आवाज- द वॉयस/ एजेंसी
अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद ज़ैनुल अबेदीन ने कहा है कि , “तालिबान जो अपने देश में शरिया कानून के बारे में बात कर रहा है, वह पूरी तरह से अलग हैं उन्होंने शरिया कानून की व्याख्या अपने एजेंडे के अनुसार आतंकवाद और शासन के एजेंडे को पूरा करने के लिए की है. जबकि शरिया कानून स्पष्ट रूप से महिलाओं बुजुर्गों और बच्चों के अधिकारों की रक्षा करता है अपनी अवाम के साथ इंसाफ़ और अमन से रहने का आदेश देता है.”
उन्होंने कहा, “शरीयत ने आम नागरिकों महिलाओं, बच्चों और निर्दोष लोगों को मारने की अनुमति कभी नहीं दी है, इसलिए विश्व समुदाय को इसके बारे में पता होना चाहिए कि तालिबान जिस शरिया के बारे में बात कर रहा है वह उनकी अपनी आतंकी सोच की व्याख्या के अनुसार है.”
उन्होंने कहा, शरीयत के नाम पर आतंक फैलाकर तालिबान इस्लाम को बदनाम कर रहा है. उन्होंने कहा है कि तालिबान की आतंकी और तानाशाही हरकतों से दुनिया में इस्लाम के प्रति दुर्भावना फैलाई जा रही है.
अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद ज़ैनुल आबेदीन साहब ने अजमेर में कहा कि अफ़ग़ानिस्तान क्रूर तालिबान शासकों के हाथ आ गया है. इसके साथ ही इस देश में भारी तबाही, औरतों पर बंदिशें और मामूली अपराधियों को अंग-भंग कर देने का शासन शुरू हो गया.
शरीयत के कानून के नाम पर यह सब करना इस्लाम में अपराध है इसे समर्थन नहीं किया जा सकता है. अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख ने कहा, “आज मुस्लिम जगत का प्रत्येक देश शरिया कानून के तहत आम लोगों को सम्मानपूर्वक उनके बुनियादी मौलिक अधिकारों को उन्हें देने के लिए बाध्य है.”
उन्होंने देश के युवाओं से अपील की है कि वह धर्म के नाम पर किसी भी तरह के झूठे प्रचार में न पड़ें.
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में जो चल रहा है, यह हम सभी के लिए एक सबक है कि धन,प्रसिद्धि, राजनीतिक शक्ति का आपके जीवन में कोई मोल नहीं है क्योंकि यदि राष्ट्र है तो हम हैं, हमारा राष्ट्र सुरक्षित है तो हम सुरक्षित हैं. इसलिए हमें राष्ट्र हित को हमेशा ऊपर रखना चाहिए. हमारा पहला कर्तव्य हमारे देश को बचाना देश में एकता और अमन कायम रखना होना चाहिए. बाद में हमें अपने बारे में सोचना चाहिए .
अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख ने तालिबान की सत्ता को अवैध बताते हुए उनकी आतंकी विचारधारा का समर्थन और स्वागत करने वालों की भी कड़ी निंदा की है.
उन्होंने कहा, “भारत का मुसलमान तालिबान की किसी भी तरह की विचारधारा का समर्थन और स्वागत नहीं करता है क्योंकि तालिबान की विचारधारा इस्लाम की बुनियादी शिक्षा के खिलाफ है.”