सोशल मीडिया का कमालः पाकिस्तानी बहन सकीना ने लुधियाना में ढूंढ निकाला अपना भाई गुरमेल

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 28-07-2022
सोशल मीडिया का कमालः पाकिस्तानी बहन सकीना ने लुधियाना में ढूंढ निकाला अपना भाई गुरमेल
सोशल मीडिया का कमालः पाकिस्तानी बहन सकीना ने लुधियाना में ढूंढ निकाला अपना भाई गुरमेल

 

शेखूपुरा-लुधियाना. पाकिस्तान के शेखूपुरा जिले की रहने वाली सकीना बीबी दशकों से अपने लापता भाई की तलाश कर रही थीं, जो भारत के विभाजन के दौरान भारतीय शहर लुधियाना में रह गया था. 67 वर्षीय सकीना बीबी का वीडियो सोशल मीडिया पर प्रकाशित होने के बाद, यह लुधियाना के जसवोल गांव के सरपंच जगतार सिंह के पास पहुंचा, जिन्होंने इस बात की पुष्टि की कि सकीना बीबी का भाई गुरमेल सिंह उसी गांव में रहता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सकीना बीबी ने कभी अपने भाई को देखा या मिली नहीं हैं, लेकिन उनका इंतजार कुछ ही दिनों में खत्म होने वाला है. सालों से बिछड़े भाई-बहन पहली बार एक-दूसरे से मिल सकेंगे, लेकिन वह भी ऑनलाइन कॉल के जरिए.

पाकिस्तान के यूट्यूबर नासिर ढिल्लों ने सकीना बीबी का एक वीडियो वायरल किया था, जिसमें उन्होंने अपने लापता भाई से मिलने की अपील की थी. सकीना बीबी ने एक वीडियो संदेश में कहा कि उनके माता-पिता ने उनके भाई को खोजने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हो सके. मेरे भाई ने 1961 में अपनी तस्वीर के साथ हमें एक पत्र लिखा था. उस समय वे आठवीं कक्षा में पढ़ रहे थे.’’

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पत्र में गुरमेल सिंह ने कहा कि जो परिवार उनकी देखभाल कर रहा है, वह उनके अपने बेटे की तरह ही उनकी देखभाल कर रहा है. लेकिन हमें यह पता नहीं चल पाया कि यह पत्र किस पते से आया है. बेटे को देखने के गम में मेरी मां की मौत हो गई. जब मेरे माता-पिता की मृत्यु हो गई, तो मैंने अपने भाई को खोजने की कोशिश की और मेरे दामाद ने भी. मैंने हर जगह अपने भाई से मिलने की प्रार्थना की, यहां तक कि ननकाना साहिब में भी.’’

भारत के विभाजन के दौरान, सकीना बीबी के भाई गुरमेल सिंह ग्रेवाल भारत में रहे और उन्हें एक सिख परिवार ने गोद लिया और पाला. टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए नासिर ढिल्लों ने कहा कि गुरमील सिंह का जन्म भारत के बंटवारे से पहले लुधियाना के नूरपुर गांव में हुआ था, जबकि उनकी बहन सकीना बीबी का जन्म पाकिस्तान के शेखूपुरा जिले के गुरदास गांव में साल 1955 में हुआ था.

1947 में भारत के विभाजन के दौरान, गुरमेल और उनकी माँ अपने पैतृक गाँव में पीछे रह गए थे. गुरमेल के पिता ने अधिकारियों को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि उनके परिवार को पाकिस्तान भेज दिया जाए. अधिकारियों ने गुरमेल की मां को पाकिस्तान स्थानांतरित करने में कामयाबी हासिल की, लेकिन उन्हें लुधियाना में ही छोड़ दिया.

अधिकारियों की टीम पांच साल के गुरमेल और उसकी मां को लेने पहुंची, तो वे कहीं खेलने गए थे और टीम बिना इंतजार किए मां को ले गई. सकीना बीबी के मुताबिक, उनकी मां अपने बेटे के अलग होने का गम नहीं सह सकीं और सकीना महज दो साल की थीं, जब उनकी मां का निधन हो गया.

सकीना बीबी जब तीसरी कक्षा में पढ़ रही थीं, तब उनके पिता वली मुहम्मद का निधन हो गया था. नासिर ढिल्लो ने कहा कि जैसे ही उन्होंने वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर प्रकाशित की, जसोवाल गांव के सरपंच जगतार सिंह ने उनसे संपर्क किया.

जगतार सिंह ने कहा कि उन्होंने वीडियो दिखाने के लिए गुरमेल सिंह को फोन किया था. गुरमेल सिंह को एहसास हुआ कि उनकी बहन एक वीडियो कॉल पर थी, इसलिए वह फूट-फूट कर रोने लगा और कहा, ‘‘मैं तेरा वीर ही हां’’. गांव के सरपंच ने बताया कि गुरमेल गांव में पत्नी और बेटी के साथ रहता है.

गुरमेल सिंह ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मैंने अपने परिवार को याद किया, लेकिन उन्हें ढूंढ नहीं पाया. मैंने सुना था कि मेरी प्रतीक्षा करते-करते मेरी माँ की मृत्यु हो गई. अब मेरी बहन ने मुझे ढूंढ लिया है, इसलिए मैं कल उससे मिलने जा सकता हूं. मेरे पास पासपोर्ट नहीं है, लेकिन मुझे पासपोर्ट मिल जाएगा. गुरमेल सिंह ने कहा कि वह अपनी बहन को गांव में बने स्पेशल बिस्किट ले जाना चाहता था.