​एहसास-ए-इफ्तारः हजारों जरूरतमंदों और राहगीरों की मदद के लिए बढ़ाया हाथ

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] • 1 Years ago
​एहसास-ए-इफ्तारः हजारों जरूरतमंदों और राहगीरों की मदद के लिए बढ़ाया हाथ
​एहसास-ए-इफ्तारः हजारों जरूरतमंदों और राहगीरों की मदद के लिए बढ़ाया हाथ

 

मंसूरुद्दीन फरीदी  /नई दिल्ली
 
दिल्ली के जामिया नगर में अगर आप सड़क पर चल रहे हैं. आप रिक्शा में हैं या आप मेट्रो से यात्रा कर लौट रहे हैं और घर पहुंचने से पहले इफ्तार का समय हो गया है, ऐसे में अगर कोई इफ्तार का पैकेट उपलब्ध कराए, तो समझें यह किसी उपहार से कम नहीं है. रमजान में इसी तरह रोजाना सौकड़ों की संख्या में इफ्तार के पैकेट ओखला की अलग-अलग बस्तियों में जरूरतमंदों तक पहुंचाए जा रहे हैं.

इस रमजान जामिया मिलिया और ओखला बस्ती के पांच अलग-अलग बिंदुओं पर खास अभियान के तहत स्वयंसेवक जरूरतमंद, व्यथित और इफ्तार के समय पर घर नहीं पहुंचने वालों को इफ्तार कराने के मिशन में लगे हैं.
 
यह अभियान इस साल जामिया मिलिया क्षेत्र में सभी के लिए एक नई भावना लेकर आया है. जिसमें मदद की भावना और सेवा का जोश है. साथ ही प्रोजेक्ट एहसास ने क्षेत्र में घर-घर जाकर जरूरतमंदों को इफ्तार कराया और सामूहिक रूप से इफ्तार का भी आयोजन किया. इस रमजान संगठन अभी तक 30 हजार से अधिक लोगों को इफ्तार करा चुका है.
 
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यह अभियान अक्टूबर में ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन के तत्वावधान में प्रोजेक्ट एहसास के तत्वावधान में शुरू किया गया. परियोजना का उद्देश्य बेघर और विस्थापितों को भोजन उपलब्ध कराना है.
 
ऐसे लोगों को इफ्तार कराने का मिशन जामिया मिलिया के पांच अलग-अलग जगहों पर सफलतापूर्वक चल रहा है, जहां राहगीरों और अपने घरों तक नहीं पहुंचने वालों इफ्तार दिया जाता है. ऐसे छात्र भी हैं जो समय या व्यस्त कार्यक्रम के कारण इफ्तार का इंतजाम नहीं कर पाते. उन्हें भी इफ्तार कराई जा रही है.
 
इफ्तार की व्यवस्था और राशन वितरण
 
कार्यक्रम की शुरुआत ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन की ओर से रमजान के पहले दिन की गई और रोजाना 800 से ज्यादा लोगों को इफ्तार कराया जा रहा है. यह अभियान बहुत अच्छा चल रहा है.
 
कंचनजंगा में ‘प्रोजेक्ट-एहसा‘ की सामुदायिक रसोई है. जहां स्वयंसेवकों की फौज लगी हुई है. यहां खाना बनाकर पैक किया जाता है. इसमें लड़कियां सहित युवा भाग लेते रहे हैं . जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्राएं भी इसमें शामिल हैं जो सामाजिक कार्यों में अनुभव प्राप्त कर रही हैं.
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प्रोजेक्ट एहसास  


मुहम्मद इस्लाम के अनुसार, अन्य राज्यों से ताल्लुक रखने और मलिन बस्तियों में रहने वाले मजदूर के रूप में काम करने वाले बेसहारा लोगों के लिए कोरोना में भोजन उपलब्ध कराने का काम शुरू किया गया था.
 
दरअसल, रमजान के दौरान मिड डे को इफ्तार में तब्दील कर दिया गया , जो फाउंडेशन के प्रोजेक्ट एहसास के तहत किया गया है.इस सामुदायिक रसोई की शुरुआत पिछले साल अक्टूबर में हुई थी, जहां अब इफ्तार का आयोजन किया जा रहा है.
 
उन्होंने कहा कि एक महान प्रयास है जिसे हम एक साथ बड़े उत्साह से कर रहे हैं. इस अभियान से जुड़कर हर कोई शांति का अनुभव कर रहा है. मुहम्मद इस्लाम ने आवाज द वाॅयस से कहा कि रमजान से पहले इफ्तार बांटने का फैसला किया गया, क्योंकि इस महीने की इबादत के दौरान लोगों के एक बड़े वर्ग को रोजा खोलने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है.
 
ऐसे लोग हैं जिन्हें निजी जीवन के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. कुछ लोग ऐसे हैं जिनके रिश्तेदार अस्पतालों में हैं. ऐसे छात्र हैं जो समय की कमी के कारण इफ्तार की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं और फिर कुछ ऐसे लोग भी हैं जो सड़कों पर हैं और इफ्तार का समय हो गया है.
 
उन्हें रास्ते में इफ्तार प्रदान किया जाता है.यह एक सफल प्रयोग साबित हुआ है.यह काम कोलकाता में भी चल रहा है. दिल्ली में हर दिन 800 और कोलकाता में 400 पैकेट वितरित किए जा रहे हैं.
 
मुहम्मद इस्लाम ने कहा कि हमने पहले रमजान से इस अभियान की शुरुआत की थी. फिर ओखला के विभिन्न स्थानों पर इफ्तार के पैकेट बांटने शुरू किए. शाहीन बाग मेट्रो स्टेशन के सामने, शाहीन बाग थाना, ओखला प्रमुख, जाकिर नगर पर इफ्तार के पैकेट उपलब्ध कराए जा रहे हैं. जामिया मिलिया इस्लामिया में राहगीर ज्यादातर वे होते हैं जो यातायात के कारण समय से घर नहीं पहुंच पाते हैं.
 
​​इस अभियान के बारे में, मुहम्मद इस्लाम का कहना है कि ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन के तत्वावधान में इस पहल का बहुत सकारात्मक प्रभाव दिख रहा है. हम स्थानीय छात्रों को अपने साथ जोड़ने में सक्षम हुए हैं.
 
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इसके अलावा स्थानीय गैर सरकारी संगठनों के कुछ अन्य स्वयंसेवकों ने भी सहायक की भूमिका निभाई.जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र हाथ बंटा रहे हैं.हर स्तर पर सहयोग प्राप्त हो रहा है.
 
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को भूख और गरीबी से लड़ने के लिए सामुदायिक रसोई की मदद लेने की सलाह दी है.अभियान में शामिल एक अन्य स्वयंसेवक कासिम रजा के अनुसार, अभियान ने पहले दिन से लोकप्रियता हासिल की है.
 
हम सभी ने जरूरतमंदों की मदद करने में सहज महसूस किया. उनका कहना है कि यह एक टीम वर्क है. सभी का अपना काम या जिम्मेदारी है. जो प्रभारी है किचन में इफ्तार की तैयारी से लेकर पैकिंग तक का काम संभाल रहा है. उसके बाद अलग-अलग इलाकों में पैकेट पहुंचाने का काम होता है. फिर वितरण का काम होता है.
 
ओखला के विभिन्न क्षेत्रों में इस पहल की सराहना की जा रही है. जब ओखला हेड को इफ्तार का एक पैकेट सौंपा गया, तो एक व्यक्ति जहीर आलम कहता है कि मैं इफ्तार के लिए समय पर घर नहीं पहुंच सका, तभी अचानक एक मदद का हाथ सामने आया.