तालिबान पर बोले नायब अमीर-ए-शरीया: भारत का स्टैंड ही हमारा स्टैंड

Story by  सेराज अनवर | Published by  [email protected] | Date 29-08-2021
तालिबान पर बोले नायब अमीर-ए-शरीया
तालिबान पर बोले नायब अमीर-ए-शरीया

 

सेराज अनवर / पटना
 
अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन पर भारत के मजहबी इदारें भारत सरकार के स्टैंड से पूर्व बहुत कुछ बोलने की स्तिथि में नहीं हैं.ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खलिलुल रहमान नुमानी द्वारा तालिबान को सलाम भेजने के बाद फजीहत को देखते हुए मुस्लिम संस्थान बयानबाजी में काफी सतर्क हैं.
 
तालिबान में तब्दीली को लेकर इनकी भी जिज्ञासा बनी हुई है. बिहार,झारखंड,ओडिशा के मुसलमानों का सबसे बड़ा सामाजिक,धार्मिक इदारा इमारत-ए-शरिया की अफगानिस्तान पर डिप्लोमैटिक निगाह है. नायब अमीर-ए-शरीयत मौलाना शमशाद रहमानी से आवाज द वॉयस ने तालिबान,अफगानिस्तान और हिंदुस्तान पर राय जानी.
 
कुछ दिन देख लेते हैं

मौलाना शमशाद रहमानी का कहना है कि अभी तो अफगानिस्तान में उथलपुथल की स्तिथि है. जैसे दुनिया की निगाह तालिबान सरकार पर है, हमारी भी नजर उनके हरेक कदम पर है.कुछ दिन देख लेते हैं,क्या रुख रहता है.हम बेहतरी की उम्मीद करते हैं. बेहतरी न सिर्फ दुनिया के लिए या अफगानिस्तान के लिए होगी खुद तालिबान के बदलते रवैया का भी सबूत होगा.बदलाव जरूरी है. बदलाव आना भी चाहिए.
 
भारत का  स्टैंड आने दीजिए

शिक्षा से लेकर सेहत के साथ मिल्ली मामले कैसे रहते हैं,यह देखना होगा.गरीबों,दबे कुचले,मजलूमों,औरतों के साथ तालिबान का रवैया दुनिया के कसौटी पर कसा जाना बाकी है.मौलाना शमशाद कहते हैं कि अभी भारत सरकार का स्टैंड नहीं आया है.
 
तब तक कोई राय कायम करना अक्लमंदी नहीं.उनका कहना है कि यदि सूरत-ए-हाल को बदलने में तालिबान सफल रहे तो दुनिया का भरोसा जीत सकता है. दुनिया को बदलते तालिबान पर भरोसा करना भी चाहिए.हालात बेहतर होते हैं तो  भारत को तालिबान सरकार से संबंध स्थापित करने में गुरेज नहीं करना चाहिए.
 
नहीं बदला तो भरोसा खो देगा

नायब अमीर-ए-शरीयत का कहना है कि यदि तालिबान पुराने ढर्रे पर चलता है तो भरोसा खो देगा.लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने पर वह अलग थलग पड़ जाएगा.तालिबान की पहली प्राथमिकता विश्वास जीतना है.तब ही अफगानिस्तान की नई सरकार के प्रति विश्वास बहाल होगा.नहीं सुधरने पर तालिबान इतिहास के कूड़ेदान में फेंका जाएगा.
 
बयान है अहम

इमारत-ए-शरिया का यह बयान भारत की राजनीति में अहम माना जा सकता है.इमारत मजहब के साथ मानवता का भी पाठ देता है.इस इदारे पर मुसलमानों के साथ हिंदुओं की भी आस्था है.बाढ़,अकाल,दंगा-फसाद में इमारत-ए-शरिया बिना भेदभाव के इंसानियत के लिए काम करता है.मौलाना सज्जाद मेमोरियल अस्पताल में हिंदू मरीजों की भीड़ इस बात का सबूत है.इमारत की बिहार से लेकर देश-विदेश के राजनीतिक घटनाकर्मों पर नजर रहती है.