कोरोना का अभिशाप गरीबों के लिए बना वरदान

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 25-01-2021
कोरोनाकाल में बढ़ा सस्ती शादियों का चलन.
कोरोनाकाल में बढ़ा सस्ती शादियों का चलन.

 

 

  • कोरोना ने ढक ली गरीब की आबरू, गरीबों को हुआ यह फायदा
  • लोग चाहते हैं कोरोना के बाद भी हों कम खर्चीली शादियां
  • कोरोना काल में शादी-ब्याह से कहीं खुशी, कहीं गम

गौस सिवानी/नई दिल्ली

राजधानी दिल्ली के जामिया नगर इलाके की एक मस्जिद में 22 वर्षीय आयत की शादी चंद लोगों की मौजूदगी में हुई. सादगी से अलंकृत ये समारोह ऐन इस्लामी परंपरा के अनुसार था, जिसमे न तो सैकड़ों लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई, न कोई बारात आयी और न ही मेहमानों के लिए किसी पार्टी की व्यवस्था की गई. शादी इतनी सरल इसलिए थी, क्योंकि कोरोना महामारी के कारण भीड़ इकट्ठा करना संभव नहीं था. रेलवे की सीमित सेवाओं के कारण, रिश्तेदारों के लिए शादी में आना मुश्किल था और सरकार द्वारा भी भीड़ इकट्ठा करना मना था.

भारत में शादी का मतलब होता है खर्चीले समारोह, बैंड-बाजे और सैकड़ों लोगों की बारात की भीड़. जाहिर है, शादी का खर्च वहन करना अमीरों के लिए कोई समस्या न हो, लेकिन गरीब और मध्यम वर्ग के लिए यह परेशानी का सबब बन जाता है। हालांकि, कोरोना का प्रकोप निम्न वर्ग के लोगों के लिए शादी के संदर्भ में एक आशीर्वाद सा बन गया है. मेरी इच्छा है कि यह सहजता और सरलता कोरोना के जाने के बाद उस समय भी बनी रहे, जब सामाजिक दूरी या मॉस्क पहनने की पाबंदी का दौर जा चुका हो.

शाहीन बाग (नई दिल्ली) में रहने वाले इंजीनियर रेहान की बारात मुंबई गई. मुंबई और दिल्ली दोनों कोरोना से सबसे बुरी तरह प्रभावित शहरों में हैं. रेहान के घर वाले एक बड़ी शादी करना चाहते थे, लेकिन यह संभव नहीं था. केवल उनकी बहनें दूल्हे के साथ शादी में गईं और कुछ करीबी रिश्तेदारों की मौजूदगी में बड़ी सादगी से मुंबई में निकाह का आयोजन  हुआ.

कोरोना महामारी के युग में, न केवल मुस्लिम, बल्कि अन्य वर्ग भी सादगी से शादियां कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, सूरत (गुजरात) के बारडोली क्षेत्र में गोयल परिवार में एक विवाह हुआ. परिवार ने बड़ी धूमधाम से शादी की योजना बनाई थी, लेकिन कोरोना द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण यह संभव नहीं था. इसलिए परिवार ने एक बड़ा फैसला किया और मंदिर में ही दूल्हा और दुल्हन ने सात फेरे लिए. ऑनलाइन होने वाली इस शादी में 3,000 से अधिक रिश्तेदारों और दोस्तों ने भाग लिया. इस शादी के बारे में सबसे अच्छी बात यह थी कि शादी के बचे हुए खर्च को पीएम केयर्स फंड को दिया गया.

घटनाएं क्यों बदल रही हैं?

विवाह की शैली को बदलना इसलिए भी आवश्यक था, क्योंकि एक ओर पुलिस की तरफ से सख्ती थी और दूसरी ओर बहुत ही हृदयविदारक घटनाएं भी घटित हो रही थीं. मसलन पटना के पालीगंज क्षेत्र में शादी के दो दिन बाद ही दूल्हे की कोरोना से मृत्यु हो गई. उसके बाद, बारातियों की जांच की गई और एक दर्जन से अधिक कोरोना से संक्रमित पाए गए. ऐसी कई खबरें देश और विदेश से आईं.

निमंत्रण शैली भी बदली

कोरोना संकट के दौरान होने वाले विवाहों में एक और चीज बदली है. वह है निमंत्रण का विषय है. पहले निमंत्रण में केवल विवाह कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी जाती थी, लेकिन अब निमंत्रण पत्र में कोरोना से बचाव के उपाय भी लिखे जा रहे हैं. नामों के माध्यम से रिश्तेदारों को जागरूक किया जा रहा है. इसके अलावा, लोग मौखिक रूप से कार्ड वितरण के दौरान रिश्तेदारों को सूचित कर रहे हैं कि उन्हें सरकार के निर्देशों का पालन करना चाहिए.

एक निमंत्रण पत्र  में लिखा हुआ था, ‘दो गज दूरी, मॉस्क है जरूरी’. जबकि दूसरे निमंत्रण पत्र में दर्ज था कि जब आप घर से बाहर जाएं, तो मास्क पहनना सुनिश्चित करें. कई शादियों में तो मॉस्क भी वितरित किया गया है. 

शादी के कार्ड प्रिंट करने वाले शमीम का कहना है कि हाल के दिनों में जो लोग कार्ड प्रिंट करने का आर्डर देते हैं, वो साथ में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के बारे में एक संदेश मुद्रित करने के लिए भी कहते हैं.

कुछ लोगों को चिंता भी है

एक तरफ, शादी के जश्न की सादगी के कारण लड़कियां राहत की सांस ले रही हैं और दहेज का विरोध करने वाले आंदोलनकारी खुश हैं. दूसरी तरफ, शादी के व्यवसाय में शामिल लोग बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं और लॉकडाउन के बाद से ही चिंतित हैं. इनमें मैरिज हॉल, मैरिज गार्डन, डेकोरेटर, कैटरर्स, बैंड पार्टी, प्रिंटिंग प्रेस आदि से जुड़े लोग शामिल हैं. बाजारों में बड़े पैमाने पर शादी की खरीदारी नहीं हो रही है, इसलिए दुकानदार भी स्थिति से निराश हैं.