भोपालः शहर काजी का ऐलान, ‘शादी में नाच-गान किया तो नहीं पढ़ाएंगे निकाह'

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 27-02-2021
भोपालः शहर काजी का ऐलान, ‘शादी में नाच-गान किया तो नहीं पढ़ाएंगे निकाह
भोपालः शहर काजी का ऐलान, ‘शादी में नाच-गान किया तो नहीं पढ़ाएंगे निकाह

 

शुरैह नियाज़ी/ भोपाल

मध्यप्रदेश के अलग अलग शहरों में मुसलमानों के धर्मगुरु और उलेमा शादी में फिजूलखर्ची को रोकने और शादी को समाज के लिये आसान बनाने के लिये फैसले ले रहे है. भोपाल में फैसला लिया गया है कि मुस्लिमानों की जिस शादी में नाच-गाना, बैंड-बाजा, डीजे और पटाखे का इस्तेमाल देखा जायेंगा, वहां अब शहर काजी और दूसरे काजी निकाह नहीं पढ़ाएंगे.

शहर काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी और दूसरे उलेमाओं ने यह फैसला एक बैठक के बाद लिया है. इसमें लोगों से भी कहा गया है कि अगर उन्हें शादी में फिजूलखर्ची नज़र आती है तो उससे बचे और उसमें न जायें. वही यह भी फैसला लिया गया है कि लोगों को मस्जिदों से भी इस सिलसिले में ताक़ीद की जायेंगी.

भोपाल के शहर काज़ी, सैयद मुश्ताक अली नदवी ने कहा, “इस्लाम में सादगी को सबसे बेहतर बताया गया है.हमें उस रास्ते पर चलना है जो हमें हमारे पैगंबर और कुरान ने बताया है. देखने में आया है कि लोग बढ़चढ़ कर शादियों में ख़र्च कर रहे है. इससे ग़रीब लोगों हीन भावना के शिकार होते है या फिर वो उधार लेकर खर्चा करते है. "

वो आगे कहते है इसलिये यह फैसला लिया गया है कि ऐसी शादियों में निकाह नही पढ़ाया जायेंगा. शहर की मस्जिदों में उलेमा जुमे के दिन और दूसरे दिनों में तकरीर में लोगों को बताते रहे है कि शादियों में बेवजह खर्चा न करें. लेकिन देखने में आया है कि मुसलमानों में होने वाली शादियों में लगातार फिजूल खर्ची बढ़ रही है. इसके बाद उलेमाओं का यह फैसला लेना पड़ा है.

मुसलमानों के बीच काम करने वाले लोग इसे एक अच्छी पहल बता रहे है. अंसार सिद्दीकी मुसलमानों से जुड़े मामलों को उठाते रहे है, उन्होंने कहा कि समाज में इस तरह के कदम उठाने की जरुरत है. उन्होंने बताया,

“महंगी होती शादियों की वजह से ग़रीब घरों की लड़कियां कुवांरी रह जाती है. उन्हें देखने आने वाले लोगों की यही सोच रहती है कि शादी में खर्च ज्यादा से ज्यादा किया जायें. इसलिये उनसे शादी कोई नही करता है."

 

वही वो यह भी कहते है कि यह सब शरीयत के ख़िलाफ है. इससे पहले पिछले हफ्ते इसी तरह का फैसला बुंदेलखंड के दमोह शहर में भी लिया गया जहां पर जुमे की नमाज़ के बाद शहर की मस्जिदों में शहर काज़ी के एक पत्र को पढ़ा गया. इस पत्र में मुसलमानों में फैल रही ग़लत बातों को ख़त्म करने को कहा गया.

इस पत्र में यह भी लिखा हुआ था कि शहर काज़ी सहित सभी हाफिजों ने ये फैसला लिया है कि मुस्लिम समाज में फैले इन गलत रीति रिवाजों को अब छोड़ा जायें. दमोह शहर काज़ी कुतुब अली ने बताया, “फैसला यह है कि अब ऐसी शादियों में शरीक नही होगें और निकाह नही करायेंगे,  जहां पर डीजे बजाया जायें और डांस हो.”

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उन्होंने आगे बताया, “फैसला यह भी लिया गया है कि लड़का पक्ष और लड़की पक्ष दोनों से लिखित में लेने के बाद ही शादियों में निकाह पढ़ाने की सहमति दी जाएगी. दोनों पक्ष जब तक राजी न हो कि शादी में कोई गैर इस्लामी काम नहीं होंगे तब तक उनके यहाँ निकाह पढ़ाने नही जाया जायेंगा.”

उम्मीद की जा रही है कि इस फैसले से मुस्लिम समाज में सुधार आयेंगा. वही दमोह में मुसलमान उलेमाओं ने फैसला किया है कि समाज में आई हर बुराई को रोकने के लिये कदम उठायें जायेंगे. ताकि हम एक अच्छा समाज पैदा कर सकें.