शादी की सालगिरह पर नेत्रहीन मुस्लिम दम्पति ने की अनाथों की मदद

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 23-06-2021
अनाथों के साथ मनाया जन्मदिन
अनाथों के साथ मनाया जन्मदिन

 

शेख मुहम्मद यूनिस / हैदराबाद

तेलंगाना के निजामाबाद जिले के हबीबनगर इलाके के एक नेत्रहीन जोड़े ने अपनी शादी की पहली सालगिरह न केवल अनाथों और विकलांग बच्चों के साथ मनाई, बल्कि लोगों की मदद कर सेवा की भावना की एक आदर्श मिसाल पेश की.

मोहम्मद हाजी और हमीरा शिरीन दोनों पूरी तरह से अंधे हैं. पिछले साल 18 जून को दोनों ने शादी कर ली और एक-दूसरे का सहारा बन गए. मोहम्मद हाजी एक शिक्षक हैं और वे उसी समाज में एक गृह शिक्षक के रूप में कार्य करते हैं. मोहम्मद हाजी अंधे हैं. उन्होंने न कभी कमजोर महसूस किया और न ही हीन महसूस किया.

एक आदर्श सालगिरह

मोहम्मद हाजी और हमीरा शिरीन ने निजामाबाद के सुभाष नगर में बाल सदन के अनाथ, गरीब और विकलांग बच्चों के साथ अपनी पहली शादी की सालगिरह मनाई. भोजन की भी व्यवस्था की गई. शादियों और समारोहों के अवसर पर समाज में अपव्यय आम है. ऐसे माहौल में इस अंधे दम्पति ने समाज को आमंत्रित करने के साथ-साथ सही मार्ग भी दिखाया है और इस दम्पति का यह सराहनीय कदम अनुकरणीय है.

मोहम्मद हाजी डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय, तेलंगाना से स्नातक हैं. उन्होंने इंटरमीडिएट तक महाराष्ट्र में पढ़ाई की. उन्होंने बैंगलोर से टीटीसी पाठ्यक्रम पूरा किया है. उनकी पत्नी हमीरा शिरीन एक सरकारी कर्मचारी हैं और एक कल्याणकारी छात्रावास में एक सहायक के रूप में काम करती हैं. दंपति जीवन की कठिनाइयों से अच्छी तरह वाकिफ हैं. यही वजह है कि वह हमेशा गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने में सबसे आगे रहते हैं.

ज्ञान का प्रकाश

वह नेत्रहीन छात्रों को ज्ञान के प्रकाश से प्रबुद्ध कर रहे हैं. मोहम्मद हाजी ने अपनी विकलांगता को अपने जीवन के रास्ते में कभी नहीं आने दिया. वह दृढ़ संकल्प का सबसे अच्छा उदाहरण हैं. वह न केवल शिक्षित हैं, बल्कि आज वह छात्रों को शिक्षित कर रहे हैं. मोहम्मद हाजी नेत्रहीन बच्चों के लिए गणित और अंग्रेजी के साथ-साथ बुनियादी पाठ्यक्रम पढ़ाते हैं. वह बच्चों को हर संभव तरीके से प्रोत्साहित करते हैं और जरूरतमंद बच्चों की पूरी देखभाल करते हैं.

वर्तमान स्थिति में मनुष्य भौतिक वस्तुओं के लिए सरपट दौड़ रहा है. कोई किसी की मदद नहीं कर रहा है. हर किसी को अपनी चिंता है. मानवता गायब हो रही है. ऐसे अशांत समय और परिस्थितियों में, यह अंधा जोड़ा अमीर है. कोरोना के कारण आज स्थिति बहुत खराब है. गरीब और जरूरतमंद जीवन यापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं. आदर्श कदम संपन्न वर्ग के लिए एक महान संदेश है.

वे अंधे हैं लेकिन जरूरतमंद नहीं

मोहम्मद हाजी ने कहा कि अंधे और विकलांगों सहित सभी मनुष्य जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग किसी भी प्रकार की विकलांगता से पीड़ित नहीं हैं, उनकी मजबूरियां और कठिनाइयां किसी को भी नहीं दिखाई देती हैं. विकलांग और नेत्रहीन सभी के लिए स्पष्ट हैं. हर इंसान को जीवन यापन करने के लिए किसी भी मामले में संघर्ष करना पड़ता है. इसलिए, विकलांगों को अपने भाग्य को रोने के बजाय कड़ी मेहनत करने और जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने की आवश्यकता है. मोहम्मद हाजी ने कहा कि अपंगता का बहाना कभी पेश नहीं करना चाहिए. हीनता की भावना को अपने करीब नहीं आने देना चाहिए. सबसे पहले लक्ष्य निर्धारित किया जाना चाहिए और मंजिल को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए. सफलता और असफलता अल्लाह के हाथ में हैं लेकिन हमें अपना संघर्ष जारी रखना चाहिए.

अंजाम उसके हाथ है आगाज करके देख

भीगे हुए पंखों से परवाज करके देख

 

कभी साधक थे, लेकिन अब सहायक हैं

मोहम्मद हाजी के अनुसार, आज लोग लाखों रुपये कमाते हैं और केवल अपनी और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं. वे गरीबों, जरूरतमंदों और असहाय लोगों की मदद करने पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि सरकारों की सहायता समाज के सभी जरूरतमंद और योग्य लोगों तक न पहुंचे. ऐसे में समाज के सभी सदस्यों को अपनी क्षमता के अनुसार गरीबों की मदद करनी चाहिए.

मोहम्मद हाजी ने कहा कि जब उन्हें मदद की जरूरत होती है, तो कुछ परोपकारी लोगों ने उनकी मदद की. आज वह किसी की मदद करने में सक्षम है.

मोहम्मद हाजी ने कोरोना महामारी की विकट स्थिति में मानवता को जीवित और अच्छी तरह से रखने का संदेश समाज को दिया. एक दूसरे की मदद करें. उन्होंने कहा कि समाज के लिए उनका संदेश यह है कि अमीर और सभी आशीर्वाद से संपन्न लोग भी गरीबों की मदद के लिए आगे आएं.