भोपाली तहजीब का पान से है खास रिश्ता, हर कोई इस पत्ते का है दीवाना

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] • 2 Years ago
भोपाली तहजीब का पान से है खास रिश्ता
भोपाली तहजीब का पान से है खास रिश्ता

 

गुलाम कादिर / भोपाल

भोपाल को नवाबों के शहर और झील-तालाबों के शहर के रूप में जाना जाता है. इसकी विशिष्टता में प्रकृति की सुंदरता शामिल है. इसे मस्जिदों और साझा सभ्यता के शहर के रूप में भी जाना जाता है. लेकिन भोपाल का एक और नाम है. भोपाल को पान वालों का शहर भी कहा जाता है. भारतीय शहरों के चौराहों पर आपको कुछ पान की दुकानें मिल जाएंगी, लेकिन अगर आप प्राचीन भोपाल के किसी भी चौराहे पर खड़े हों, तो आपको एक दर्जन से ज्यादा पान की दुकानें मिल जाएंगी. जब भोपाल के रानी कमलापति पार्क में बेगम भोपाल का प्राचीन स्मारक परी बाजार आयोजित हुआ, तो भोपाल का सोना, कढ़ाई, पर्स और भोपाली सूट दर्शकों के आकर्षण के केंद्र थे, लेकिन परी बाजार में सबसे अधिक ध्यान आकर्षित करता था पान. भोपाली सूट के साथ जब लोग भोपाली पान की महिमा प्रख्यात कवियों के सामने पेश की गई, तो लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा.

गुल बानो का कहना है कि भोपाल का पान से वही रिश्ता है, जो शरीर का आत्मा से है. भोपाल में चाहे नवाबों का शासन हो या बेगम का, यहां महफिलें फलती-फूलती थी. अगर कोई बड़ी पार्टी होती और उसमें ड्रिंक नहीं होती, तो उसे अधूरी पार्टी कहते. लेकिन भोपाल में महफिल तभी पूरी होती है, जब प्रतिभागियों को भोपाली पान परोसा जाए.

उधर प्रख्यात पत्रकार मुशाहिद सईद का कहना है कि इतिहास के पन्नों में भोपाल को पान खाने वालों का शहर कहा गया है और आज भी इस शहर में पान खूब खाया जाता है.

मुंह का स्वाद अपनी जगह है, लेकिन असल बात यह है कि भोपाल के पानी में कैल्शियम की कमी है. इस वजह से लोग पान खाकर इस कमी को पूरा करते हैं. जिन लोगों ने भोपाल का साहित्य पढ़ा है,

उन्होंने अपनी मौसी पांडन और मशहूर कॉमेडियन उर्फ भोपाली की कहानी जरूर पढ़ी होगी. परी जब बाजार में आई, तो उसके मुंह का स्वाद खराब था और जब उसने गुल बानो का पान खाया, तो उसे स्वादिष्ट लगा.

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खान आशा का कहना है कि वे बनारसी, कलकत्ता, लखनऊ और इंदौर के भी पान खा चुके हैं. महान उर्दू शायरों की शायरी पान का बीड़ा दबाकर ही पूरी होती है.

गुल बानो न केवल भोपाल की पान संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती हैं, बल्कि उनके द्वारा पहने गए भोपाली सूट में तुर्की का संयोजन भी विशेष है. अगर मैं यहां न आया होता, तो निश्चय ही भोपाल की एक महान सभ्यता से चूक जाता.

भोपाल शहर में पान की अपनी परंपरा है, जो सैकड़ों साल पुरानी है. शहर में हजारों के हिसाब से पान की दुकानें मिल जाएंगी. एक से बढ़कर एक. मगर यहां के न्यू मार्केट में ‘बनारसी पान’ की एक मशहूर दुकान है. इसकी नींव स्व. मुन्ना लाल बनारसी ने रखी थी. अब इस परिवार की भोपाल में लगभग एक दर्जन दुकानें हैं. बनारसी परिवार का पान से पुश्तों पुराना रिश्ता है और पान का कत्था बनाने के वे माहिरीन समझे जाते हैं. इस परिवार के लोग अपनी दुकानों पर पान के तरह-तरह के जायके परोस रहे हैं.

परी बाजार को देखते हुए आरती शर्मा कहती हैं कि शाम को जब उनके पति ने उन्हें परी बाजार में जाकर स्पेशल गिफ्ट देने को कहा, तो मैं तैयार होकर चली गई.

किसी वजह से मैं नाराज हो गईं. सच कहूं तो, जब गुल बानो जी का पान खाया, तो न सिर्फ उनका गुस्सा शांत हो गया, बल्कि उनसे पान कई पान बनवाकर रख लिए, ताकि वह अपने दोस्तों के साथ घर पर खा सकें. पान खाने के बाद सबसे अच्छे मूड में पति देव ने भोपाली जरी का तोहफा दिया. हम चाहते हैं कि परी बाजार जारी रहे.

चार दिवसीय परी-बाजार के अंतिम दिन संध्या संगीत की प्रस्तुति हुई. शाम के संगीत में साजिद और आमिर द्वारा प्रस्तुत गायकी से श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए. परी बाजार के समापन सत्र में मध्य प्रदेश के संस्कृति मंत्री विश्वास सारंग ने भाग लिया, जिन्होंने भोपाल के परी-बाजार को भोपाली सभ्यता का आईना बताया और इसके प्रचार-प्रसार का आह्वान किया. कार्यक्रम में समीना अली और हमीदुल्ला खान चाचाओं को उनकी अमूल्य सेवाओं के सम्मान में शाने-भोपाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया.