पूर्व कारसेवक मोहम्मद आमिर की संदिग्ध मौत

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 23-07-2021
पूर्व कारसेवक मोहम्मद आमिर की संदिग्ध मौत
पूर्व कारसेवक मोहम्मद आमिर की संदिग्ध मौत

 

आवाज द वाॅयस / हैदराबाद
 
मोहम्मद आमिर (पूर्व में बलबीर सिंह), कभी कारसेवक और बाबरी मस्जिद के विध्वंस में भाग लेने वाले संघ के नेता की पुराने शहर के हाफिज बाबा नगर इलाके में उनके आवास पर संदिग्ध रूप से मृत्यु हो गई.
 
बाबा नगर स्थित उनके किराए के घर से दुर्गंध आने पर स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी, जिस पर कंचनबाग पुलिस की एक टीम उनके आवास पर पहुंची. मौत के कारणों की जांच शुरू की.
 
कंचनबाग थाने के निरीक्षक जे वेंकट रेड्डी ने कहा, ‘‘मौत का सही कारण फिलहाल पता नहीं चल सका है. अगर हमें परिवार के सदस्यों से उसकी मौत पर संदेह के बारे में कोई शिकायत मिलती है, तो पुलिस पोस्टमॉर्टम के लिए आगे बढ़ेगी और मामला दर्ज करेगी.‘‘ .
 
बाबरी मस्जिद के विध्वंस में भाग लेने और बाद में अपने धर्म को इस्लाम में परिवर्तित करने के बाद 100 मस्जिदों के निर्माण और जीर्णोद्धार का कार्य किया गया है. हालाँकि उन्होंने बाबरी मस्जिद के विध्वंस में सक्रिय भाग लिया लेकिन अपने धर्म परिवर्तन के बाद उन्होंने मस्जिदों की रक्षा करने का भी वचन दिया और 91 मस्जिदों का निर्माण पूरा किया.
 
मोहम्मद आमिर कंचनबाग थाना क्षेत्र के हाफिज बाबा नगर सी ब्लॉक में किराए के मकान में रह रहा थे. हैदराबाद में अपनी 59वीं मस्जिद का निर्माण कर रहा थे जिसका नाम ‘मस्जिद-ए-रहमिया‘ रखा गया है. साल 2019 में 6 दिसंबर को मोहम्मद आमिर ने हाफिज बाबा नगर में बालापुर रोड के पास मस्जिद-ए-रहमिया का शिलान्यास किया था.
 
तब से निर्माण कार्य चल रहा है. स्थानीय लोग इलाके में अस्थाई छाया में नमाज अदा कर रहे हैं.आमिर बाबरी मस्जिद के विध्वंस में शामिल एक कारसेवक थे जब वह विध्वंस के बाद घर पहुंचे तो जनता ने उनका नायक जैसा स्वागत किया.
 
मगर उनके परिवार ने उनके कार्यों की निंदा की जिसके परिणामस्वरूप वह दोषी महसूस कर रहे थे. बाद में, जब वे बीमार पड़ गए और उन्हें शारीरिक समस्याएं होने लगीं, तो उन्होंने एक मौलाना से परामर्श करने का फैसला किया.
 
वह यूपी के मुजफ्फरनगर में मौलाना कलीम सिद्दीकी के पास गए. उन्हें बाबरी मस्जिद के विध्वंस के कार्य के बारे में बताया और पश्चाताप की इच्छा व्यक्त की.मौलाना ने उन्हें कुरान की आयतों के माध्यम से इस्लामी मूल्यों की व्याख्या की. उस समय उन्होंने महसूस किया कि उन्होंने जो किया वह सही नहीं था.
 
1 जून 1993 को उन्होंने मौलाना कलीम सिद्दीकी के सामने बैठकर इस्लाम कबूल कर लिया. उन्होंने 100 मस्जिद बनाने और उनकी रक्षा करने का भी फैसला किया. इस उद्देश्य के साथ उन्होंने इस 26 वर्षों में 91 मस्जिदों का निर्माण किया. मोहम्मद आमिर ने हरियाणा में पहली मस्जिद का निर्माण किया और 1994 में इसका नाम मस्जिद-ए-मदीना रखा.