शमीम अहमद गदगद हैं, सूरजकुंड मेले में मिला स्टॉल नम्बर 786

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 24-03-2022
शमीम अहमद गदगद हैं, सूरजकुंड मेले में मिला स्टॉल नम्बर 786
शमीम अहमद गदगद हैं, सूरजकुंड मेले में मिला स्टॉल नम्बर 786

 

कविता / फरीदाबाद

35वें अंतरराष्ट्रीय मेला कोरोना महामारी के कारण पिछले दो साल से नहीं लगा था, लेकिन इस बार प्रशासन की तरफ से मेला 19 मार्च से चार अप्रैल तक लगाया गया है. इस मेले में देश-विदेश से आए हस्तशिल्पियों ने अपने-अपने स्टॉल लगाए है. इसी शिल्पकारों में बनारस निवासी शमीम अहमद भी शामिल हैं. शमीम ने हैंडलूम ज्यादा और पावर लूम के कम कपड़ों का स्टॉल लगाया है.

शमीम ने खुद को किस्मत का धनी मानते हुए बताया कि उन्हें मेले में स्टॉल नम्बर 786 मिला है, जोकि खुदा की मेहरबानी है. उन्होंने कहा कि इस्लाम में 786 को लक्की नम्बर माना जाता है और इस बार उन्हें यह नम्बर अल्लाह की मेहरबानी से मिला है.

बनारस के निवासी 65 वर्षीय शमीम अहमद ने बताया कि दुनिया की मशहूर बनारसी साड़ी का निर्माण उनके पुरखों की विरासत है और उनके यहां पुश्त-दर-पुश्त यह काम होता रहा है.

शमीम अहमद बताते हैं कि अब तो कई तरह के कपड़े और मशीनों से बने कपड़े बाजार में देखने को मिलते हैं, लेकिन उस समय केवल हैंडलूम के बुने कपड़ों की मांग हुआ करती थी. उन्होंने बताया कि हैंडलूम के काम के अब भी कद्रदान हैं. इसलिए वे हैंडलूम के काम को ज्यादा करते हैं और पावर लूम के उत्पाद कम बनाते हैं. वे हैंडलूम उत्पादों से ही इस व्यवसाय को वह अब आगे बढ़ा रहे हैं.

उन्होंने बताया कि पुरखों की विरासत को संभालना उनका फर्ज है. इसलिए वह पिछले 50 सालों से अपने शौक के कारण इस बिजनेस को आगे बढ़ा रहे हैं.

शमीम ने बताया कि इस बार वह मेले में बनारसी, मुंगा, कतान और इनसे बनी साड़ी, सूट, दुपट्टा, फैब्रिक लेकर आए हैं, जो आजकल काफी चलन में हैं. उनके स्टॉल पर 1500 से 65 हजार रुपये तक की साड़ी मौजूद है.

शमीम के स्टाल पर एक से चार हजार रुपये तक के दुपट्टे लोगों को भा रहे हैं. उन्होंने कहा कि लॉक डाउन से पहले आयोजित मेले में उन्होंने 4 से 5 लाख रुपये तक का बिजनेस किया था. लेकिन इस बार अभी तक सेल कम है. गर्मी के कारण लोग मेले में कम आ रहे है. लोगों की संख्या को देखकर इस बार की सेल कम होने के आसार हैं. गुजरे तीन दिनों में तो काफी कम संख्या में लोग मेला देखने आए हैं.

इस्लाम में ७८६ (786) अंक का महत्व 

मुसलमान ७८६ (786) अंक को बेहद पाक एवं बिस्मिल्ला का रूप मानते हैं।

उर्दू में ‘बिस्मिल्ला अल रहमान अल रहीम’ को लिखकर उसका योग करने पर ७८६ (786) आता है।

इस्लाम को मानने वाला हर बंदा खुदा की इनायत मानता है. यही कारण है कि इस्लाम को मानने वाले लोग अपने हर काम में ७८६ (786) अंक को शामिल करना शुभ मानते हैं।

हिन्दू धर्म में भी है महत्वपूर्ण

७८६ (786) अंक का संबंध देवकी नंदन भगवान श्रीकृष्ण से है।

बांसुरी के (7) सात  छिद्रों से सात स्वरों के साथ अपने हाथों की तीन-तीन अंगुलियों से यानी (6) छह अंगुलियों से श्रीकृष्ण बांसुरी बजाते थे।बांसुरी के (7) सात छिद्रों से बने सात स्वरों को देवकी के आठवें (8) पुत्र प्रिय श्रीकृष्ण ने अपनी (6) अंगुलियों से बजाते थे।

यही कारण है कि ७८६ (786) अंक को हिन्दू धर्म में भी महत्वपूर्ण माना जाता है.

७८६ (786) का हिन्दू धर्म से दूसरा संबंध

प्रसिद्ध शोधकर्ता राफेल पताई ने 'द जीविस माइंड' में लिखा है कि ७८६ (786) अंक की आकृति को गौर से देखा जाएगा तो यह बिल्कुल संस्कृत में लिखा हुआ ‘ऊँ’ दिखाई देगी। अगर इसे परखने और जांचने किए हिन्दी में ७८६ (786) लिखा जाए तो इसका जवाब खुद मिल जाएगा।