जब लिवर में गड़बड़ी होती है, तो उसका असर धीरे-धीरे पूरे शरीर पर दिखाई देने लगता है। खासतौर पर त्वचा में आने वाले बदलाव कई बार गंभीर लिवर रोगों का शुरुआती संकेत होते हैं। यदि इन लक्षणों को समय पर पहचान लिया जाए, तो बीमारी का जल्दी पता लग सकता है और उपचार भी प्रभावी हो सकता है। आइए जानते हैं ऐसे ही चार प्रमुख संकेतों के बारे में—
लिवर रोग का सबसे सामान्य और सबसे स्पष्ट लक्षण है—पीलिया।
इस स्थिति में त्वचा और आंखों का सफेद हिस्सा पीला दिखने लगता है। इसका कारण यह है कि लिवर बिलीरुबिन को ठीक से प्रोसेस नहीं कर पाता, जिसके चलते यह पदार्थ शरीर में जमा होने लगता है। पीलिया हल्का भी हो सकता है और गंभीर भी।
अगर त्वचा या आंखें पीली दिखने लगें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
क्रॉनिक (दीर्घकालिक) लिवर रोग त्वचा की रक्त वाहिकाओं पर असर डालता है।
स्पाइडर एंजियोमा: चेहरे, गर्दन और छाती पर मकड़ी के जाले जैसी लाल रक्त वाहिकाएँ।
पामर एरिथेमा: हथेलियों का लाल और गर्म हो जाना।
ये दोनों स्थितियाँ लिवर की खराबी और हार्मोनल असंतुलन के कारण बढ़े हुए रक्त प्रवाह से जुड़ी होती हैं।
बिना दाने के लगातार खुजली होना भी लिवर समस्या का एक महत्त्वपूर्ण संकेत है।
यह स्थिति तब होती है जब लिवर पित्त को सामान्य रूप से बाहर नहीं निकाल पाता और पित्त लवण रक्त में बढ़ने लगते हैं। ये त्वचा में जमा होकर सूजन और खुजली का कारण बनते हैं।
यह खुजली बेहद परेशान करने वाली हो सकती है, इसलिए ऐसी स्थिति में डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी है।
लिवर रोग के कारण त्वचा पर काले धब्बे या पिग्मेंटेशन बढ़ सकता है।
यह हार्मोनल बदलाव और लंबे समय तक बनी रहने वाली सूजन से जुड़ा होता है।
इसके अलावा नाखूनों में भी परिवर्तन देखे जा सकते हैं—
टेरी के नाखून: सफेद नाखून जिनके सिरे पर पतली गुलाबी पट्टी होती है।
म्यूर्क की रेखाएँ: नाखूनों पर सफेद धारियाँ।
ये दोनों संकेत बताते हैं कि लिवर का कार्य प्रभावित हो रहा है और प्रोटीन मेटाबॉलिज्म में गड़बड़ी है।