मोहम्मद अकरम / बेंगलुरू
कर्नाटक से सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाली खबरें आती रहती हैं. इसी बीच इस प्रदेश के आईटी हब बेंगलुरु से दिल को छूने वाली घटना सामने आई है. यहां एक खास तरह की इफ्तार पार्टी आयोजित की गई, जिसमें प्रतिष्ठित हिंदू महिलाओं ने भाग लिया. उन्होंने न केवल रोजा रखा, हिजाब पहना और नमाज भी अदा की.
इस घटना से न केवल भाईचारे को बढ़ावा मिलेगा, नफरत के बीज बोलने वाले निश्चित रूप से हताश होंगे. इस खास तरह के इफ्तार दावत में शामिल होने वाली विद्या दिनकर ने कहा,‘‘ इसके बाद हम एक दूसरे के और करीब आए हैं.’’
हिजाब पहनते हुए हिंदू महिलाएं
इस खास इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था बेंगलुरु की जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता सैयदा नसरीन ने. उनके घर पर आयोजित इस दावत में कुछ मुस्लिम महिलाओं के अलावा 50के करीब हिंदू महिलाएं भी शामिल हुईं. दावत के बाद उन्होंने कहा, ‘‘ हम लोगों को यह सब कर के बहुत शांति मिली है.’’
उल्लेखनीय है कि दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक पिछले कुछ महीनों से अशांति झेल रहा है. कुछ दिनों पहले सूबे के हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नही, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंच गया.
इससे पहले हिजाब को लेकर कर्नाटक में खूब हाय-तौबा हुई. यह थोड़ा शांत हुआ तो कुछ संगठनों ने हलाल और झटका मांस के विवाद को हवा देकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की. यह मसला भी जब ठंडा पड़ने लगा तो मुस्लिम व्यापारियों के बहिश्कार और मस्जिद से लाउडस्पीकर उतारने को अभियान छेड़ दिए गए .
अब यह बीमारी देशभर में फैल गई है. मगर इसी अफरा-तफरी भरे माहौल में बेंगलुरु की कुछ हिंदू महिलाएं उम्मीद की किरण बनकर सामने आई हैं.
माहौल से जहर निकालने के लिए ‘रोजेदार’ के रूप में उनका प्रयास वास्तव में तारीफ के काबिल है. इस पार्टी मेंशामिल होने वाली विद्या दिनकर कहती हैं,‘‘ईद और रमजान में हंगामा खड़ा कर कुछ लोग नफरत की अधिक फसल काटने के प्रयास में नहीं हैं. मगर उन्हें शायद नहीं पता कि सांप्रदायिक भेदभाव भुलाकर हम जिने करीब आएंगे, देश-समाज उतना ही मजबूत होगा.’’
इफ्तार का लुत्फ उठाते हुए महिलाएं
याद रहे कि इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना रमजान है. इस दौरान जहां अधिकांश मुसलमान रोजे रख रहे हैं, वहीं जगह-जगह इफ्तार की दावतांे का सिलसिला भी बना हुआ है. सार्वजनिक दावतों में सभी कौमों के लोग इस तरह की दावतों में शामिल हो रहे हैं.
सैयदा नसरीन की दावत में शामिल पायल मिश्रा ने कहा, ‘‘मुझे लगा कि इस गर्मी में हिजाब बनकर और ज्यादा गर्मी लगेगी, पर पहनने के बाद गर्मी का जरा भी एहसास नहीं हुआ.’’
उन्होंने बताया कि इस खास दावत में उन्होंने मुस्लिम महिलाओं से रमजान और रोजे की अहमियत के बारे में जानकारी हासिल की. महिलाओं ने कहा कि इस आध्यात्मिकता माहौल में रोजा रखने से मन को शांति और अनोखा सुखद अहसास हुआ.उन्होंने कहा कि देश से गंगा-जमुनी तहजीब को मिटाया नहीं जा सकता.