केरल में गरीब परिवारों की दुल्हनों के लिए फरिश्ता बने पूर्व एनआरआई नासर थूथा

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 2 Years ago
ड्रेस बैंक के संस्थापक नासर थूथा
ड्रेस बैंक के संस्थापक नासर थूथा

 

साबिर हुसैन / नई दिल्ली

केरल के मलप्पुरम जिले के पेरिंथलमन्ना के मूल निवासी चालीस वर्षीय नासर थूथा कभी सऊदी अरब के एक सुपरमार्केट में काम करते थ. अब घर लौटने के बाद वो गरीब परिवारों की दुल्हनों के लिए एक अच्छे मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहे हैं.

मार्च 2013 में लौटने के बाद उन्होंने टैक्सी चलाना शुरू किया और वे चैरिटी में भी शामिल थे. मार्च 2020 में, नासर ने कई गरीब परिवारों की दुर्दशा से प्रभावित होने के बाद ड्रेस बैंक परियोजना पर काम किया. कई गरीब परिवार दुल्हन के महंगे कपड़े खरीदने और शादी के अन्य खर्चों को वहन करने के लिए संघर्ष कर रहे थे. एक साल से थोड़ा अधिक समय में, वह ड्रेस बैंक परियोजना की जोरदार सफलता से रोमांचित हैं.

उन्होंने आवाज-द वॉयस को बताया, “परियोजना के तहत, आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की लगभग 200 दुल्हनें अपनी शादियों के लिए दुल्हन के कपड़े पहनने में सक्षम हो सकीं, जो आमतौर पर उनकी पहुंच से बाहर होती थीं. उन कपड़ों के लिए कोई शुल्क नहीं है, जो हम देते हैं.”

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ड्रेस बैंक में दुल्हन के परिधान को दिखाते नासर थूथा


नासर ने सोशल मीडिया और ‘वर्ड ऑफ माउथ’ पर यह संदेश फैलाने में कामयाब रहे कि वह लोगों को अपनी शादी के कपड़े दान करने के लिए कह रहे हैं, क्योंकि लोग ऐसे परिधान शायद ही कभी उन्हें एक से अधिक बार पहनते हों.

विनम्र टैक्सी चालक और चार बच्चों के पिता नासर कहते हैं, “मेरी अपील क्लिक हुई और लोगों ने अपनी शादी के कपड़े, विशेष रूप से दुल्हन के कपड़े दान करना शुरू कर दिया. मेरे परिवार और दोस्तों ने एक बार इस्तेमाल की जाने वाली पोशाकों को जमा करने में मेरी मदद की और हमने उन्हें अपने इलाके के गरीब परिवारों की दुल्हनों को देना शुरू कर दिया.”

उन्होंने अपने पड़ोस में उद्यम के लिए एक कमरे की दुकान किराए पर ली और अपने घर से 100दान किए गए शादी के कपड़े के सेटों के साथ संचालन शुरू किया. दुकान आमतौर पर मंगलवार और रविवार को खुलती है. उन्होंने बताया, “अन्यथा मैं सिर्फ एक कॉल दूर हूं. मैं टैक्सी स्टैंड से काम नहीं करता. इसलिए मैं आमतौर पर पास ही होता हूं. ”

परियोजना को राज्य के विभिन्न हिस्सों और बाहर से योगदान मिलना शुरू हुआ.

उन्होंने बताया, “हमें जो भी कपड़े मिलते हैं, वे लगभग बिल्कुल नए होते हैं, क्योंकि वे कुछ ही घंटों के लिए इस्तेमाल किए गए होते हैं. लेकिन हम कपड़े दूसरों को देने से पहले वैसे भी ड्राई-क्लीन करते हैं. हालांकि हम परिवारों को उपयोग के बाद कपड़े वापस करने के लिए नहीं कहते हैं, फिर भी उनमें से कुछ कपड़े वापस कर देते हैं.”

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ड्रेस बैंक में दुल्हन की पोशाक के साथ नासर थूथा


जिस किसी को भी दुल्हन की पोशाक चाहिए और वह खरीद नहीं सकता, वह इसे नासर के ड्रेस बैंक से ले सकता है, जिसके पास अब लगभग 1,000 पोशाकों का संग्रह है.

नासर कहते हैं, “अब हमारे पास मुस्लिम, ईसाई और हिंदू दुल्हनों के लिए लगभग 1,000 पारंपरिक दुल्हन के परिधानों का संग्रह है. इनमें कई ड्रेसों की बाजार कीमतें 5,000 रुपये से 50,000 रुपये के बीच हैं और लोगों की पहुंच से बाहर हैं. अब हमारे पास अन्य राज्यों से दानकर्ता आ रहे हैं. हमें एनआरआई ने भी अपनी शादी के कपड़े दान किए हैं.”

ड्रेस बैंक परियोजना महिलाओं में खूब हिट हुई है. जबकि दूल्हे के परिधानों के लिए मांग नहीं है. इसलिए नासर के पास दूल्हे के लिए कोई पोशाक नहीं हैं.