सेराज अनवर / पटना
राजस्थान के उदयपुर में मजहब के नाम पर कन्हैया लाल की बर्बर हत्या से बिहार का मुस्लिम समाज भी दुःखी और विचलित है. यहां के नामचीन मुस्लिम शख्सियतों का कहना है कि न्याय के लिए संविधान है, अदालत है, पुलिस है. किसी का कानून हाथ में लेना बिल्कुल गलत है. हम जम्हूरी मुल्क में रहते हैं. यदि किसी को शिकायत है तो लोकतांत्रिक तरीके से अदालत और थाने जाना चाहिए, न कि टार्गेट किलिंग करनी चाहिये. एक सभ्य समाज में यह उचित नहीं है. इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता. आवाज-द वायस ने ऐसे ही कुछ लोगों से प्रतिक्रिया जानी है
पटना निवासी अशफाक रहमान का शुमार मुस्लिम बुद्धिजीवियों में होता है ओ वे बड़े बिजनेसमैन हैं. उनका कहना है कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. कन्हैया, अखलाक, तबरेज सब नफरत के शिकार हुए हैं.कौन है, जो नफरत फैला रहा है? कन्हैया की हत्या की गहरी जांच होनी चाहिए.
इस्लाम अमन सिखाता है. ऐसी नफरत नहीं. एक इंसान का कत्ल पूरी इंसानियत की कत्ल है. आज हरेक आदमी को सोचना होगा, नफरत से कैसे बचा जाये और समाज को कैसे बचाया जाये. नफरत फैलाने वाले खबरिया चैनलों पर भी बंदिश जरूरी है.
गया निवासी इकबाल हुसैन शांति स्थापित करने में अगुआ रहे हैं और पीस एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सचिव हैं. वे कहते हैं कि कन्हैया की जिस तरह हत्या की गयी, वह एक सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है. हत्यारों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिये.
गुस्सा निकालने का कई तरीका हो सकता है, लेकिन यह क्या आप जायें और किसी निर्दोष को मार दें, इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता. फिर उनमें और पीड़ित मुस्लिम समाज में फर्क क्या रह जायेगा. वैसे तत्वों को कठघरे में कैसे खड़ा कर पायेंगे, जब वही काम हम करने लगे. यह नाकाबिल-ए-बर्दाश्त है और मुस्लिम समुदाय को आगे आकर इसकी भरपूर निंदा करनी चाहिए.
मसीह उद्दीनरूनवादा के नामचीन सामाजिक कार्यकर्ता मसीह उद्दीन कहते हैं कि यह निहायत गैर इस्लामी और गैर इंसानी काम है. हम उस पैगम्बर के मानने वाले हैं, जो अपने दुश्मनों का दुःख भी बांटते थे. उनके संदेश को हम कैसे भूल गये? और फिर भारत में कानून है, अदालत है, संविधान है, थाना-पुलिस है. न्याय के लिए वहां जा सकते हैं.
यह आतंकवादी घटना है और साम्प्रदायिक शक्तियों को खाद पानी देने का काम करती है. हत्या किसी मसला का हल नहीं है. कन्हैया की हत्या गिरी हुई हरकत है. नफरत को नफरत से नहीं काटा जा सकता है. अमन से ही किसी मसला का हल मुमकिन है.
मौलाना इमरान आलमरूसीवान निवासी मौलाना इमरान आलम ऑल मदरसा युवा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष हैं. उनका कहना है कि मजहब के नाम पर किसी समुदाय या व्यक्ति को टार्गेट करना गलत है. ये सब नहीं होना चाहिए. जो हुआ गलत हुआ.
हम उसकी कड़ी निंदा करते हैं. किसी को कानून हाथ में लेने का हक नहीं है. न्याय के लिए हमारे यहां संविधान है, अदालत है, वहां दरवाजा खटखटाना चाहिये. जज्बात में आकर कदम उठाने का नुकसान पूरे समाज को उठाना पड़ता है. ऐसे लोगों के खिलाफ अदालत, पुलिस के साथ समाज को भी सख्त होना होगा. कानून को लोग हाथ में लेते रहेंगे, तो समाज बिखर जायेगा. यह एक गम्भीर मुद्दा है. इस पर सख्त कार्रवाई की जरूरत है.