मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली
मिथिला के महान सपूत और अंतरिक्ष विज्ञानी पद्मश्री मानस बिहारी वर्मा का हृदय गति रुकने से देहांत हो गया. वह डॉ. कलाम के निकट सहयोगी थे.
देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के निकट सहयोगी और भारत के पहले सुपरसोनिक लड़ाकू विमान 'तेजस' के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पद्मश्री डॉ. मानस बिहारी वर्मा बिहार में ही रह रहे थे और जब तक डॉ कलाम जीवित थे, बिहार आकर इनसे मुलाकात अवश्य करते थे. डॉ. वर्मा ने सोमवार की देर रात बिहार के दरभंगा जिले में लहेरियासराय स्थित आवास पर अंतिम सांस ली.
डॉ. वर्मा डीआरडीओ, बेंगलूरू में डॉ. कलाम के निकट सहयोगी और रक्षा वैज्ञानिक थे.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉ वर्मा का निधन हृदय गति रुक जाने से हुआ. डॉ. वर्मा घनश्यामपुर प्रखंड के बाऊर गांव के मूल निवासी थे और इन दिनों किराए के मकान में रह रहे थे.
डॉ. वर्मा ने लड़ाकू विमान 'तेजस' के निर्माण में अपनी अहम भूमिका अदा की थी. डॉ. वर्मा का जन्म 29जुलाई 1943को बाऊर में हुआ था. उनकी चार बहनें और तीन भाई थे.
बचपन से ही उनका रुझान एकांतप्रिय था और इसलिए उनके माता-पिता उन्हें ऋषि कहने लगे थे. उनका परिवार प्रख्यात मैथिली साहित्यकार ब्रजकिशोर वर्मा मणिपद्म से जुड़ा था इसलिए उन्हें बचपने से ही पढ़ाई-लिखाई का उचित माहौल मिला.
उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई. हाइस्कूल तक की पढ़ाई उन्होंने जिला स्कूल चाईबासा, जिला स्कूल गया और जिला स्कूल मधेपुर से की. इसके बाद पटना साइंस कॉलेज, बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज और सागर विश्वविद्यालय से उच्च और तकनीकी शिक्षा हासिल की.
डा. वर्मा को दर्जनों पुरस्कार मिल चुके हैं. उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी ने डीआरडीओ के 'साइंटिस्ट ऑफ द इयर' और मनमोहन सिंह ने 'टेक्नोलॉजी लीडरशिप अवॉर्ड' से सम्मानित किया था. 2018में उन्हें पद्मश्री सम्मान दिया गया. डॉ. वर्मा, रिटायरमेंट के बाद भी 2005से बिहार में बच्चों और शिक्षकों के बीच विज्ञान का प्रसार करने में जुटे रहते थे. पत्रकार मदन झा के मुताबिक, बिहार का पहला महिला इंजीनियरिंग कॉलेज भी दरभंगा में डॉ. वर्मा की पहल से ही स्थापित हुआ था.