सैयद इम्तियाजुद्दीन के पास है मशहूर हस्तियों के ऑटोग्राफ का कीमती खजाना

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 25-11-2022
ऑटोग्राफ का कीमती खजाना
ऑटोग्राफ का कीमती खजाना

 

अब्दुल रहमान पाशा / हैदराबाद

यूं तो कई ऐसी इच्छाएं और शौक होते हैं, जिन्हें पूरा करने की कोशिश की जाती है. कई इच्छाएं आदत बन जाती हैं, लेकिन कुछ इच्छाएं केवल ‘शौक’ ही नहीं, बल्कि पेशा भी बन जाती हैं. अगर किसी को बचपन से ही क्रिकेट का शौक है या किसी को खाना बनाने का शौक है और वह पूरी कोशिश करता है, तो वह क्रिकेटर या शैफ बन सकता है.

इस प्रकार इच्छा और पेशा एक हो जाते हैं, उसका आनंद दोगुना हो जाता है. हैदराबाद के रहने वाले सैयद इम्तियाजुद्दीन को बचपन से ही मशहूर हस्तियों से हस्ताक्षर लेने का शौक था. उन्होंने अपने जुनून को पूरा करने की पूरी कोशिश की. अब तक सैयद इम्तियाजुद्दीन पर दो सौ से ज्यादा मशहूर हस्तियों के हस्ताक्षर हैं.

इन हस्तियों में नोबेल पुरस्कार विजेता, राजनेता, उर्दू और अंग्रेजी के प्रमुख लेखक व कवि, कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष और प्रधानमंत्री और फिल्मी सितारे शामिल हैं. इस शख्स द्वारा एकत्रित किए गए ऑटोग्राफ को देखकर ईर्ष्या होने लगती है.

उनका जुनून सीमाओं से परे है. सैयद इम्तियाजुद्दीन को मशहूर हस्तियों के हस्ताक्षर लेने के लिए लंबे अरसे तक धैर्य रखना पड़ा और उन्होंने देश-विदेश में इन हस्तियों को पत्र भी लिखे.

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ये जुनून कब चढ़ा

दुनिया की मशहूर हस्तियों के हस्ताक्षर लेने का जुनून कैसे आया? इस सिलसिले में सैयद इम्तियाजुद्दीन ने अपने छात्र जीवन का एक दिलचस्प किस्सा सुनाया.

उन्होंने कहा कि जब वे हैदराबाद के नामपल्ली में गांधी भवन मध्य विद्यालय में 7वीं कक्षा के छात्र थे, तब उनके पाठ्यक्रम में उन्हें एक विषय पढ़ाया जा रहा था, जो भारत के प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक और भौतिक विज्ञानी सर सी.वी. रमन (7 नवंबर 1888 - 21 नवंबर 1970) की जांच से संबंधित था, जिसे ‘रमन इफेक्ट’ के नाम से जाना जाता है.

इस दौरान सर सीवी रमन का तोता बोल रहा था. सैयद इम्तियाज अहमद ने कहा कि उसी समय उनके मन में रमन को पत्र लिखने का विचार आया, लेकिन उन्हें रमन का कोई पता नहीं था.

पत्र को संबोधित करने के बजाय, उन्होंने ‘सर सीवी रमन, बैंगलोर’ लिखा और दूसरी तरफ उन्होंने लिखा कि ‘‘आज जब मैंने आपके बारे में पढ़ा, तो मैं बहुत प्रभावित हुआ और मुझे आपके ऑटोग्राफ चाहिए’’. कुछ दिनों बाद उन्हें सर सीवी रमन का एक पत्र मिला, जिसमें रमन ने स्वागत किया और अपनी प्रसन्नता व्यक्त की.

सैयद इम्तियाजुद्दीन ने कहा कि यह पहला ‘हर्षित और यादगार’ घटनाक्रम था, जिसके कारण उन्हें मशहूर हस्तियों के हस्ताक्षर लेने का जुनून विकसित हुआ. सैयद इम्तियाजुद्दीन ने कहा कि रमन का जवाबी पत्र और ऑटोग्राफ पाकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

शैक्षिक पृष्ठभूमि

अपने शैक्षिक सफर के बारे में बात करते हुए सैयद इम्तियाजुद्दीन ने कहा कि उन्होंने हैदराबाद के मशहूर पब्लिक स्कूल चादर घाट हाई स्कूल से 10वीं पास की है.

10वीं के बाद निजाम कॉलेज में एक साल का प्री-यूनिवर्सिटी कोर्स पूरा किया. उसके बाद उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से बीई पूरा किया, इस बीच उन्हें आंध्र प्रदेश राज्य विद्युत विभाग (एपीएसईबी) में नौकरी मिल गई.

अपने रोजगार के दौरान, उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से शाम के घंटों में एमबीए पूरा किया. वर्ष 2001 में वे अधीक्षण अभियंता के पद से सेवानिवृत्त हुए.

हैदराबाद के प्रसिद्ध कवि, शाज तमकीनत ( 21 जनवरी 1933 - 18 अगस्त 1985) सैयद इम्तियाजुद्दीन के बड़े भाई थे. शाज तमकीनत ने अपने समय में बड़ी ख्याति प्राप्त की. उन्हें दिल्ली, लखनऊ और देश के अन्य राज्यों में मुशायरों में आमंत्रित किया गया था. शाज तमकीनत की प्रसिद्ध कृतियों में नीम खबम, तरशिदा और बयाज शाम उल्लेखनीय हैं.

एक यादगार घटना

सैयद इम्तियाजुद्दीन ने अपने भाई का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मुशायरा में हिस्सा लेने जब शाज दिल्ली गए थे, तो उन्होंने अपने पास एक ऑटोग्राफ बुक भी रखी थी, जिसमें उन्हें कई जाने-माने शायरों के दस्तखत मिले थे.

इसे देखकर मुझे भी मशहूर हस्तियों के हस्ताक्षर लेने की प्रेरणा मिली. 1957 के अंत में, मैंने भारत के पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ( 3 दिसंबर 1884 - 28 फरवरी 1963) को मिलने की इच्छा व्यक्त करते हुए पत्र लिखा और राष्ट्रपति भवन से जवाब मिला कि राजेंद्र प्रसाद जून 1958 हैदराबाद आएंगे. जहां आप उनसे वहाँ मिल सकते हैं.’’

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‘‘जैसे-जैसे संबंधित तारीख नजदीक आ रही थी, मेरा उत्साह और अधिक बढ़ रहा था. राजेंद्र प्रसाद के हैदराबाद आने की खबर मिलने पर मैं अपने बड़े भाई शाज तमकांत के साथ हैदराबाद रेजिडेंस पहुंचा और राजेंद्र प्रसाद से मिला. बेहद खुश हुआ.

मेरे इस शौक की खुद राजेंद्र प्रसाद ने भी तारीफ की थी. उनके पास पहले से ही एक परिष्कृत कागज पर अंग्रेजी और हिंदी में उनके हस्ताक्षर थे. उन्होंने मेरे सामने उर्दू में उस पर दस्तखत भी किए और अपनी शुभकामनाएं भी दीं.’’

सैयद इम्तियाजुद्दीन को बचपन से ही अल्लामा इकबाल ( 9 नवंबर 1877 - 21 अप्रैल 1938) की शायरी का खास शौक रहा है. वह हैदराबाद के प्रमुख इकबालवादियों में से एक हैं.

यही वजह है कि वह हर बुधवार को हैदराबाद के सांचा टॉप (गन फाउंड्री) इलाके की मस्जिद आलिया में आयोजित होने वाले ‘महफिल इकबाल शहनाही’ में लेक्चर देते रहे हैं. वहीं, उर्दू जगत के जाने-माने व्यंग्यकार मुजतबा हुसैन (15 जुलाई 1936 - 27 मई 2020) उनके दोस्त थे, जिन पर उन्होंने एक किताब भी संकलित की थी.

विश्व हस्तियों के हस्ताक्षर

सैयद इम्तियाजुद्दीन ने दो सौ से अधिक प्रमुख हस्तियों के ऑटोग्राफ इकट्ठे किए हैं. उनमें से लॉर्ड माउंटबेटन ( 25 जून 1900 - 27 अगस्त 1979), भारत के अंतिम वायसराय और भारत के पहले गवर्नर जनरल हैं.

उनके अलावा, संयुक्त राज्य अमेरिका के बयालीसवें राष्ट्रपति जिमी कार्टर ( 1 अक्टूबर, 1924), मिस्र के दूसरे राष्ट्रपति, गमाल अब्देल नासर ( 15 जनवरी, 1918 - 28 सितंबर, 1970), यूगोस्लाविया के पूर्व राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज टीटो ( 7 मई 1892 - 4 मई, 1980), पैंतीसवें अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी (29 मई, 1917 - 22 नवंबर, 1963), इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति अब्दुल रहीम सुकर्णो ( 18 अगस्त, 1945 - 12 मार्च, 1967), इजराइल के पहले प्रधानमंत्री डेविड बेन-गुरियन ( 3 नवंबर, 1955 - 26 जून, 1963), जॉर्डन के पूर्व राजा हुसैन बिन तलाल ( 14 नवंबर, 1935 - 7 फरवरी, 1999) ), प्रसिद्ध अमेरिकी अभिनेत्री एलिजाबेथ टेलर ( 27 फरवरी 1932 - 23 मार्च 2011), उनके पति प्रसिद्ध हॉलीवुड अभिनेता रिचर्ड बर्टन ( 10 नवंबर 1925 - 5 अगस्त 1984), मदर टेरेसा ( 26 अगस्त 1910 - 5 सितंबर 1997), चार्लटन हेस्टन ( 4 अक्टूबर, 1923 - 5 अप्रैल, 2008) अमेरिकी फिल्म द टेन कमांडमेंट्स के नायक और डॉ. अब्दुल सलाम ( 29 जनवरी, 1926 - 21 नवम्बर, 1996) प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी पाकिस्तान को पत्र लिखे और हस्ताक्षर करवाए.

इनमें से कई हस्तियों ने अपनी फोटो भी उपहार स्वरूप भेंट की.

भारतीय राजनेता

सैयद इम्तियाजुद्दीन ने भारतीय राजनेताओं से ऑटोग्राफ प्राप्त किए, उनमें से उल्लेखनीय नाम भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ( 4 नवंबर, 1889 - 27 मई, 1964), पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी  19 नवंबर, 1917 - 31 अक्टूबर, 1984), भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन ( 8 फरवरी 1897 - 3 मई 1969), देश के पहले शिक्षा मंत्री, पत्रकार और लेखक मौलाना अबुल कलाम आजाद ( 11 नवंबर 1888 - 22 फरवरी), पंडित लाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित ( 18 अगस्त 1900, 1 दिसंबर 1990), वीके कृष्ण मेनन ( 3 मई 1896 - 6 अक्टूबर 1974), पूर्व प्रधानमंत्री माराजी देसाई ( 29 फरवरी 1896 - 10 अप्रैल 1995) ), पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी ( 10 अगस्त 1894 - 24 जून 1980), पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ( 5 सितंबर 1888 - 17 अप्रैल 1975), भारत गणराज्य के पूर्व राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी आदि है..

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साहित्य, फिल्म और खेल

उन्होंने कहा कि शुरू से ही उन्हें साहित्य, फिल्म और खेल से लगाव रहा है. उन्हीं के शब्दों में इन तीनों का जीवन से गहरा संबंध है. यही वजह है कि उन्होंने इन तीनों क्षेत्रों से जुड़ी हस्तियों के हस्ताक्षर लिए.

प्रसिद्ध अंग्रेजी कवि टीएस एलियट ( 26 सितंबर, 1888 - 4 जनवरी, 1965), अमेरिकी लेखक जॉन स्टीनबेक ( 27 फरवरी, 1902 - 20 दिसंबर, 1968), ब्रिटिश गणितज्ञ और नोबेल पुरस्कार विजेता बर्ट्रेंड रसेल ( 18 मई , 1872 - 2 फरवरी, 1970), अमेरिकी उपन्यासकार अर्नेस्ट हेमिंग्वे ( 21 जुलाई, 1899 - 2 जुलाई, 1961), स्काटलैंड के प्रसिद्ध डॉक्टर एजे क्रोनिन (19 जुलाई, 1896 - 6 जनवरी, 1981), अमेरिकी लेखक पर्ल एस बक ( 26 जून, 1892 - 6 मार्च, 1973), अंग्रेजी लेखक एल्डस हक्सले ( 26 जुलाई, 1894 - 22 नवंबर, 1963), जोश मलीहाबादी ( 5 दिसंबर, 1898 - 22 दिसंबर, 1963), राशिद अहमद सिद्दीकी ( 1894 - 15 जनवरी 1977), जिगर मुरादाबादी ( 6 अप्रैल 1890 - 9 सितंबर 1960), फैज अहमद फैज ( 3 फरवरी 1911 - 20 नवंबर 1984) ), खलीलुर रहमान आजमी ( 9 अगस्त 1927 - 1 जून 1978), सोहेल अजीमाबादी ( 16 जुलाई 1911 - 28 नवंबर 1979), अहमद नदीम कासमी ( 20 नवंबर 1916 - 10 जुलाई 2006 ), मखदूम मोहिउद्दीन ( 4 फरवरी 1908 - 25 अगस्त 1969), कुर्तुल ऐन हैदर ( 20 जनवरी 1927 - 21 अगस्त 2007), कृष्ण चंद्र ( 23 नवंबर 1914 - 8 मार्च 1977), राजिंदर सिंह बेदी ( 1 सितंबर 1915 - 1984), मौलाना सैयद अबुल हसन अली नदवी ( 5 दिसंबर 1913 - 31 दिसंबर 1999) और मौलाना अब्दुल मजीद दरियाबादी ( 16 मार्च 1892 - 6 जनवरी 1977), दिलीप कुमार ( 11 दिसंबर 1922 - 7 जुलाई 2021), अशोक कुमार ( 3 अक्टूबर 1911 - 10 दिसंबर 2001), आदि इस सूची में शामिल हैं, जिनके हस्ताक्षर इम्तियाजुद्दीन ने लिए थे. सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर और अमिताभ बच्चन आदि ने भी सैयद इम्तियाजुद्दीन के ऑटोग्राफ बुक पर हस्ताक्षर किए.

सैयद इम्तियाजुद्दीन ने कहा कि हैदराबाद में मशहूर मुअज्जम जाही मार्केट के पास एक अमेरिकी लाइब्रेरी थी, जहां वह अक्सर जाकर पढ़ते थे. ‘हूज इन अमेरिका’ नामक पुस्तक के अध्ययन से उन्हें अनेक व्यक्तित्वों के बारे में जानने का अवसर मिला. सैयद इम्तियाजुद्दीन का कहना है कि अगर इंसान में जुनून और सच्ची लगन हो, तो वह अपने लक्ष्य में सफल हो ही जाता है.