आवाज द वॉयस / नई दिल्ली
दम तोड़ती कोरोना महामारी के बीच दो साल बाद रमजान का महीना बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा है. ऐसे में रमजान के आखिरी षुक्रवार जुम्मातुल विदा और मई की षुरूआत में पड़ने वाली ईद की नमाज में भारी भीड़ उमड़ने की संभावना के मद्देनजर भारतीय विद्वानों और बुद्धिजीवियों ने एक विशेष अपील जारी की है.
इस बार रमजान का अंतिम शुक्रवार 29 अप्रैल को है. इस दिन जुमे की नमाज में मुसलमानों के बड़ी संख्या में मस्जिद पहुंचने की परंपरा है.धार्मिक त्योहार भाईचारे, प्रेम और एकता को बढ़ावा देते हैं, लेकिन कुछ शुरारतीतत्व इन त्योहारों का इस्तेमाल राजनीतिक रोटी सेकने और नफरत की आग भड़काने के लिए करते हैं . रमजान का महीना अब अपने अंतिम पड़ाव पर है.
रमजान के दिनों में मस्जिदों में तरावीह, शब-ए-कद्र और शुक्रवार की विशेष नमाज में आम दिनों के मुकाबले अधिक संख्या में लोग अधिक जुटते हैं. अगले हफ्ते ईद-उल-फितर आने वाली है. इसमें भी नमाजी बड़ी तादाद में मस्जिदों एवं ईदगाहों में जुटते हैं.
इसे देखते हुए देश के कतिपय नेताओं एवं महत्वपूर्ण धार्मिक और राष्ट्रीय हस्तियों ने संयुक्त रूप से मुसलमानों को लेकर एक अपील जारी की है, जिसमें मुसलमानों से आग्रह किया गया है.
अपील में कहा गया है किअपनी बस्तियों और मोहल्लों में दूसरे समुदाय के भाइयों और शांति समितियों के साथ बैठ कर सुनिश्चित करें कि अपने इलाके में किसी उपद्रवी को खुराफात फैलाने का मौका न मिले. कोई ऐसा करता है, तो सभी मिलकर इसके खिलाफ प्रशासन से शिकायत करें.
स्थानीय प्रशासन के साथ बैठक करें. यह सुनिश्चित करने का प्रयास करें कि किसी भी परिस्थिति में कानून-व्यवस्था प्रभावित न होने पाए .राज्य, जिला और स्थानीय स्तर पर अन्य धर्मों के प्रतिनिधियों से मिलें. उनसे अपील करें कि किसी भी राजनीतिक दल या किसी शरारती समूह के दबाव में ऐसा कुछ न करें जिससे देश की छवि खराब हो.
जुम्मा तुल विदा एवं इर्द की नमाज के समय मस्जिदों और ईदगाह के बार इंसाफ पसंद पत्रकारों,महत्वपूर्ण शख्सियतों की मौजूदगी का प्रबंध करें. जहां संभव हो सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था की जाए. ईदगाहों में जाते और लौटते समय सभी मुसलमान शांत रहें. किसी के उकसावे में न आएं. कुछ लोग उन्हें भड़काने की कोशिश कर सकते हैं.
अलविदा एवं ईद की तकरीरों, उपदेशों में बहुत सावधानी बरतें. स्पष्ट भाषा का प्रयोग करें, ताकि आप की बातों को कोई विकृत कर उसे दुष्प्रचार का जरिया न बनाए.सभी ईदगाह और मस्जिद समितियों से अनुरोध की गई है कि उपरोक्त अपील का अनुपालन सुनिश्चित करने का प्रयास करें.
अपील कर्ता
मौलाना मुहम्मद रबी हसनी नदवी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष, मौलाना सैयद अरशद मदनी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष, सैयद सादातुल्लाह हुसैनी, जमात-ए-इस्लामी इंडिया के अमीर, मौलाना सैयद महमूद असद मदनी, अध्यक्ष जमीयत उलेमा-ए-हिंद, मौलाना सैयद जलालुद्दीन उमरी शरिया परिषद के अध्यक्ष, मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव, मौलाना असगर अली इमाम मेहदी सलाफी, सेंट्रल जमीयत के अमीर अहले हदीस हिंद, नवीद हामिद, अध्यक्ष ऑल इंडिया मुस्लिम एडवाइजरी काउंसिल के डॉ सैयद अली मुहम्मद नकवी उपाध्यक्ष ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, डॉ जफरुल इस्लाम खान, पूर्व अध्यक्ष ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरत, मौलाना मोहम्मद सुफियान कासमी, अधीक्षक दारुल उलूम देवबंद, वक्फ, मौलाना यासीन अख्तर मिस्बाही, रजा अकादमी, मौलाना मोहसिन तकवा, इमाम और खतीब शिया जामी मस्जिद कश्मीरी गेट, मौलाना जलाल हैदर नकवी, संयोजक प्रवक्ता, अखिल भारतीय शिया परिषद, डॉ मंजूर आलम, महासचिव अखिल भारतीय मिल्ली परिषद, डॉ सैयद कासिम रसूल इलियास, कार्यकारी सदस्य ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड.