मध्य प्रदेश: नारू खान ने पशुपतिनाथ मंदिर में लगाया 3700 किलो का महा घंटा, बजाएंगे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 30-03-2022
मध्य प्रदेश: नारू खान ने पशुपतिनाथ मंदिर में लगाया 3700 किलो का महा घंटा, बजाएंगे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह
मध्य प्रदेश: नारू खान ने पशुपतिनाथ मंदिर में लगाया 3700 किलो का महा घंटा, बजाएंगे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह

 

गुलाम कादिर / भोपाल
 
देश में कुछ लोगों द्वारा नफरती आंधी चलाने के बावजूद हिंदू-मुस्लिम भाईचारा न केवल बरकरार है. साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसलें रोजाना देखने सुनने को मिलती हैं. इसी क्रम मेंमध्य प्रदेश के मंदसौर का पशुपतिनाथ मंदिर और इस शहर के पुराने मुस्लिम कारीगर नारू खान फिलहाल सुर्खियों में हैं. और हो भी क्यों नहीं ! नारू खान ने इस चर्चित मंदिर को लेकर ऐसा काम ही किया है.इसके बदले उन्होंने पैसे भी नहीं लिए.

बता दूं कि मंदसौर के पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में 3700 किलो का एक महा घंटा लगा है और इसे लगाने वाले हैं नारू खान. बताया जा रहा है कि देश का अब तक का सबसे वजनी महा घंटा है.मुस्लिम तकनीशियन नारू भाई की मदद से इसे स्थापित किया गया है. स्थानीय कलेक्टर ने बताया मंदिर परिसर में इसे लगाना मेरे लिए बहुत मुश्किल लग रहा था. मगर नारू खान की मदद से महा घंटा मंदिर में स्थापित हो ही गया.
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मुस्लिम तकनीशियन
 
इससे पहले एमपी के मंदसौर स्थित पशुपतिनाथ मंदिर की चर्चा हाल में विशाल शिवलिंग को लेकर थी. अब पशुपतिनाथ मंदिर में निर्माणाधीन सहस्त्र शिवलिंग मंदिर की चर्चा महा घंटा को लेकर हो रही है. इस महा घंटा का वजन 3700 किलो तो है ही इसकी लंबाई 7.5 फीट है, जिसे बनाने में तीन साल लगे.
 
इस को अकेले बजाना भी संभव नहीं. दो से तीन लोग लगते हैं तो महा घंटा बजाता है. महा घंटा का निर्माण अहमदाबाद में हुआ है. दो दिन पहले मंदिर में इसे स्थापित किया गया है.
 
तांबे और पीतल से बना  महा घंटा

महा घंटा का निर्माण तांबे और पीतल से किया गया है. मंदिर प्रबंधन का दावा है कि यह दुनिया का सबसे वजनी घंटा है. उनके के दावे के अनुसार देश का यह सबसे वजनी घंटा है. घंटे की आवाज शहर में विशेषकर त्योहारों पर सुनाई देगी. मंदसौर के बाद दूसरे नंबर पर दतिया के रतनगढ़ माताजी मंदिर में स्थापित 1635 किलो का घंटा है। पूरे जिले में यह महाघंटा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
 
3700 किलो का है महा घंटा

दरअसल, पशुपतिनाथ मंदिर में इन दिनों सहस्त्र शिवलिंग मंदिर का निर्माण हो रहा है. इस में प्रशासन ने शिवना पर बनी बड़ी पुलिया और सहस्त्र शिवलिंग मंदिर के बीच देश का सबसे वजनी 3700 किलो का महाघंटा स्थापित कराया है. रविवार को क्रेन से महा घंटे को स्टैंड पर स्थापित किया गया. इसके लिए करीब 3 मीटर गहरी नींव खोदकर स्टैंड बनाया गया है.
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कलेक्टर गौतम सिंह 

मुस्लिम तकनीशियन के हाथ में पूरी जिम्मेदारी

मंदिर के निर्माण में कई मुस्लिम तकनीशियन लगे हैं. लोहे की मजबूत एंगल पर इसे लटकाया गया है. इस कार्य का मुख्य जिम्मा  मुस्लिम तकनीशियन नारू खान के हाथ में है. घंटा स्थापित होने के बाद मौका मुआयना करने मंदसौर विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया और कलेक्टर गौतम सिंह उपस्थित पहुंचे. दोनों घंटा बजाकर भी देखा है. घंटा बजते ही लोगों ने ताली बजाकर अपनी खुशी का इजहार किया.
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महा घंटा के स्थापना की कहानी 

इस महा घंटा को तैयार करने में तीन साल साल लगे हैं. 13 महीने पहले यह बनकर मंदसौर आया था. इसके लिए कई सामाजिक संगठनों ने तीन साल तक यात्राएं निकाली हैं. इस दौरान महा घंटा के निर्माण के लिए लोगों से नकदी, पीतल और तांबा लिए गए. इसके बाद इसका निर्माण करवाया गया.
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लगा घंटा बजेगा नहीं

मंदसौर कलेक्टर गौतम सिंह ने कहा कि मैंने जब मंदसौर का चार्ज लिया, तब मंदिर में इस महा घंटा को देखा. इसका साइज देखकर लगा कि यह प्रदर्शनी की चीज है. इसे लगाना मुझे बहुत खतरनाक लगा. इसके बाद यहां काम कर रहे तकनीशियन नारू खान ने कहा कि आप मुझे कुछ जरूरी चीजें उपलब्ध करवा दें, मैं 15 दिन में इसे लगवा दूंगा. कलेक्टर ने इंजीनियर को इन्हें मदद करने का आदेश दिया. इसके बाद घंटा को स्थापित किया गया है.
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महा घंटा  की कहानी


इसका व्यास 66.50 इंच है. महा घंटा बजाने के लिए 200 किलो से ज्यादा का दोलन तैयार किया गया है. इस घंटे को स्थापित करने में 36 लाख रुपए का खर्च आया. छह महीने तक 10 कारीगरों ने लगातार मेहनत कर इसे तैयार किया.साल 2017 की बात है.श्रीकृष्ण कामधेनु के अध्यक्ष दिनेश नागर एक दिन मंदिर में दर्शन करने पहुंचे तो उन्हें बाहर घंटी नहीं दिखाई दी.इसके बाद दिमाग में आइडिया आया कि क्यों ना इस मंदिर में दुनिया का सबसे बड़ा घंटा स्थापित किया जाए.
 
इस संस्था के सदस्यों ने 21 क्विंटल घंटा स्थापित करने की योजना बनाई. हर रविवार जिले में यात्रा निकाली जाती. डेढ़ सौ यात्राओं के माध्यम से गांव-गांव तक जाकर तांबा-पीतल जमा किया गया. इसके बाद गुजरात के अहमदाबाद की एक कंपनी को महा घंटा बनाने का ठेका दिया गया.महा घंटा बनने के बाद इसे गुजरात से एक स्पेशल ट्रॉली में रखकर मंदसौर लाया गया. शहर की सड़कों पर लोग इसे देख उत्साहित हो उठे.
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गुजरात से आने के बाद महा घंटा लंबे समय से मंदिर परिसर में रखा रहा. हादसे की आशंका के चलते इसे लटकाया नहीं जा रहा था. कई इंजीनियर आए लेकिन वो महा घंटा लगाने की हिम्मत नहीं कर सके. जब बड़े-बड़े फेल हो गए तो एक मुस्लिम मिस्त्री ने इसे स्थापित किया.
 
मंदसौर के डीएम गौतम सिंह ने बताया कि महाघंटा स्थापित करना बड़ी चुनौती थी. लेकिन एक मुस्लिम मिस्त्री नाहरू खान ने 15 दिन का समय लिया और महा घंटा सुरक्षित तरीके से स्थापित कर दिया. नाहरू खान ने इसके लिए कोई पैसा नहीं लिया. रविवार शाम महा घंटे का ट्रायल किया गया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उद्घाटन के बाद इसे आम भक्तों के सुपुर्द कर दिया जाएगा.