हर कोई सफल नहीं हो सकता. अगर सभी सफल हो गए, तो कौन सुनेगा: जावेद अली

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 04-02-2021
जावेद अली
जावेद अली

 

वह मशहूर गजल गायक गुलाम अली के शिष्य है. वह अपने गुरु का सम्मान इतना अधिक करते हैं कि उनका जो नाम पहले अपने मशहूर कव्वाल पिता हमीद हुसैन की तरह ही जावेद हुसैन था लेकिन गुरु को सम्मान देने के लिए अपने नाम में अली जोड़ लिया. फिल्म 'जोधा अकबर' का 'कहने को जश्ने बहारां हैं...', फिल्म 'गजनी' का 'है गुजारिश...' और फिल्म 'जब वी मेट' का 'नगाड़ा-नगाड़ा...' जैसे गीतों को उन्होंने अपनी आवाज देकर संवारा है. वह हैं मशहूर गायक जावेद अली.

जावेद अली के लिए संगीत दिलों को जोड़ने वाला पुल है और उनके मुताबिक संगीत धर्म नहीं देखता. संगीत के साथ व्यक्ति में मानवता आती है. ‘आवाज-द वॉयस’ के लिए गायक जावेद अली के साथ गौस सिवानी ने खास बातचीत की. पेश हैं चुनिंदा अंशः

सवालः संगीत दिलों को जोड़ने का काम करता है. यह सीमाओं को तोड़ता है. आपका कोई अनुभव?

जावेद अलीः यह सच है कि संगीत दिलों को जोड़ने का काम करता है. बल्कि, वह यह नहीं देखता कि कौन किस धर्म का है. संगीत के साथ मानवता आती है.  

सवालः फिल्म उद्योग अपनी राष्ट्रीय एकता के लिए जाना जाता है.  यदि आप इस संदेश को पूरे देश में फैलाना चाहते हैं, तो क्या होगा?

जावेद अलीः 2020 मुश्किल था, अब नया साल 2021 शुरू हो चुका है. हम चाहते हैं कि हर कोई सकारात्मक सोच के साथ आगे आए. सब कुछ अल्लाह के हाथ में है, जो ब्रह्मांड चलाता है. हर इंसान को नए साल में पुरानी चीजों को छोड़ना चाहिए और नए साल में नए इरादों और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए.  2021 में व्यक्ति को बहुत सी चीजों को पीछे छोड़ देना चाहिए और प्यार-भाईचारे के साथ आगे बढ़ना चाहिए.

सवालः कोरोना का वक्त हर किसी के लिए मुश्किल था, आपके लिए भी मुश्किल रहा होगा?

जावेद अलीः अभी भी देरी नहीं हुई है. हालांकि, हमारे सभी काम शुरू हो गए हैं. भगवान का शुक्र है.  खतरा अभी भी बना हुआ है.  हम दुनिया भर से कोरोना के खत्म होने के लिए अल्लाह से प्रार्थना करें.  तब हम जीवन को उसी तरह से जी सकते हैं, जिस तरह से हम उसे जीते थे.

सवालः वर्तमान में, पूरे देश में टीकाकरण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.  क्या आप भी टीकाकरण करवाना चाहेंगे?

जावेद अलीः यदि हजारों मुंह हैं, तो हजारों बातें भी होंगी. जो टीका आ रहा है, वह सभी के लिए एक नए उपहार की तरह होना चाहिए. हम आंखें बिछाकर इसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं. सभी में खुशी की लहर दौड़ गई है. कानून-व्यवस्था का माहौल कायम रहा.

सवालः पिछले साल कोरोना आने के बाद कॉन्सर्ट्स आदि बंद हो गए. क्या आप भी प्रभावित हुए?

जावेद अलीः पूरी दुनिया बंद थी, हमारे बारे में क्या? अल्लाह ने पूरी दुनिया को चार दरवाजों के अंदर बंद कर दिया था. इसका मतलब है कि पूरी दुनिया देख रही है कि जिस आदमी के पास खाने के लिए समय नहीं था, उसने भी अपने परिवार के साथ समय बिताया है.

सवालः आपका इरादा क्या है?

जावेद अलीः हम कुछ और नहीं जानते. अल्लाह उस नाम और प्रसिद्धि को बनाए रखे, जो उसने दिया है और उसे बढ़ाए. इसे आगे बढ़ाए. अल्लाह ने जो सम्मान दिया है, वह बहुतों की कल्पना में भी नहीं है. अच्छा काम करते रहें.  

सवालः आपकी बातों में सूफीवाद की झलक है और आपने जो सूफी गीत गाए गए हैं, वे अद्भुत गीत हैं. सूफीवाद और भक्ति के संबंध में आप क्या संदेश देंगे?

जावेद अलीः अल्लाह हम सबका भगवान है. वह एक ही है, हम किसी भी धर्म में विश्वास कर सकते हैं. वो कोई दो नहीं हो सकता. मांगते रहो, वह देने वाला है. अपना ध्यान रखें, अपनी गति बनाए रखें. हमेशा उससे मांगें क्योंकि वह दाता है.

सवालः नए साल में क्या करने की योजना है?

जावेद अलीः मैं नए साल में कुछ नए गाने रिकॉर्ड कर रहा हूं. कुछ सिंगल आएंगे. मैंने कई एकल रिकॉर्ड किए हैं, जो जारी किए जाएंगे. कई रिलीज हुए हैं. हाल ही में एक फिल्म ‘खुदा हाफिज’ आई. यह गीत लॉकडाउन में रिलीज किया गया था. दक्षिण से फिल्म ‘फिना’ का एक गाना ब्लॉकबस्टर बन गया. तीसरी फिल्म ‘रोड टू’ है, जिसका गीत ‘इश्क कमाल’ मैंने गाया था, वह भी बहुत हिट हुआ था. इसके अलावा, ‘बंदिश बैंडिट्स’ वेब श्रृंखला थी. 2020 मेरे लिए अच्छा था, क्योंकि बहुत सारे गाने मेरे पास आए थे. इस गीत के संस्करण अच्छी तरह से जारी हुए. फिर जब लोग अपने घरों में बंद थे, तब अल्लाह ने मुझे हिट गाने दिए. अल्लाह की कृपा मुझ पर बनी रही और आगे बढ़ते रहे.

सवालः आपने देश की सभी भाषाओं में गाया है. शायद कोई भाषा नहीं बची. भारत के बाहर की भाषाओं में भी गाने गाए.  इतनी सारी भाषाओं को कोई नहीं जानता. बिना समझे, गीत में भाव कहां से आता है?

जावेद अलीः गीतकार, पर्यवेक्षक हमें बताएं, पूरी जानकारी दें. हम समझते हुए गाते हैं, धुन यह समझने में भी मदद करती है कि गाने का मूड क्या है? क्या बदल रहा है? कुछ करने की जरूरत नहीं है. यह अल्लाह की कृपा से आता है.

सवालः इन दिनों बहुत से नए गायक आ रहे हैं. विशेष रूप से कई रियलिटी शो हो रहे हैं. उनके माध्यम से नए लोग भी आ रहे हैं, भीड़ रहती है. कुछ दिनों बाद, उनमें से कुछ को देखा जाता है, बाकी कहां गायब हो जाते हैं?

जावेद अलीः हर कोई सफल नहीं हो सकता. अगर सभी सफल हो गए, तो कौन सुनेगा? दर्शक कहां होंगे? हर कोई अपना भाग्य खुद लाता है. बहुत से लोग हैं, जो खो जाते हैं. जो जितना प्रतिभाशाली है, उतना ही आगे बढ़ेगा. बाकी अल्लाह के हाथ में है.

सवालः क्या आपके पास नए गायकों के लिए कोई सुझाव है?

जावेद अलीः मैं हर किसी से सीखता रहता हूं. चाहे कितने भी गायक आएं. सभी लोग बहुत अच्छा कर रहे हैं. सबकी बातें सुनकर मैं अपने गाने खुद गाता रहता हूं. इन लोगों ने मेरे गाने कैसे गाए? मैं सकारात्मक सोच के साथ सभी से सीखता हूं. नए लोगों से लेकर पुराने लोगों तक.

सवालः आजकल धर्म के प्रति संवेदनशीलता बढ़ी है. फिल्म उद्योग में एक परंपरा रही है कि मुसलमान भजन गाते हैं, हिंदू लोग नात गाते हैं, लता जी ने प्रसिद्ध नात गाए हैं, जैन साहब ने कई नात का पाठ किया है. रफी साहब ने भजन गाए हैं. आप भी भजन गाते हैं. क्या आपको कोई बुरा अनुभव हुआ...?

जावेद अलीः नहीं, नहीं. यह कभी नहीं हुआ और भगवान न करे ऐसा कभी हो. हमारे प्रशंसकों को यह बात पसंद है. एक मुसलमान के रूप में, यदि आप भजन गा रहे हैं, तो आप उसी मनोदशा के साथ, उसी तीव्रता के साथ, जैसे आपको चाहिए, गा रहे हैं. फैंस को बहुत मजा आता है. बहुत सारी तारीफ देते हैं, क्योंकि हम एक ही अल्लाह के लिए गा रहे हैं. चाहे वह भजन हो या कव्वाली, उसकी हालत वही रहेगी.

सवालः आपने विभिन्न प्रकार के गीत गाए हैं, लेकिन आप किस तरह के गीतों का सबसे अधिक आनंद लेते हैं?

जावेद अलीः मुझे हर तरह के गाने पसंद हैं, लेकिन मुझे रोमांटिक गाने थोड़े ज्यादा पसंद हैं.

सवालः आपने सूफी गीत गाए हैं, लोगों ने इसे अधिक पसंद किया है?

जावेद अलीः मैं सूफी गाता हूं. लोग मुझे बहुत पसंद करते हैं, लेकिन मुझे सूफी और रोमांटिक पसंद हैं.

(साक्षात्कार के अंत में, जावेद अली एक गीत गाते हैं.)