पंजाबः सिख शहादत की अकीदत में मुसलमानों ने लगाया जगह-जगह लंगर

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] • 1 Years ago
सिख शहादत की अकीदत में मुसलमानों ने लगाया जगह-जगह लंगर
सिख शहादत की अकीदत में मुसलमानों ने लगाया जगह-जगह लंगर

 

अमरीक सिंह/ चंडीगढ़

पंजाब के जिला फतेहगढ़ साहिब में ऐतिहासिक शहीदी जोड़ मेला जारी है. यह मेला अपने किस्म का एक नायाब आयोजन होता है जो सिखों के नौंवे गुरु गोविंद सिंह जी के चार शहीद साहिबजादों तथा माता गुजरी जी की अमर शहादत की याद में लगाया जाता है.

इसमें देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु शिरकत करते हैं. जिनमें सिख-हिंदू ही नहीं बल्कि मुसलमान भी शामिल होते हैं. मुसलमानों का एक बड़ा तबका तथ्यों के आधार पर मानता है कि उन पर गुरु गोविंद सिंह जी की भी खुदाई रहमत है. इसलिए हजारों की तादाद में मुसलमान संप्रदाय से जुड़े लोग इस मेले में आते हैं. इस बार भी आ रहे हैं.

वैसे तो यह जोड़ मेला लगभग हफ्ता भर चलता है लेकिन इसमें तीन दिन खास अहमियत रखते हैं. फतेहगढ़ साहिब में जारी जोड़ मेले में इस बार भी कई मुस्लिम संस्थाओं ने 27 दिसंबर से बाकायदा अटूट लंगर शुरू किया और जो 29 दिसंबर तक मुतवातर जारी रहेगा.

फोटो: फतेहगढ़ साहिब में मुसलमानों द्वारा तैयार किया जा रहा लंगर (सभी फोटोः अमरीक सिंह)


मुसलमानों द्वारा लगाए गए लंगर में तमाम संप्रदायों के लोग भारी तादाद में लंगर छक रहे हैं. खाने के साथ-साथ चाय और अन्य खाद्य व पेय पदार्थों के लंगर लगाए गए हैं.

सबसे बड़ा लंगर 'मुस्लिम--सिख सांझ' संस्था ने लगाया है. इस संस्था का मुख्यालय मलेरकोटला में है. मंगलवार को लंगर की विधिवत शुरुआत करने से पहले जहां सिखों ने अरदास की तो वहीं मुसलमानों ने नमाज अदा की.

मुस्लिम--सिख सांझ संस्था के पैरोकार मलेरकोटला के मूलनिवासी नसीर अख्तर हैं. वह कहते हैं, "सिखों के पांचवें गुरु श्री अर्जुन देव जी ने पावन श्री गुरु ग्रंथ साहिब में पवित्र मुस्लिम पैगंबरों की बाणी  को अहमद दर्जा दिया, तभी से सिख-हिंदू और मुसलमान एकता पुख्ता होती आई है. साहिबजादों और माता गुजरी जी की ऐतिहासिक कुर्बानियों में कतिपय धर्मनिरपेक्ष और सच्चे मुसलमानों की भूमिका सिख इतिहास के सुनहरे पन्नों में लिखी गई है. मुगलों से लड़ने वाले खुद गुरु गोविंद सिंह जी ने ऐसे मुसलमानों को अपने आशीर्वाद से नवाजा था और इसीलिए आज मलेरकोटला बसा हुआ है तथा पंजाब भर में मस्जिदें पहले की मानिंद कायम हैं. संतालीस के बंटवारे के वक्त किसी ने भी उनकी तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखी. यह नौवें बादशाह की हिदायत तथा आशीर्वाद का सदका है. इसीलिए जोड़ मेले में भारी तादाद में मुस्लिम बिरादरी यहां आकर सजदा करती है और विभिन्न संस्थाएं लंगर लगाती हैं."

सिख--मुस्लिम सांझ संस्था से वाबस्ता कुर्बान अली के मुताबिक, "इस संस्था की शुरुआत 20 साल पहले हुई थी. पहले-पहल श्री आनंदपुर साहिब में लंगर लगाया गया था और तब से यह सिलसिला बदस्तूर जारी है तथा सदा जारी रहेगा."                             

फतेहगढ़ साहिब में मुसलमानों द्वारा लगाए गए लंगर में पहले दिन माता गुजरी कालेज के प्रिंसिपल डॉक्टर कश्मीर सिंह, डॉक्टर भूपेंद्र सिंह और डॉ विक्रमजीत सिंह सहित कई सिख विद्वानों ने शिरकत की. प्रिंसिपल डॉ कश्मीर सिंह ने कहा कि मुस्लिम समुदाय द्वारा लगाए गए लंगर दुनिया भर के लिए मिसाल हैं. इससे उस तबके को सबक लेना चाहिए जो अमन और सद्भाव के लिए खतरे पैदा कर रहे हैं.