कान्हा की बांसुरी बनाते हैं मुस्लिम कारीगर, पीलीभीत में बनाया ‘बांसुरी चौक’

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 17-02-2021
पीलीभीत को मिला अपना ‘बांसुरी चौक’
पीलीभीत को मिला अपना ‘बांसुरी चौक’

 

 

पीलीभीत. बरेली को अपना प्रसिद्ध ‘झुमका’ चौक मिलने के बाद अब पीलीभीत को अपना ‘बांसुरी चौक’ मिल गया है. इस जिले और बांसुरी के कनेक्शन को दर्शाने के लिए इस चौक पर बड़ी बांसुरी का निर्माण किया गया है. बसंत पंचमी के अवसर पर मंगलवार को बांसुरी चौक जनता को समर्पित किया गया.

चौक जो शहर में प्रवेश बिंदु को चिह्न्ति करता है, पहले असम चौक के रूप में जाना जाता था.

यहां बांसुरी के 90 प्रतिशत उत्पादन

यह शहर का एक प्रमुख ‘सेल्फी प्वॉइंट’ भी होगा, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां भारत में बांसुरी का 90 प्रतिशत हिस्सा निर्मित होता है.

पीलीभीत हस्तनिर्मित उत्तम-गुणवत्ता वाली बांस की बांसुरी के लिए प्रसिद्ध है, इन्हें मुख्य रूप से मुस्लिम कारीगरों द्वारा तैयार किया जाता है. अमेरिका और यूरोपीय देशों सहित विदेशों में इसकी बहुत मांग है.

‘बांसुरी चौक’ विकसित करने का विचार पिछले साल तब आया था, जब बरेली को उसका ‘झुमका’ चौक मिला, जहां झुमके की एक बड़ी प्रतिकृति स्थापित की गई थी.

राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक विशेष रूप से विकसित क्रॉसिंग पर एक विशाल ‘झुमका’ के अनावरण के बाद बरेली को जबरदस्त प्रचार मिला.

‘एक जनपद-एक उत्पाद’ कार्यक्रम

सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, भारतीय संगीत वाद्ययंत्र का निर्माण करने वाले 150 वर्षीय उद्योग को प्रदर्शित करने की परियोजना उत्तर प्रदेश सरकार के महत्वाकांक्षी ‘एक जनपद-एक उत्पाद’ (ओडीओपी) कार्यक्रम के तहत आई है, जिसका उद्देश्य राज्य के उत्पादों और शिल्प को प्रोत्साहित करना है.

शिल्प और शहर को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता

उन्होंने कहा, “लेकिन इससे पहले कि हम इसे दुनिया के सामने प्रदर्शित करें, हमें शिल्प और इसके शहर को अपने निवासियों के बीच लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है.”

बांसुरी चौक, पीलीभीत शहर में ऐतिहासिक स्थल बनने के साथ ही इसके पारंपरिक बांसुरी उद्योग को भी बढ़ावा देगा.