिपुरा के दंगा प्रभावित क्षेत्रों की तीन दिवसीय यात्रा पर तैयार की गई एक रिपोर्ट के आधार पर बोल रहे थे.
मौलाना सैयद अरशद मदनी के निर्देश पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के नाजिम-ए-ओमुमी मुफ्ती सैयद मासूम साकिब और जमीयत उलेमा-ए-उत्तर प्रदेश के सचिव मौलाना अजहर मदनी ने त्रिपुरा के दंगा प्रभावितइलाके का दौरा किया.
मौलाना मदनी को अपनी विस्तृत रिपोर्ट पेश की. मौलाना मदनी ने कहा कि त्रिपुरा बांग्लादेश के साथ सीमा साझा करता है .फिर भी यह एक शांतिपूर्ण राज्य बना हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया, दंगा भड़का ने की साजिश चल रही है.
त्रिपुरा में कुछ सांप्रदायिक संगठनों द्वारा बांग्लादेश में हाल की घटनाओं के बहाने दिखाई गई क्रूरता और बर्बरता से पता चलता है कि किस तरह से सांप्रदायिकता का जहर लोगों में व्याप्त है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलूस के दौरान 12 मस्जिदों पर हमला किया गया.
आगजनी से धार्मिक स्थलों और मुस्लिम दुकानों और अन्य संपत्तियों को भारीनुकसान पहुंचाया गया. उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में जो कुछ हुआ उससे पूरे विश्व में देश की छवि खराब हुई . एक लोकतांत्रिक देश में जहां संविधान देश के सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है.
यदि ऐसी दुखद घटनाएं किसी निर्वाचित सरकार वाले राज्य में होती हैं और केंद्र और राज्य दोनों सरकारें कुछ नहीं करतीं, तो यह कानून के शासन और संविधान के साथ न्यायप्रणाली पर भी सवाल खड़ा करती है. मौलाना मदनी ने दावा किया कि जुलूस के दौरान मुस्लिम बहुल इलाकों में उपद्रवियों की भीड़ ने नारे लगाए.मस्जिदों और दुकानों में आग लगाई.
पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मूकदर्शक बने रहे.यह शर्म और अफसोस की बात है. उन्होंने कहा कि हम त्रिपुरा सरकार से न केवल राज्य में मुसलमानों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग करते हैं,बल्कि दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की भी अपील करते हैं.
यदि ऐसे लोगों को खुला छोड़ दिया गया या उन्हें राजनीतिक संरक्षण दिया गया , तो उनका मनोबल औरब ढ़ेगा. भविष्य में भी वे इस तरह के जघन्य कृत्यों को अंजाम देकर कानून-व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करते रहेंगे.
इस बीच अजमेर दरगाह समिति के उपाध्यक्ष सैयद बाबर अशरफ ने कहा कि देश के बुद्धिजीवियों को एकजुट होकरत्रिपुरा में हुई हिंसा के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और देश के सामने मौजूद खतरों सेनिपटने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को हस्तक्षेप कर स्थिति को नियंत्रित करना चाहिए. त्रिपुरा में सांप्रदायिक दंगों पर प्रतिक्रिया देते हुए अजमेर दरगाह कमेटी के उपाध्यक्ष सैयद बाबर अशरफ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को स्वत संज्ञान लेना चाहिए और हिंसा में शामिल लोगों केखिलाफ कार्रवाई का आदेश देना चाहिए.
देश की न्यायपालिका ने कार्रवाई नहीं की तो देश का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा. उन्होंने कहा कि कई लोगों ने उनसे संपर्क किया औ रत्रिपुरा के बारे में बात की. वे त्रिपुरा की स्थिति से नाराज थे लेकिन हमें लगता है कि सरकार हस्तक्षेप कर सकती है और स्थिति को नियंत्रित कर सकती है.
उन्होंने आगे कहा कि यूएपीए जैसे गंभीर प्रावधानों के तहत फैक्ट फाइंडिंग टीम के खिलाफ मामला दर्ज करना निंदनीय और खेदजनक है. हिंसा को रोकने, उसके खिलाफ प्रदर्शन करने, जांच करने और गंभीर प्रावधानों के तहत आरोपी पर मुकदमा चलाने के लिए संविधान के तहत हमारे पास मौजूद शक्तियों का उपयोग करना देश के लिए अच्छा संकेत नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि शीर्ष अदालत को स्वत संज्ञान लेना चाहिए और जनता का विश्वास बहाल करना चाहिए और हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आदेश देना चाहिए.