कोरोना लॉकडाउनः बच्चे स्कूल नहीं आए, तो शिक्षक उनके पास पहुंच गए

Story by  शाहताज बेगम खान | Published by  [email protected] | Date 04-09-2021
ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षा साथ-साथ
ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षा साथ-साथ

 

शाहताज बेगम खान/पुणे

कोरोना में जमाना तेजी से बदल रहा है. कुछ चीजों का महत्त्व बढ़ गया है, तो कुछ का कम हो गया है. लेकिन एक चीज ऐसी भी है, जिसका महत्त्व कल भी था और आज भी है, और वह है शिक्षा और शिक्षक. एक शिक्षक भावी पीढ़ी का निर्माता होता है. एक अध्यापक किताबी ज्ञान भी देता है, हर बात विस्तार से समझाता भी है और विद्यार्थी को रास्ता दिखाकर उसपर चलने के लिए छोड़ देता है कि जाओ और अपनी मंजिल तलाश कर लो. यह कहना है ऑल इण्डिया आइडियल टीचर्स एसोसिएशन पालघर के जिला अध्यक्ष तनवीर अहमद मुहम्मद यूसुफ अंसारी का.

लॉक डॉउन में जब स्कूल बंद हो गए, तो बच्चों के लिए छुट्टियों जैसा माहौल बन गया. आजादी और छूट मिल गई. बच्चे खुश थे कि उन्हें ना तो सुबह-सुबह उठना होगा और ना ही स्कूल जाना पड़ेगा. न होम वर्क और न टीचर की डांट. दूसरी तरफ कुछ अध्यापकों ने भी राहत की सांस ली, लेकिन इस दौर में भी ऐसे अध्यापकों की कमी नहीं थी, जिन्हें बच्चों के होने वाले नुकसान की चिंता थी. वह लोग सिर जोड़कर बैठे और नए रास्तों की खोज शुरू की. तनवीर अहमद के दिमाग में कुछ मंसूबे थे, जिन्हें उन्होंने अपने साथियों को बताया और फिर नईम अहमद अंसारी, तहसीन सरफराज, हफीज उर रहमान अंसारी, मुजफ्फर काजी और राजिक हुसैन के साथ मिलकर उस पर अमल करने में देर नहीं की.

ऑफ लाइन से आन लाइन

लॉक डाउन से पहले से ही तनवीर अहमद की सरगर्मियां जारी थीं. स्कूलों में तरह तरह के साहित्यक, शैक्षिक प्रतियोगताओं का आयोजन वो अक्सर कराते आ रहे थे. लॉक डॉउन के कारण अचानक सब कुछ थम गया. शिक्षकों के सामने यह समस्या थी कि बच्चों को कैसे पढ़ाएं? हालात बदल गए थे. पहले बच्चे स्कूल आते थे. अब स्कूल को बच्चों तक पहुंचने का कोई प्रबंध करना था. इसके लिए पालघर की टीम ने तनवीर अहमद के मार्गदर्शन के साथ तुरन्त काम करना शुरू किया. ऑन लाइन शिक्षा में पाठ्यक्रम पर तो ध्यान दिया ही, साथ में ऑन लाइन प्रतियोगताओं का सिलसिला भी शुरू किया. जिसमें नात ख्वानी, ड्राइंग, निबंध लेखन जैसी प्रतियोगताओं से बच्चों को जोड़ने का सफल प्रयास किया.

स्टूडेंट वेलफेयर फंड

तनवीर अहमद ने न केवल विद्यार्थी, बल्कि उनके पूरे परिवार का स्कूल के साथ मजबूत रिश्ता बनाने की कोशिश की. इसके लिए स्टूडेंट वेलफेयर फंड पालघर का प्रबंध किया. वो जानते थे कि उनके उर्दू सरकारी स्कूलों में आने वाले बच्चे बहुत गरीब परिवारों से आते हैं. इस अचानक होने वाली परेशानी से बच्चों के पूरे परिवार प्रभावित हुए थे. स्कूलों के साथ पूरे परिवार को जोड़ने के लिए तनवीर अहमद ने बहुत गरीब 40परिवारों को राशन पहुंचाने का प्रबंध किया. तनवीर अहमद कहते हैं कि जब परिवार आराम से होगा, तभी वे हमारी सुनेंगे. खाली पेट किसी के लिए दूसरी बात सोचना भी असंभव होता है.

खाने का प्रबंध करने के बाद तनवीर अहमद ने देखा कि ऑन लाइन पढ़ाई करने वाले बच्चों की संख्या बहुत कम है. अधिकतर बच्चों के लिए ऑन लाइन पढ़ाई संभव नहीं थी. इसलिए 55000की रकम खर्च कर के पालघर जिला के सभी बच्चों तक वर्क शीट्स पहुंचाई गईं, ताकि पढ़ाई से उनका सिलसिला न टूटे.

अगर चाहें तो क्या हो नहीं सकता

बच्चों की पढ़ाई को हुए नुकसान की भरपाई के लिए महाराष्ट्र में ब्रिज कोर्स का प्रबंध किया गया था. जिसके लिए अलग से पाठ्यक्रम बनाया गया. यह कोर्स भी ऑन लाइन था. तनवीर अहमद कहते हैं कि हम इस कोर्स के महत्व को समझते थे, लेकिन यह भी जानते थे कि ऑन लाइन इसका फायदा हमारे बच्चे नहीं उठा पाएंगे. इसलिए एक बार फिर तनवीर अहमद और उनकी पूरी टीम ने जमीनी स्तर पर काम करने की ठानी. ब्रिज स्टडी सर्कल द्वारा प्रति दिन दो घण्टे ऑफ लाइन क्लास लेने का मनसूबा बनाया. विद्यार्थियों के आस-पास ही किसी उचित स्थान का चुनाव किया, बच्चों के छोटे-छोटे ग्रुप बनाए और ‘तालीम दोस्त’ लोगों की सहायता से पढ़ाई का सिलसिला शुरू किया, जो लगातार जारी है. गली-मोहल्लों में बच्चों के छोटे छोटे ग्रुप और तनवीर अहमद के ‘तालीम दोस्त’ की लगन बच्चों की पढ़ाई को जारी रखने में पूरी ताकत से लगी हुई है.

तनवीर अहमद और उनकी पूरी टीम उर्दू मीडियम पालघर के विद्यार्थियों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए हर रोज नए नए रास्ते तलाश कर रही है कि जब तक बच्चे स्कूल नहीं आ सकते, हम उन तक पहुंचेंगे.