इस्कॉन मंदिर में होता है इफ्तार

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 29-04-2021
आओ कि कोई ख्वाब बुने कल के वास्ते
आओ कि कोई ख्वाब बुने कल के वास्ते

 

आवाज- द वाॅयस/ नई दिल्ली/ मायापुर

दुबई के गुरुद्वारे में ही नहीं, अपने देश में मंदिर में भी रोजा इफ्तार दावत कराने की परंपरा रही है. इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) इसका बेहतर उदाहरण है. मायापुर के इस्कान मंदिर परिसर में इफ्तार दावतें दी जाती रही हैं. कोरोना ने यहां भी पुरानी परंपरा को नुक्सान पहुंचाया है, जबकि इसके पहले यहां दावतों का सिलसिला चलता रहा है. पिछले वर्ष कोरोना का जोर नहीं होने पर 165 मुस्लिम ग्रामीण को यहां इफ्तार की दावत दी गई थी. तब वह दृश्य देखने लायक था जब मंदिर के स्वयंसेवक रोजेदारों को अपने हाथों से इफ्तार परोस रहे थे. इसमें फल, नमकीन और मीठे, फलों के रस, शर्बत आदि वह सब कुछ था जो आम तौर से इफ्तार खोलने में रोजेदार इस्तेमाल करते हैं.

मायापुर के सैफुल इस्लाम कहते हैं, "उन्हें मंदिर में रोजा खोलना हमेशा याद रहेगा. इफ्तार के समापन पर, रात का खाना भी परोसा जाता है."

बता दें कि कोलकाता के उत्तर में लगभग 130 किलोमीटर दूर मायापुर में चंद्रोदय मंदिर है. इफ्तार दावत के दिन मंदिर परिसर में शाम की नमाज भी होती है. 

मंदिर प्रबंधन की ओर से बताया गया, “कई स्थानीय मुस्लिम मंदिर के प्रतिदिन मंदिर की गतिविधियों में शामिल होते हैं. वे मंदिर के अनुष्ठानों के लिए आवश्यक सामग्री की आपूर्ति करते हैं. हम उन्हें निर्माण और कई अन्य कार्यों के लिए नियुक्त करते हैं. वे हमारे पड़ोसी हैं. यह भी बताया गया कि नवरात्रि पर हिंदुओं ने राम नवमी पर जुलूस निकाला था. गर्मी अधिक थी. ऐसे में स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने हिंदू भाई, बहनों की प्यास बुझाने के लिए छबीलें लगाई थीं. इसलिए मंदिर भी उनके लिए रमजान में एक दिन दावत का आयोजन करता है."