ताजमहल से सरकार को करोड़ों की कमाई, इमाम को सिर्फ 15 रुपये की पगार

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 1 Years ago
सैयद सादिक अली
सैयद सादिक अली

 

फैजान खान आगरा

आज आसमान छूती महंगाई में घर का खर्चा चलाना कितना मुश्किल हो गया है, इस बात को सरकार से लेकर आम जनता तक खूब जानती है. बाजार चले जाएं, तो दो हजार रुपये का नोट कब खत्म हो जाता है, पता ही नहीं चलता. अब सोच रहे होंगे कि आज के दौर में 15 रुपये महीने किसकी पगार होगी? मजदूर भी दिन भर काम करने के बाद 450.-500 रुपये ले जाता है.

हम बात ताजमहल की मस्जिद के इमाम की बात कर रहे हैं, जिसे एएसआई सिर्फ 15 रुपये बतौर पगार देती है, जबकि ताजमहल हर साल सरकार के खजाने में 90-100 करोड़ रुपया कमाकर देता है. रही बात इमाम की तनख्वाह की, तो 2017 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इमाम को ये 15 रुपये भी नहीं दिए.

अगर बच्चे को घर के बाहर बनी दुकान पर ले जाएं, तो चंद मिनटों में 50-100 रुपये उड़ जाते हैं. अगर किसी की पगार ही 15 रुपये हो, तो आप सोचिए कि वो घर कैसे चलाता होगा.

ताजमहल की तामीर के साथ ही उसकी मस्जिद को बनाया गया था. इसमें मुगल बादशाह नमाज अदा करते थे और नमाज शाही इमाम अदा कराते थे. तब से लेकर आज तक इस मस्जिद में पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही खानदान का आदमी नमाज अदा कराता चला आ रहा है.

मुगल दौर में मस्जिद के इमाम को बतौर पगार सोने की 15 अशर्फियां मिलती थीं, अंग्रेजी हुकूमत में सोने की गिन्नी और भारत आजाद होने पर चांदी के सिक्के मिलने लगे. यहां तक सब कुछ ठीक था. आजादी के कुछ साल बाद सरकार ने 15 सिक्कों की रिवायत को तो जिंदा रखा, मगर चांदी के सिक्के हटाकर भारतीय मुद्रा देना शुरू कर दिया. मगर हुक्मरान पगार तय करते वक्त ये भूल गए कि जिस मुद्रा को आप 15 रुपये के तौर पर देना चाहते हो, वो अशर्फी, गिन्नी या चांदी के सिक्कों के बराबर की कीमत नहीं रखते हैं.

ताजमहल के इमाम सैयद सादिक अली कहते हैं कि हमारी आठवीं पीढ़ी नमाज अदा करा रही है. अंग्रेज शासन और उसके बाद तक तो ठीक था, लेकिन उसके बाद तो हमें 15 रुपये तनख्वाह दी जा रही है, जो आज के दौर में कुछ भी नहीं. महीने में पंद्रह रुपये देते हैं, लेकिन आज तो इतने में 250 ग्राम दूध भी नहीं आता, तो पूरे महीने का खर्च कैसे चलाएंगे..

ताजमहल की मस्जिद के इमाम के बेटे नायब इमाम हाफिज सैयद बुरहान अली ने कहा कि इस मस्जिद में नमाज अदा कराने का सिलसिला आठ पीढ़ी पहले से चला आ रहा है. पहले हमारे परदादा नमाज अदा कराते थे. अब हमारे वालिद और मैं भी कर रहा हूं. ताजमहल के सफाई कर्मचारी को भी सरकार करीब 40 हजार रुपये तनख्वाह देती है, लेकिन हमारे वालिद साहब यानी ताजमहल के इमाम को 15 रुपये. सरकार हमारे साथ इंसाफ नहीं कर रही.

नायब इमाम हाफिज सैयद बुरहान अली ने बताया कि 2017 से पहले हमें कैश में ही पैसे मिलते थे, लेकिन 2017 में एएसआई क अधिकारियों ने आधार, पैन कार्ड मांगा और बोले कि अब तनख्वाह ऑनलाइन बैंक में ही आएगी. लेकिन तब से अब तक नहीं आई. हर महीने अधिकारियों के चक्कर काटते हैं, लेकिन कोई ठीक से जवाब नहीं मिलता कहते हैं कि आ जाएगी.

 

सन           ताज की कमाई

2018-19  77.90 करोड़ रुपये

2019-20  97.11 करोड़ रुपये

2020-21  95.34 करोड़ रुपये