मुश्ताक अली अहमद खानः कश्मीर में थिएटर को जिंदा रखने की जद्दोजहद का नाम

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 15-04-2022
मुश्ताक अली अहमद खानः कश्मीर में थिएटर को जिंदा रखने की जद्दोजहद का नाम
मुश्ताक अली अहमद खानः कश्मीर में थिएटर को जिंदा रखने की जद्दोजहद का नाम

 

श्रीनगर. एक प्रसिद्ध अभिनेता और सफल निर्देशक मुश्ताक अली अहमद खान इस क्षेत्र की थिएटर संस्कृति को अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवित रखने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं.

खान का मानना है कि रंगमंच कश्मीरी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है और इसने हमेशा समाज की दिन-प्रतिदिन की समस्याओं को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

अमर सिंह कॉलेज के पूर्व छात्र 61 वर्षीय ने कश्मीर विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की, जहां वह सांस्कृतिक क्लब सचिव भी थे.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं विश्वविद्यालय के दो वर्षों के लिए अपने जीवन का ऋणी हूं. इसने मुझे सही एक्सपोजर दिया जिसने मुझे वह बनाया है, जो मैं आज हूं.’’

कला की दुनिया में अपनी यात्रा के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘‘1974 में जब मैं अनुशंसित बच्चों के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पहली बार दूरदर्शन गया था और उस समय के सबसे कठिन और प्रतिभाशाली निर्माताओं में से एक सरोजिनी रैना से मिला था.’’

उन्होंने 1981 में एक थिएटर अभिनेता के रूप में अपना करियर शुरू किया और 1988 तक कई नाटकों में भाग लिया.

उन्होंने कला, संस्कृति, फिल्म और साहित्य पर विभिन्न फिल्म समारोहों, थिएटर समारोहों, थिएटर कार्यशालाओं, सेमिनारों, बातचीत, चर्चाओं और कई अन्य कार्यों का भी आयोजन किया है, जिसमें कई लोगों, विशेषकर युवाओं ने भाग लिया है.

खान का लक्ष्य भावी पीढ़ियों के लिए संस्कृति और विरासत को संरक्षित करना है. इसलिए अभिनेता क्रिएटिव थिएटर (एसीटी) के बैनर तले 2005 से वार्षिक थिएटर फेस्टिवल का आयोजन कर रहे हैं.

अधिनियम का उद्देश्य उन युवाओं और कलाकारों को एक मंच प्रदान करना भी है, जो पेशेवर थिएटर कलाकार बनने के अवसरों की तलाश में हैं.