आखिर कैसे रखे जाते हैं चक्रवातीय तूफानों के नाम!

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 25-05-2021
आखिर कैसे रखे जाते हैं चक्रवातीय तूफानों के नाम!
आखिर कैसे रखे जाते हैं चक्रवातीय तूफानों के नाम!

 

मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली

बेशक आप बंगाल की खाड़ी में उठ रहे चक्रवातीय तूफान यास को लेकर कयास लगा रहे होंगे और अभी अरब सागर में उठे ताऊते के असर से उबरे नहीं होंगे. सोचिए जरा, इनके नाम थर्टीसी-बीटा या नाइन्टी ए गामा होता तो!

जब भी किसी देश में उष्णकटिबंधीय चक्रवात या तूफान का आगाज होता है, जो लोगो के मन में पहला सवाल उसके नाम को लेकर आता है.

पिछले पखवाड़े जब अरब सागर में ताऊते तुफान आया, जो गूगल पर लोग इस नाम का अर्थ खोजने लगे थे. ताऊते बर्मीज बोली का नाम है और यह बहुत बोलने वाले जंगली गिरगिट का नाम है.

अभी आज 25 मई की देर रात या 26 मई के अलसभोर में यास तूफान के लैंडफॉल होने की खबर उड़ीसा या पश्चिम बंगाल से आ सकती है और इसका नाम रखा है ओमान ने. यास का मतलब होता है एक ऐसा पेड़ जिसकी खुशबू शानदार होती है और हिंदी में यह चमेली जैसा अर्थ रखता है.

लेकिन, सवाल है कि इन तूफानों  के नाम रखे कैसे जाते हैं?

आज से कोई 21 साल पहले, सन 2000 में 8 देशों के एक समूह, जिसका नाम डब्ल्यूएमओ/ईएससीएपी (विश्व मौसम संगठन/युनाइटेड नेशंस इकोनॉमिक ऐंड सोशल कमीशन फॉर एशिया ऐंड द पैसिफिक) है और जिसमें बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल हैं, ने इस इलाके के चक्रवातों का नामकरण करने का फैसला किया. इसके लिए हर देश ने अपने सुझाव भेजे थे तब डब्ल्यूएमओ/ईएससीएपी (विश्व मौसम संगठन/युनाइटेड नेशंस इकोनॉमिक ऐंड सोशल कमीशन फॉर एशिया ऐंड द पैसिफिक) के उष्णकटिबंधीय चक्रवातों पर बने पैनल (पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन्स) ने इस फेहरिस्त को आखिरी रूप दिया.

पहले दौर में इन 8 देशों ने मिलकर 64 तूफानों के नाम तय किए. इन 64 में से पहला नाम ओनिल था और आखिरी नाम अम्फान था. अम्फान थाईलैंड का दिया हुआ नाम था. यह सूची 2004 में तय की गई थी.

असल में, 2004 में जब तूफानों को नाम देने की शुरुआत हुई तो पहले अंग्रेजी अल्फाबेट्स के हिसाब से बांग्लादेश कोहये मौका मिला. उसने पहले तूफान को ‘ओनिल’नाम दिया. इसके बाद जो भी तूफान आए, उनके नाम क्रमानुसार तय किए गए. भारत ने इस सूची के लिए अग्नि, आकाश, बिजली, जल, लहर, मेघ, सागर और वायु नाम दिए थे.

डब्ल्यूएमओ/ईएससीएपी का 2018 में जाकर विस्तार हुआ और इसमें पांच और देशों को जोड़ा गया. अब इसमें ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन भी शामिल हो गए.

यानी कुल मिलाकर 13 देश हुए और इन देशों ने 13 नामों का सुझाव दिया था. तो कुल मिलाकर 169 चक्रवातों के नाम अपनाए गए और अप्रैल 2020 में इन नामों की सूची भारतीय मौसम विभाग ने जारी की थी.

लेकिन तूफान हैं, नाम क्यों रखना?

सिंपल है. इससे तूफानों को याद रखने में आसानी होगी. आखिर, इनको संख्या या तकनीकी नाम दिए जाते तो याद रखना मुश्किल होता. आम जनता के साथ ही, इन नामों से वैज्ञानिकों को भी आसानी होती है. नाम की वजह से जागरूकता फैलानने में भी आसानी होती है और आपदा प्रबंधन का काम भी तेज होता है. खासकर ओडिशा और आंध्र प्रदेश जैसे  उन इलाकों में जहां पर तूफान बार-बार आते रहते हैं.

नामकरण का कोई कायदा भी है कि ऐंवई रख दिया नाम?

चक्रवातो का नामकरण करते समय कुछ नियम-कायदों का पालन करना होता है और यह हर देश के लिए जरूरी हैं. अगर इन दिशा-निर्देशों का पालन किया दाए तो पीटीसी (पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन्स) इनपर मुहर लगा देती है.

-इन नामों को राजनैतिक दलों या राजनेताओं का नाम नहीं दिया जाएगा.

-इन्हें धार्मिक आस्थाओं, संस्कृतियों और लिंगगत भावनाओं से परे रखा जाएगा

-नाम इस तरह से चुने जाएंगे कि इससे दुनियाभर में किसी समुदाय की भावनाएं आहत न हो

-इन चक्रवातों के नाम बहुत निष्ठुर और क्रूर नहीं होने चाहिए

-नाम छोटा, उच्चारण में आसान होना चाहिए और किसी भी सदस्य को इस नाम का बुरा नहीं लगना चाहिए

-नाम अधिकतम 8 अक्षरों का होगा

-प्रस्तावित नाम उच्चारण और वॉइस ओवर के साथ दिए जाएंगे

-उत्तरी अरब सागर में चक्रवातों के नाम दोबारा इस्तेमाल में नहीं लाए जाएंगे. एक बार इनका इस्तेमाल होने के बाद, इनके दोबारा इस्तेमाल पर बंदिश लग जाएगी. इसलिए नाम सौ टका नए होने चाहिए

भारत ने क्या नाम सुझाए हैं?

हालिया फेहरिस्त में भारत ने 13 नाम सुझाए हैं. इनमें गति, तेज, मरासू, आग, व्योम, झार (झॅर), प्रबाहो (प्रवाह), नीर, प्रभंजन, घुरनी, अंबुद, जलधि और वेग सुझाए हैं. इन नामों से कुछ तो जनता ने सुझाए हैं. पीटीसी को यह नाम बढ़ाने से पहले आइएमडी की एक समिति ने नामों की सूची को आखिरी रूप देने के लिए बैठक की थी.  

13 देशों वाली समिति में भी पहला नाम बांग्लादेश ने रखा था और उसका नाम था निसर्ग. इसके बाद भारत का नाम गति इस्तेमाल में आएगा.

यह तो एशियाई देशों के चक्रवातीय तूफानो के नामकरण के नियम-कायदे हुए. पर अमेरिका में तो तूफानों के नाम बड़े ही प्यारे होते हैं, मसलन अल्फा, कैटरीना, नरगिस, वगैरह.

1953 में अटलांटिक सागर के आस-पास के देशों ने तूफानों को नाम देना शुरू किया था.

बीबीसी की एक खबर के मुताबिक, अमेरिका ने दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान चक्रवातों को महिलाओं का नाम देना शुरू कर दिया था. हालांकि, 1978 से आधे चक्रवातों के नाम पुरुषों के नाम पर रखे जाने लगे. अमेरिका हर साल के लिए 21 नामों की लिस्ट तैयार की जाती है. हर अल्फाबेट से एक नाम रखा जाता है, लेकिन Q,U,X,Y,Z को छोड़ दिया जाता है. अगर साल में 21 से ज्यादा तूफान आते हैं तो फिर ग्रीक अल्फाबेट जैसे अल्फा, बीटा, गामा का इस्तेमाल होता है. तूफानों का नाम तय करने में ऑड-ईवन फॉमूर्ला अपनाया जाता है. इसका मतलब यह हुआ कि ऑड साल में आने वाले तूफानों के नाम औरतों पर, जबकि ईवन साल में आने वाले तूफान के नाम पुरुषों पर होते हैं.

वैसे, आपने कई बार आंधी, तूफान, चक्रवात जैसे शब्दों का इस्तेमाल सुना होगा. घबराना नहीं है. यह सब अलग-अलग श्रेणियां है. असल में, हवा की गति के आधार पर तूफान की कैटेगरी तय की जाती है.

अधिक गरमी होने से केंद्र में निम्न दाब बनता है और चारों तरफ से हवा उसे भरने के लिए अंदर की तरफ आती है. तो जब हवा 63 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चक्कर काटती हुई आती है तो उसे ट्रॉपिकल स्टॉर्म (तूफान) कहते हैं. लेकिन, जब यह गति 119 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा हो जाती है तो उसे ट्रापिकल साइक्लोन (चक्रवातीय तूफान) कहते हैं. हवा की गति बढ़ने के आधार पर चक्रवात की कैटेगरी 1 से 5 की स्केल पर चली जाती है.