तस्वीरों की जुबानी डल झील के अंदरूनी हिस्से में कश्मीर के मुहर्रम के जुलूस की कहानी

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 09-08-2022
 तस्वीरों की जुबानी डल झील के अंदरूनी हिस्से में कश्मीर के मुहर्रम के जुलूस की कहानी
तस्वीरों की जुबानी डल झील के अंदरूनी हिस्से में कश्मीर के मुहर्रम के जुलूस की कहानी

 

आवाज द वॉयस /श्रीनगर 

श्रीनगर की डल झील के अंदरूनी इलाकों में मुहर्रम के 9 वीं के मौके पर घाटी के कई हिस्सों से शोक मनाने के लिए हजारों शिया मुस्लिम जुटे और उन्होंने अलग ही अंदाज मंे मुहर्रम का जुलूस निकाला.इस जुलूस में मर्दों के अलावा बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी काले लिबास मंे शामिल हुए. काला लिबास गम और शोक का प्रतिक माना जाता है.
 
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कश्मीर की शिया बिरादरी रैनावाड़ी में शोक मनाने वाले एकत्र हुई. इसके बाद जहां से उन्होंने रैनावारी से केनकेच तक डल के अंदरूनी हिस्सों में लकड़ी की नावों पर जुलूस निकाला.इस दौरान मर्सिया ख्वानी भी होती रही.
 
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गौतलब है कि 1400 साल पहले कर्बला के रेगिस्तान में पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन, उनके रिश्तेदारों और वफादार साथियों की शहादत की याद सदियांे से आशूरा की शक्ल में मजहबी आयोजन होते आ रहे हैं. उस दिन को शिया और सुन्नी बिरादरी अपनी-अपनी मान्यता के अनुसार, याद करते हैं.
 
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शोक मनाने वाले कश्मीरी शिया ने 9 आशुरा को डल झील के अंदरूनी हिस्सों में नावों पर मुहर्रम जुलूस का आयोजन किया. इस जुलूस मंे हजारों की संख्या में न केवल मर्द, औरत और बच्चे शामिल हुए,मर्सिया भी गाया गया और मातम भी किया गया.