इस्लामिक विद्वान बोले-धर्म संसद का जवाब धर्म संसद नहीं

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] • 2 Years ago
धर्म संसद का जवाब धर्म संसद नहीं
धर्म संसद का जवाब धर्म संसद नहीं

 

मंसूरुद्दीन फरीदी/ नई दिल्ली

धर्म संसद के जवाब में धर्म संसद. यह अस्वीकार्य है.ऐसा करना देश को अस्थिर करने की कोशिश में कामयाब होने के बराबर होगा. किसी भी शरारत का जवाब शरारत से नहीं दिया जा सकता. अगर किसी ने मुसलमानों के नरसंहार का नारा दिया है तो बड़ी संख्या में गैर-मुसलमान इसके खिलाफ खड़े हैं.

देश धर्मनिरपेक्ष है. 99 प्रतिशत लोग गंगा-जमुनी सभ्यता को मानते हैं. उपद्रवियों को उनकी भाषा में जवाब देना उचित नहीं .अगर लड़ाई लड़ी जा सकती है, तो यह कानूनी होगी. अगर संगठित करना है तो वकीलों को एक होना चाहिए न कि विद्वानों को.

ये प्रतिक्रिया है देश के प्रख्यात विद्वानों और बुद्धिजीवियों की. ‘धर्म संसद‘ के ऐलान पर हरिद्वार में विवादित धर्म संसद पर बरेली के मौलाना तौकीर रजा खान ने जवाब दिया है. बहुमत इस बात से सहमत है कि हरिद्वार में जो हुआ उसे प्रसारित करने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि इसकी निंदा न केवल मुस्लिम विद्वानों ने की है, गैर-मुसलमानों ने भी .

इतना ही नहीं, इस संबंध में एक मामला भी दर्ज किया गया है. विद्वानों का मानना है कि मौलाना तौकीर रजा खान का गुस्सा जायज है, लेकिन विरोध का तरीका ठीक नहीं है. उनकी घोषणा पर देश के प्रमुख विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं, जिनमें से कुछ ने उन्हें गलत समझा है जबकि अन्य ने सतर्क रहने की सलाह दी है. देश का माहौल खराब करने की साजिश रची जा रही है.

 राजधानी दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के इमाम मौलाना मुफ्ती मोहम्मद मुकर्रम अहमद ने कहा कि विरोध का सबका अपना-अपना अंदाज होता है. हमने व्यक्तिगत रूप से इसकी निंदा की है.तौकीर रजा खान ने भी अपने विचारों के आधार पर यह कदम उठाया है.

मैं उनके कार्यक्रम का समर्थन नहीं करूंगा.मैंने अपने जुमे के खुतबे में कहा कि धर्म संसद में जो हुआ उसके खिलाफ सरकार और अदालत को कुछ कार्रवाई करनी चाहिए. तौकीर रजा खान जो कर रहे हैं वह उनका अपना अंदाज है जो मेरे विचार से एक नकारात्मक जवाब है. मुझे लगता है कि उनके विरोध का उद्देश्य यह संदेश देना है कि हम किसी के नारों से नहीं डरते. उन्होंने कहा कि यह समस्या है.

मुफ्ती मुकर्रम ने कहा कि यह खेत में आग लगाने जैसा है. देश का माहौल खराब करने की साजिश है, जिसके लिए सरकार को पहले दिन से ही ऐसी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी.उन्होंने कहा कि असली समस्या यह है कि ऐसी पार्टियों और नेताओं का समर्थन बहुत मजबूत है, जिसके कारण उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जा सकती है.

प्रमुख इस्लामी विद्वान पद्मश्री प्रोफेसर अख्तर अल-वासे ने कहा कि हरिद्वार से सोनभद्र तक जो हुआ वह बेहद शर्मनाक और दर्दनाक है. लेकिन यह मुसलमानों के बारे में नहीं है, बल्कि भारत के बारे में है जिसकी छवि खराब हो रही है. नुकसान देश को वहन करना होगा. विकास की गति धीमी तो होती ही है, पर्यटन भी प्रभावित होता है.

उन्होंने आगे कहा कि मौलाना तौकीर रजा खान का धर्म संसद के खिलाफ दुख और गुस्सा जायज है, लेकिन तरीका उचित नहीं. इस तरह की घोषणाओं से बचना चाहिए, क्योंकि दंगाइयों को मुसलमानों को भड़काना और अपने लक्ष्य को हासिल करना है. अगर मुसलमान इस तरह से जवाबी कार्रवाई करते हैं, तो बदमाशों की साजिश सफल होगी. जमीयत उलेमा-ए-हिंद कानूनी लड़ाई लड़ रहा है.

कानून का हवाला देना ज्यादा उपयोगी होगा, क्योंकि सभी ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है. पूर्व सैन्य प्रमुखों सहित अधिकारियों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को खुले पत्र लिखे हैं. प्रो. अख्त उल वासे ने आगे कहा कि बेशक जो हो रहा है वह दर्दनाक है, लेकिन उसके खिलाफ कार्रवाई न करना ज्यादा दर्दनाक है.

इन सब परिस्थितियों के बावजूद हम कह सकते हैं कि बहुसंख्यक हिंदू मुसलमानों के साथ हैं. मुट्ठी भर लोग हैं जो देश को बंधक बनाना चाहते हैं. हमें उन्हें मौका नहीं देना चाहिए.

राजधानी में संसद मार्ग मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी ने कहा कि यह निश्चित रूप से दुखद है. यह तथ्य कि गैर-मुसलमान इस समय मुसलमानों के साथ खड़े हैं. यह स्वागत योग्य और सकारात्मक संकेत है, लेकिन यह एकमात्र कारण नहीं है कि मुट्ठी भर शरारती तत्वों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

वे एक नया चलन बनाना चाहते हैं जो खतरनाक है. यह सिर्फ मुसलमानों की बात नहीं है, यह देश की अखंडता का सवाल है.

मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी ने आगे कहा कि अगर मौलाना तौकीर रजा खान ने कुछ फैसला किया है तो जरूर सोचा होगा. बेशक मुसलमानों का एक बड़ा तबका उनके साथ है, लेकिन मैं उनसे और समय देने का अनुरोध करता हूं ताकि कार्रवाई की जा सके. सरकार ऐसे मामलों में समय पर कार्रवाई करती है तो निश्चित रूप से विरोध का समय नहीं होगा.

कोलकाता नाखुदा मस्जिद के इमाम मौलाना शफीक कासमी ने साफ शब्दों में कहा कि धर्म संसद में जो कहा गया उसका जवाब कानूनी होना चाहिए.ऐसे बयान देने वालों का मकसद बुराई फैलाना है. देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना है. हम उनके उद्देश्य को पूरा नहीं होने देंगे.सबसे अच्छा तरीका है कि आप इसके खिलाफ अलग-अलग शहरों में एफआईआर दर्ज करें, कानूनी लड़ाई का मार्ग प्रशस्त करें क्योंकि कानून से बड़ा कोई नहीं है.

उन्होंने आगे कहा कि ऐसे समय में जब बहुसंख्यक हिंदू इस मामले में आपके साथ खड़े हैं, ऐसा कदम उन्हें हमसे दूर ले जाएगा. मुसलमान भी उनकी लाइन में खड़े होंगे. उल्लेखनीय है कि उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. गैर-मुसलमान इस सोच की निंदा कर रहे हैं.